ज्ञानेन्द्र पाण्डेय: कोरोना के वैश्विक तांडव की खबरों के बीच भारत के लिए अंतरिक्ष जगत से एक अच्छी खबर है। इस खबर के मुताबिक़ भारत के तमिलनाडु के कोयम्बतूर की रहने वाली सुहासिनी अय्यर साल 2024 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मानव चन्द्र अभियान का हिस्सा होंगी। सुहासिनी न केवल इस चन्द्र अभियान का हिस्सा होंगी बल्कि उन्हीं की देखरेख में इस अभियान पर काम किया जा रहा है और उन्हीं की देखरेख में ही यह अभियान संपन्न भी होगा ऐसी उम्मीद भी की जा रही हैं।
नासा का यह चन्द्र अभियान कार्यक्रम इसके अभी तक किये गए चन्द्र अभियान कार्यक्रमों से इसलिए भी अलग है क्योंकि इसमें मानव को न केवल चन्द्रमा में उतरने की योजना है बल्कि इंसान को अंतरिक्ष में चन्द्रमा से और आगे भी ले जाए जाने की बात कही जा रही है। सुहासिनी अय्यर पिछले करीब दो साल से नासा के अंतरिक्ष अभियान से जुड़ी हुई हैं और अंतरिक्ष अभियान के विशेष अनुभाग स्पेस लांच सिस्टम से संबद्ध हैं। इस ख़ास परियोजना के बारे में यह कहा जा रहा है कि सुहासिनी नासा की इस अहम् परियोजना के राकेट कोर चरण की देखरेख कर रही हैं। एक खबर के मुताबिक़ सुहासिनी का यह कहना है कि इस अभियान में उनकी भूमिका कोर चरण की देखरेख करना है जिसे किसी भी अंतरिक्ष अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। ऐसी परियोजनाओं में कोर चरण की देखरेख करने वालों की नासा में इतनी जबरदस्त भूमिका होती है कि जब कभी नासा को अभियान से जुड़े किसी क्षेत्र में किसी तरह की मदद की जरूरत होती है तब अभियान का कोर चरण ही नासा की मदद भी करता है।
भारत के सन्दर्भ में यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने किसी भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक को इतनी बड़ी आऔर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं सौंपी थी। गौरतलब है कि आज से लगभग 50 साल पहले किसी इंसान ने आखिरी बार चन्द्रमा की सतह पर कदम रखे थे। इसके बाद दूसरी बार इंसान को चन्द्रमा में भेजने की तैयारी जोर शोर से की जा रही है और इस भारत किसी न किसी रूप में भारत भी इसका हिस्सेदार बन रहा है। इस सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि नासा का यह मिशन आटेंसिस के नाम से चलाया जाएगा जो तीन चरणों में पूरा होगा। योजना के तहत आटेंसिस चरण – एक में चालक रहित अंतरिक्ष विमान भेजा जाएगा और चरण – दो के तहत एसएलएस राकेट और ओरियन स्पेस क्राफ्ट अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाएगा। इसी क्रम में तीसरे चरण के तहत साल 2024 में आटेंसिस – तीन अंतरिक्ष यात्रियों को चाँद पर उतारेगा। सब कुछ पूर्व निर्धारित योजना के हिसाब से चलता रहा तो चाँद पर उतरने वाले इन्हीं अंतरिक्ष यात्रियों में एक होंगी कोयंबतूर में जन्मी भारत की अंतरिक्ष वैज्ञानिक सुहासिनी अय्यर। सुहासिनी की चन्द्रमा की यह प्रस्तावित यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण कही जा सकती है क्योंकि जिस साल वो इस मुकाम पर होंगी , उसी साल भारत में अठारहवीं लोकसभा के लिए चुनाव भी होने हैं।