कोरोना महामारी को लेकर कांग्रेस के तेवर लगातार कड़े होते जा रहे है, बात चाहे वैक्सीन को लेकर हो या दवाओं और ऑक्सीजन से लेकर मदद को लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारों को लगातार घेर रही है। इस बार मामल है मध्यप्रदेश का जहाँ सिर्फ पिछले महीने 1 लाख 90 हज़ार से ज्यादा लोग कोरोना के कारण अपनी जान गवाँ चुके है, वजह साफ है देश के अन्य हिस्सों की तरह यहाँ भी सरकार और प्रबंधन बुरी तरह फेल हुआ है कोरोना से निपटने में, लेकिन तमाम राज्य सरकारें जहां बीजेपी का शाषण है आंकड़ों को लेकर लफ्फाजी करने के साथ गलत आंकड़ों को लेकर बात करते दिख जाएंगे। इसी कड़ी में शिवराज सिंह सहित भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेता लगे हुये है। प्रधानमंत्री मोदी तो खुद गलत आंकड़े पिछले दिनों अपने मन की बात में रख चुके हैं।
आज कांग्रेस पार्टी की प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा-
पिछले साल की तुलना में जनवरी से मई, मध्य प्रदेश की हम बात कर रहे हैं। पिछले साल से आप 2020 से तुलना करिए जनवरी से मई के आंकड़ें, तो 1 लाख 90 हजार मौतें ज्यादा हुई। और जो भी आपमें से सभी लगभग आंकड़ों को समझते हैं, बर्थ और डेथ के ट्रेंड को समझते हैं, प्रोजेक्शन को समझते हैं, ये स्वाभाविक कतई नहीं हो सकता। सरकारी आंकड़ें सिर्फ 4,461 मौतों को कोविड से संबंधित बताते हैं। आप बताइए, आप जानकारी दिलवाईए कि बाकी मौतें फिर कैसे हुई?
भोपाल, इंदौर, बड़े-बड़े शहरों में आ जाइए, छोटे-छोटे शहरों में आ जाइए औऱ मैं वापस एक बात बता दूं, पिछली बार भी हमने बताई थी ये बात – हम जो आंकड़े आपके सामने रखते हैं या आप जो आंकड़े देश के सामने रखते हैं, ये वो आंकड़े हैं, जिनका टेस्ट हुआ है या अस्पताल में कहीं दर्ज हुए हैं या श्मशान घाट, कब्रिस्तान में कहीं दर्ज हुए हैं। ऐसे अनेक-अनेक, लाखों ऐसे उदाहरण हैं, जिनका पता नहीं चला। वो गांव में हैं, टेस्ट नहीं हुआ, छोटे शहरों में हुआ, टेस्ट हुआ, तो रिपोर्ट नहीं आई, पहले ही मृत्यु हो गई। उन तमाम दुखद मृत्युओं का कोई हिसाब-किताब नहीं है कि ये कोविड से हुई या नहीं हुई।
मध्य प्रदेश में जिस तरह से आंकडे छुपाए जा रहे हैं, ऐसे लगता है प्रतिस्पर्धा हो रही है। गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तमाम राज्य आपस में प्रतिस्पर्धा में हैं कि कैसे छुपाया जाए, किस काबिलियत से छुपाया जाए आंकड़ो को। उत्तर प्रदेश की स्थिति सबके सामने है। मीडिया के माध्यम से कई बार आई कि किस तरह से लखनऊ में शमशान घाट के आगे व्यू करटेन लगाए जा रहे थे कि लोगों को दिखे नहीं, लोग फोटो ना खींचे और सोशल मीडिया पर ना डालें।
वाराणसी महत्वपूर्ण स्थान है। बहुत महत्वपूर्ण शहर है। सरकार ने अप्रैल में 227 मौतें दिखाई। मैं उदाहरण दे रहा हूं आपको। वाराणसी में सरकार ने अप्रैल में 227 मौतें दिखाई जबकि अकेले मणिकर्णिका घाट पर अप्रैल माह के एक सप्ताह में 1,500 दाह संस्कार हुए। बताइए ये क्या है? इसी दौरान वाराणसी के 13 कब्रिस्तानों में 1,680 मृतकों को दफनाया गया। बताइए ये आंकड़ा सरकार के दावों से इतना दूर क्यों है, इतना ज्यादा क्यों है? मध्य प्रदेश हो, गुजरात हो, उत्तर प्रदेश हो, बिहार, कर्नाटक, 5 राज्यों के आंकड़े आप सामने लाइए, सरकारी आंकड़े लाइए और इस तरह के आंकड़ें जो निकल कर आ रहे हैं, वो सामने रखिए। क्या इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अपनी कुर्सी पर बैठने का एक पल का भी अधिकार है? अबोध जनता की जान से खेल रहे हैं, उनके हाथ इनके खून से रंगे हैं। प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से जिम्मेदारी मुख्यमंत्रियों की बनती है।
हम इसे धोखाधड़ी बोलें, तो ये आपराधिक धोखाधड़ी है। हम यह मांग करते हैं कि इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देना चाहिए, नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए। हम प्रधानमंत्री ये यह मांग करते हैं कि एक निष्पक्ष न्यायिक जांच पूरे देश में, हर राज्य में करवाई जाए कि कोविड से कितनी मौतें हुई हैं। जिम्मेदारी फिक्स की जाए, बताया जाए कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। दो अपराध हैं – एक तो यह कि चिकित्सा सही वक्त पर नहीं मिली, टेस्ट सही वक्त पर नहीं हुआ, वैक्सीन नहीं मिला, उस वजह से लोगों को नुकसान हुआ जान-माल का। और दूसरा वह कि आंकड़े छुपाए किसने? यह जिम्मेदारी फिक्स की जानी चाहिए। यह बिल्कुल नियत किया जाना चाहिए कि इसके लिए यह व्यक्ति जिम्मेदार है।