कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कोरोना के कुप्रबंधन पर सरकार को लगाई गई सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने साबित कर दिया है कि कोरोना पर सरकार की नीतियां बेतुकी हैं, बेमेल हैं और बेकार हैं। ये करीब-करीब अनुवाद भी है उच्चतम न्यायालय के शब्दों का, जो आखिरी तीन शब्द हैं हिंदी में – irrational, arbitrary etc.
कांग्रेस पार्टी शुरु से कहती आ रही है कि कोरोना पर सरकार की नीतियां गलत हैं। आज कोर्ट भी वहीं सवाल कर रही हैं जो पिछले कई महीनों हम कर रहे हैं।
सरल तौर पर कहा जाए तो जो उच्चतम न्यायालय का आदेश है वो तीन-चार मुद्दों पर फोकस है। जो बेहद जरूरी मुद्दे है देश के लिए। जिसपर सरकार को हलफनामा दाखिल कर के 2 हफ़्तों में कोर्ट को बताना है पूरा ब्यौरा-
1. वैक्सीन शोर्टेज, कमी, उपलब्ध ही नहीं।
2.वैक्सीन प्राइस न्यूट्रैलिटी, वैक्सीन की कीमत पर अलग-अलग कीमतें कैसे।
3.वैक्सीन यूनिफार्मेटी।
4.वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन, वितरण और 100 प्रतिशत वैक्सीनेशन कब और कैसे? 100 प्रतिशत वैक्सीनेशन एक जुमला नहीं, एक नारा नहीं है, लेकिन कब और कैसे?
आज जो कोर्ट कह रही है , कांग्रेस पार्टी भी आपसे वहीं कह रही है, राहुल गांधी बार बार ये बात उठा रहे है, लेकिन अपनी जिद में आपने मोदी सरकार और जरूरी मंत्रालय ने उन सुझावों पर कोई संज्ञान नहीं लिया।
7 मई, को राहुल गांधी ने लिखा कि “Be transparent and keep the rest of the world informed about our findings.” क्योंकि हमें पता चला मीडिया में भी छपा जो भी कोविड फोर्स में बैठता है, उसको हमेशा के लिए सदैव गुप्त रखने का एक सीक्रेट अंडरटेकिंग देनी पड़ती है। आप लोगों ने पढ़ा होगा। कोविड रुम में बैठने का ये है। ये है ट्रांसपेरेंसी, पारदर्शिता की परिभाषा इस सरकार की।
22 मई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत पूर्व प्रधानमंत्री ने भी कोरोना के मौजूदा हालात को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी जिसका जबाव स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बेहद आपत्तिजनक भाषा में दिया था। अपनी जिद और अहंकार में जो नुकशान देश को पहुंचा सरकार ने उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ???