रविवार 30 मई 2021 को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने दूसरे कार्यकाल के दो साल पूरे किए इसी मौके पर रेडियो पर प्रसारित होने वाले उनके कार्यक्रम के 77 वें एपिसोड का प्रसारण भी हुआ था . कहना गलत नहीं होगा कि नरेन्द्र मोदी संभवतः देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो नियमित रूप से अपने रेडियो कार्यक्रम , ” मन की बात ” के माध्यम से देश की जनता के साथ संवाद करते हैं . उनके इस कार्यक्रम को रेडियो के मंच से उनका एकालाप भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि इस कार्यक्रम में कुछ श्रोताओं को भी प्रधानमंत्री से सवाल करने का मौका दिया जाता है . पर इन श्रोताओं की संख्या इतनी नगण्य होती है कि यह कार्यक्रम परस्पर संवाद का कार्यक्रम न रह कर एक तरह से एकालाप ही बन कर रह जाता है!!!
वैसे इसे शुद्ध रेडियो कार्यक्रम भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि जब इस कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग होती है तब भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के स्वामित्व वाले प्रसार भारती के आकाशवाणी और आल इंडिया रेडियो के साथ ही दूरदर्शन टेलीविज़न की प्रोडक्शन टीम भी मौजूद होती है, और रिकॉर्डिंग के बाद निश्चित एक निश्चित दिन और समय में सभी सरकारी रेडियो और टेलीविज़न चैनल एक साथ इसका प्रसारण करते हैं। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री मोदी कई तात्कालिक मुद्दों पर कुछ प्रतिनिधि राष्ट्र ध्वजवाहकों के माध्यम से एक साथ राष्ट्र के साथ संवाद करते हैं।
मन की बात के ताजा एपिसोड में प्रधानमंत्री ने कोरोना की दूसरी लहर से पैदा हुए संकट को ही केंद्र में रखा था। इस बार कोरोना के इलाज के दौरान देश के अस्पतालों को जिस तरह के अप्रत्याशित ऑक्सीजन भाव का सामना करना पड़ा था और दवा तथा इंजेक्शन की कमी के चलते भी जिस तरह असंख्य कोरोना मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ा था वो वास्तव में गहन चिंता के मुद्दे थे और प्रधान मंत्री श्री मोदी ने उन पर चर्चा करना जरूरी समझा ये वास्तव में अच्छी बात है। इतना ही नहीं इस कार्यक्रम के माध्यम से नरेंद्र मोदी ने रेलवे की विशेष ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन की पायलट शिरिजा गजनी के साथ भी संवाद स्थापित किया जिसने राष्ट्रीय संकट के इस दौर में हजारों किमी की दूरी तय कर जरूरतमंदों तक आक्सीजन पहुंचाने का काम किया था।
कोरोना संकट से जुड़े ऐसे कई मुद्दों के साथ ही प्रधानमंत्री ने किसान आन्दोलन से सरकार के सामने उत्पन्न हुई चुनौतियों , देश के मौजूदा आर्थिक संकट और ऐसे ही कई राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्दों पर अपने विचार इस कार्यक्रम के माध्यम से व्यक्त किए और बहुत ही खूबसूरत अंदाज में इस पूरी चर्चा को उन्होंने , ” सात साल बनाम सत्तर साल के चिरपरिचित अंदाज में बदल दिया .कुल मिला कर लब्बोलुबाब यह रहा कि पिछले सात साल में उनकी सरकार ने जितना काम किया उतना काम तो पूर्ववर्ती सरकारें सत्तर साल में भी नहीं कर सकीं।