नई दिल्ली/ आज गृहमंत्रालय की तरह से अधिसूचना जारी करके बताया गया है , राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तरफ से राज्यसभा की रिक्त सीट पर भाजपा नेता स्वपन दासगुप्ता को दोबारा मनोनीत किया गया है, इसके साथ ही राम जेठमलानी के बेटे और वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी को भी राज्यसभा भेजा गया है।
गौरतलब है कि स्वप्न दासगुप्ता ने मार्च में बंगाल चुनाव लड़ने के लिए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। क्योंकि तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मामलें को लेकर आपत्ति उठाई थी। स्वप्न दासगुप्ता बिना इस्तीफा दिये चुनाव लड़ने बंगाल पहुंच गये थे।
दरअसल, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने संवैधानिक नियमों का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि दासगुप्ता ने भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची का उल्लंघन किया है।
पूर्व पत्रकार 65 वर्षीय दासगुप्ता अप्रैल, 2016 में राज्यसभा सदस्य बने थे, और उनका कार्यकाल 24 अप्रैल, 2022 तक था। दासगुप्ता ने ट्विटर पर अपने इस्तीफे की घोषणा की और कहा बंगाल चुनाव के लिए खुद को समर्पित कर रहा हूं। पर बंगाल चुनाव हार बैठे स्वप्न दास के लिए ये दोनों हांथो में लड्डू होने वाली बात चरितार्थ हो गई आज अब उन्हें बचे कार्यकाल के लिए फिर सदस्य बनाया गया है।
राज्यसभा के सांसद होने के नाते सारी सुविधाएं मिली , राज्य में विधानसभा चुनाव में जाकर अपनी हैसियत को देखने का मौका मिला हारे तो दोबारा राज्यसभा मिल गई । राजनीति में ऐसे मौके सबको नहीं मिलते।
रामजेठमलानी के बेटे महेश जेठमलानी भी उच्च सदन के सदस्य बनाए गए हैं।
राष्ट्रपति ने वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। राष्ट्रपति कोविंद ने मनोनीत किया है। महेश जेठमलानी को दिवंगत सांसद रघुनाथ महापात्रा की रिक्त हुई सीट पर नामित किया गया है। बीजेपी अपने ही नियमों से अलग हटकर अब फैसले लेने लगी है, उदाहरण महेश का राज्यसभा भेजा जाना हैं।
2014 में सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री ने कहा था , परिवार और वंशवाद से मुक्त होकर हम काम करते है। शायद आज 7 साल में लोगों की जेहन से शायद आज बात निकल गई होगी।