ज्ञानेन्द्र पाण्डेय: भारतीय जनता पार्टी बंगाल का किला फतह करने की चाहत में कुछ भी करने को तैयार है। उसके पास लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं है, तो उसने तृणमूल कांग्रेस से लेकर कांग्रेस तक कमोबेस सभी पार्टियों के नेताओं से अपना कोटा पूरा करने की कोशिश की है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को घर में बैठे – बैठे ही भाजपा ने टिकट थमा दिए और इनमें से ज्यादातर ने साफ़ मना भी कर दिया। इन पार्टी के कई नेताओं को तोड़ कर अपनी पार्टी में शामिल करा दिया। इसके बाद भी जब उम्मीदवार कम पड़ने लगे तो अपनी ही पार्टी के सांसदों को ही विधान सभा चुनाव का उम्मीदवार बना दिया। अभी तक राजनीतिक अनुमान यही हैं कि चुनाव के बाद ममता की पार्टी ही पहले नंबर पर रहेगी और दूसरे नंबर पर भाजपा अपनी जगह बना सकती है। भाजपा के नेताओं को लगता है कि जोड़ – तोड़ में माहिर भाजपा दूसरे नंबर पर रह कर भी सरकार बना सकती है। कोई बड़ी बात नहीं कि इसके लिए ममता की पार्टी को ही बलि का बकरा बनाया दिया जाए ..पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को हर कम से कम 147 सीटों की आवश्यकता होगी। हर पार्टी यह आंकड़ा हासिल करने की कोशिश में है। ममता के खिलाफ व्यवस्था विरोधी नाराजगी है तो कांग्रेस और कम्युनिस्ट गठबंधन भी अपनी कोई ख़ास जगह बनाता दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे में फायदा तो भाजपा को ही होता दिखाई दे रहा है, लेकिन भाजपा को कितना फायदा होगा इसका पता तो चुनाव बाद ही चल पायेगा फिर भी कुछ लोगों का यह कहना है कि ममता का प्रदर्शन चाहे जितना कमजोर हो पर विधान सभा में सबसे ज्यादा विधायक उसी की पार्टी के होंगे। इस तरह के आंकलन त्रिशंकू विधान सभा की संभावना से भी इनकार नहीं करते। ओपिनियन के हिसाब से भी ऐसी ही स्थिति बनती दिखाई देती है . इससे लगता है कि फिलहाल बंगाल में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी सरकार की वापसी हो सकती है।
उधर ममता की पार्टी तृणमूल ने अपने घोषणा पत्र में हर साल 5 लाख लोगों को रोजगार देने , किसानों की आर्थिक सहायता राशि को बढ़ाकर दस हजार प्रति वर्ष करने, बंगाल में हर परिवार को न्यूनतम आय, उच्च शिक्षा के लिए दस लाख रुपये की क्रेडिट सीमा, विधवा और दिव्यांग लोगों के लिए पेंशन देने समेत कई अन्य वादे किए है ।ममता ने बेरोजगारी कम करने का दावा भी किया है इसके लिए एक साल में 5 लाख नए रोजगार के पैदा करने की बात भी तृणमूल कांग्रेस के घोषणा पत्र में कही गई है। इस बाबत टीएमसी नेता और राज्य की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी का यह भी कहना है कि जब टीएमसी सत्ता में आई थी, तो हमारा राजस्व लगभग 25,000 करोड़ रुपये था, अब यह 75,000 करोड़ रुपये से अधिक है। इसके अलावा बंगाल में सामान्य श्रेणी के लिए 6,000 रुपये और पिछड़े समुदाय के लोगों के लिए 12,000 रुपये की न्यूनतम वार्षिक आय सुनिश्चित करने की बात भी ममता की पार्टी के घोषणा पत्र में कही गई है। उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को सिर्फ 4 फीसदी ब्याज पर 10 लाख रुपये की खर्च सीमा वाला क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने का वादा भी तृणमूल कांग्रेस के घोषणा पत्र में किया गया है। वादा किया है। पार्टियों के ये घोषणा पत्र किसको कितना लाभ चुनाव में दिला पायेंगे इसका पता तो चुनाव परिणाम सामने आने पर ही पता चलेगा लेकिन एक बात साफ़ है कि भाजपा इस चुनाव में ताल ठोंक कर ममता की पार्टी का मुकाबला कर रही है। भाजपा की तैयारियों को देख कर सहज ही यह कहा जा सकता है कि ममता के मुकाबले इस बार कांग्रेस और वाम मोर्चा नहीं बल्कि भाजपा ही दूसरे नंबर की लड़ाई लड़ रही है। राजनीतिक हलकों में यह भी सुनने को मिल रहा है कि अगर भाजपा को इतनी सीट मिल गई कि राज्य विधान सभा में किसी पार्टी को सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिला तो कोई बड़ी बात नहीं कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए चुनाव के बाद ममता की पार्टी , कांग्रेस और वाम मोर्चा एक साथ भी आ सकते है।
बंगाल विधानसभा के लिए 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में चुनाव होने हैं और वोटों की गिनती 2 मई को होगी। राज्य में पहले चरण का मतदान 27 मार्च को, दूसरे चरण का एक अप्रैल को, तीसरे चरण का 6 अप्रैल को, चौथे चरण का 10 अप्रैल को, पांचवें चरण का 17 अप्रैल को, छठे चरण का 22 अप्रैल को, सातवें चरण का 26 अप्रैल को और अंतिम चरण का मतदान 29 अप्रैल को होगा।
अपने घोषणा पत्र के माध्यम से भाजपा ने बंगाल के मतदाताओं को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि यदि चुनाव के बाद उनकी सरकार बनती है तो राज्य सरकार की सभी नौकरियों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण, पांच साल के भीतर प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को रोजगार और मंत्रिमंडल की पहली बैठक में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू किया जाएगा यही नहीं भाजपा ने मुख्यमंत्री शरणार्थी योजना की शुरु करने का वादा भी किया है इसके मुताबिक प्रत्येक शरणर्थी परिवार को पांच साल तक प्रति वर्ष 10 हजार रुपये देने का प्रावधान होगा। इसके अलावा भाजपा की सरकार बनने पर बांग्ला को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने और राज्य कैबिनेट की पहली बैठक में ही नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने की बात भी भाजपा के इस चुनाव घोषणा पत्र में की गई है। इसे भाजपा ने घोषणा पत्र नाम न देकर संकल्प पत्र नाम दिया है। केन्द्रीय गृह मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह द्वारा अभी हाल ही में जारी किये गए पार्टी के घोषणा पत्र में राज्य सरकार के कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुकूल लाभ देने के साथ ही बंगाल को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय के अंतर्गत भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन की शुरुआत करने की बात भी कही गई है।