दिल्ली की सरहदों पर चल रहे किसान आंदोलन में (मंगलवार) देशभक्ति का अदभुत नजारा सामने आएगा। आंदोलन के मंच से जहां रोजाना नारेबाजी और किसान समर्थन में संबोधन गूंजते हैं वहीं कल इन मंचों से देश भक्ति के तराने सुनाई देंगे। किसानों की ओर से मंगलवार को शहीदी दिवस मनाया जाएगा। साढ़े तीन माह से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसान इस दिन शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को याद करेंगे। गाजीपुर बार्डर (यूपी गेट) के अलावा सिंघु बार्डर और टीकरी बार्डर पर किसान शहीदी दिवस मनाने की तैयारियों में जुटे हैं। इस मौके पर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से काफी संख्या में युवाओं के आंदोलन स्थलों पर पहुंचने की तैयारी है।
बता दें कि 23 मार्च, 1931 को अंग्रेजी हुकुमत ने लाहौर असेंबली में बम फेंकने के आरोप में फांसी पर लटका दिया था। उस समय सरदार भगत सिंह का आयु मात्र 23 वर्ष थी। 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर (अब पाकिस्तान) में किशन सिंह और विद्यावती के घर में जन्में भगत सिंह मात्र 12 साल की उम्र में आजादी के आंदोलन में कूद पड़े थे। संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में सभी बार्डरों पर शहीदी दिवस मनाने का निर्णय लिया है। भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि 23 मार्च काफी संख्या में युवा गाजीपुर बार्डर पर चल रहे आंदोलन में भी मौजूद रहेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की ओर से आजादी के मतवाले सरदार भगत सिंह को उनकी प्यारी पीली पगड़ी पहनकर याद किया जाएगा। आसपास के जिलों से युवाओं को मंगलवार को पीली पगड़ी धारण कर गाजीपुर बार्डर पहुंचने का आव्हान किया गया है। अंग्रेजी हुकुमत के जुल्मों से लड़ते हुए सरदार भगत सिंह ने कहा था कि लोगों को कुचलकर भी आप उनके विचारों को नहीं मार सकते। शहीदे आजम की यह बात आज भी उतनी ही सही और सामयिक है।