प्रयागराज: शाहिद नक़वी】 7 फरवरी। राज्यसभा सासंद कुवंर रेवती रमण सिंह ने उत्तराखंड में हिमस्खलन की वजह से ऋषि गंगा नदी मे भीषण बाढ की वजह से हुईं तबाही पर चिन्ता व्यक्त करते हुए त्रासदी से मरने वाले लोगों के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि पर्यावरण से खिलवाड़ का नतीजा है हिमस्खलन। इसलिए टेहरी बांध और चारधाम सड़क परियोजना हिमालयी पर्यावरण से छेड़छाड़ प्रकृति के खिलाफ है प्रकृति इसका बदला त्रासदी के रूप में लेता हैं इसलिए प्रकृति के साथ खिलवाड़ बन्द होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने चारधाम सड़क चौड़ीकरण की परियोजना में अपनाए पुराने मानक 12 मीटर चारधाम घाटियों के लिए लागू किये जिनके चलते हिमालयी पर्यावरण की भारी क्षति हुई और आज चारधाम क्षेत्र में भूस्खलन बढ़ गए हैं, पिछले कई दिनों से ये राजमार्ग भारी भूस्खलनों से बंद चल रहे हैं। क्लाइमेट चेंज के इस समय में अति संवेदनशील हिमालय के पर्यावरण से ऐसा खिलवाड़ आपदा को निमंत्रण है। हिमालयी पर्यावरण के खिलवाड़ का नतीजा केवल उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश को भुगतना पड़ेगा।
सांसद ने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ कच्चे हैं और हैवी मशीनों से पहाड़ों की कटाई व सुरंगों की वजह से किस तरह हिमालयी पर्यावरण बिगड़ता चारधाम परियोजना के नाम पर अब तक सरकारी आंकड़ों के अनुसार हिमालयी घाटियों में 50 हजार से ऊपर पेड़ काट दिए और 700 हेक्टेयर जंगल साफ़ हो गए जिससें पर्यावरणीय विभीषिका को उजागर कर रही हैं ।
सांसद ने कहा कि हिमालय और उत्तराखंड सहित देश की रक्षा के लिए उस पूरे क्षेत्र में बड़ें निर्माणों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाना चाहिए नहीं तो जिस दिन टेहरी बांध टूटेगा उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते कि कितनी बर्बादी होगी।
पूर्व सपा प्रदेश प्रवक्ता विनय कुशवाहा ने कहा कि केदारनाथ नाथ त्रासदी से कोई सबक नहीं लिया गया उस समय भी पावर प्रोजेक्ट बहा था इस बार भी हिमस्खलन से ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट बह गया और उपवन पावर प्रोजेक्ट को भी बहुत क्षति पहुंची इस लिए इन प्रोजेक्टों का आगे बढ़ाने से पहले दैवीय आपदा प्रबंधन पर ध्यान देना होगा।