मशहूर साहित्यकार पद्मश्री डॉ. उषा किरण खान का बिहार की राजधानी पटना के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। डॉ. उषा किरण खान हिंदी और मैथिली की एक प्रतिष्ठित लेखिका थीं, जिन्होंने अपने मैथिली उपन्यास ‘भामती: एक अविस्मारनिया प्रेमकथा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित प्रशंसा अर्जित की। उषा किरण को पद्मश्री, साहित्य अकादमी और भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। शेर शाह सूरी, दूब धान, गई झुलनी टूट उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
वह 82 वर्ष की थीं। उषा किरण खान के निधन के तुरंत बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक व्यक्त किया। उन्होनें कहा, “प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ॰ उषा किरण खान जी का निधन दुःखद। वे प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखिका थीं। उनके निधन से हिंदी एवं मैथिली साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। दिवंगत आत्मा की चिर शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना है।”
मूल रूप से बिहार के लहेरियासराय की रहने वाली पूर्व आईपीएस अधिकारी रामचन्द्र खान की पत्नी डॉ. उषा किरण खान की बीमारी के कारण पटना के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं।
7 जुलाई 1945 को जन्मी उषा किरण खान को हिंदी और मैथिली भाषाओं में उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले थे। उनके लेखन में मिथिला का इतिहास, कला, संस्कृति और समाज का सौंदर्य भी दिखता था।
2011 में उन्हें उनके मैथिली उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अगले वर्ष 2012 में उन्हें उनके उपन्यास ‘सिरजनहार’ के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद से कुसुमांजलि साहित्य सम्मान मिला।
साहित्य और शिक्षा में उनके योगदान को तब और स्वीकार किया गया जब उन्हें 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म श्री से सम्मानित किया गया।