राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक चौंकाने वाली स्वीकारोक्ति की और कहा कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो अन्य नेताओं ने कांग्रेस विधायकों द्वारा 2020 के विद्रोह के दौरान उनकी सरकार को बचाने में मदद की थी। उन्होंने कांग्रेस के बागी विधायकों पर भी कटाक्ष किया कहा कि उन्हंौ भाजपा से लिए गए पैसे वापस करने चाहिए ताकि वे बिना किसी दबाव के अपना कर्तव्य निभा सकें।
जुलाई 2020 में गहलोत सरकार के तत्कालीन डिप्टी सचिन पायलट और 18 अन्य कांग्रेस विधायकों ने उनके नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया। महीने भर से चला आ रहा संकट पार्टी आलाकमान के दखल के बाद खत्म हुआ। इसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था।
#WATCH अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान, गजेंद्र शेखावत इन्होंने मिलकर षडयंत्र किया और राजस्थान के अंदर पैसे बांट दिए। मैंने हमारे विधायक को कहा कि जो पैसा आपने लिया है अगर उसमें से कुछ खर्च भी हो गया हो तो हमें बताओ मैं उसे वापस करवाऊंगा, AICC से कहूंगा लेकिन आप भाजपा का पैसा मत लो।… pic.twitter.com/MMZgVnkPRC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 7, 2023
धौलपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा, “भाजपा के तीन नेताओं – पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और विधायक शोभरानी कुशवाह के समर्थन के कारण मेरी सरकार बच सकी।”
उन्होंने दावा किया कि, “(केंद्रीय मंत्रियों) अमित शाह, गजेंद्र सिंह शेखावत और धर्मेंद्र प्रधान ने मिलकर मेरी सरकार को गिराने की साजिश रची। उन्होंने राजस्थान में पैसा बांटा और वे अब पैसा वापस नहीं ले रहे हैं। मुझे आश्चर्य है कि वे उनसे (विधायक) पैसे वापस क्यों नहीं मांग रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “मैंने विधायकों से यहां तक कह दिया है कि उन्होंने जो भी पैसा लिया है, 10 करोड़ रुपये या 20 करोड़ रुपये, अगर आपने कुछ भी खर्च किया है, तो मैं वह हिस्सा दूंगा या एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) से लेकर आपको दूंगा।”
अशोक गहलोत ने आगे कहा कि उन्हें कांग्रेस द्वारा तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाया गया था और यह उनका कर्तव्य है कि वे सभी को साथ लेकर चलें और पिछली घटनाओं को भूलकर विधानसभा चुनाव में पार्टी की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करें।
वहीं अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार करते हुए राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि, “मेरे खिलाफ अशोक गहलोत का बयान एक साजिश है। अशोक गहलोत ने जितना अपमान किया है, उतना कोई मेरा अपमान नहीं कर सकता। वह 2023 के विधानसभा चुनाव हारने के डर से झूठ बोल रहे है। उन्होंने इस तरह के झूठे आरोप लगाए क्योंकि वह अपनी ही पार्टी में बगावत से बौखलाए हुए हैं।”
पूर्व सीएम ने कहा, जहां तक विधायकों की खरीद फरोख्त की बात है, तो इसके महारथी तो स्वयं अशोक गहलोत हैं। इन्होंने 2008 और 2018 में अल्पमत में होने के कारण ऐसा किया था। उस वक्त न भाजपा को बहुमत मिला था और न ही कांग्रेस को। उस समय चाहते तो हम भी सरकार बना सकते थे पर यह भाजपा के सिद्धांतों के खिलाफ था। इसके विपरीत गहलोत ने अपने लेन देन के माध्यम से विधायकों की व्यवस्था कर दोनो समय सरकार बनाई थी।
उन्होंने कहा, गहलोत द्वारा मेरी तारीफ करना मेरे खिलाफ उनका एक बड़ा षड्यंत्र है। मेरा जितना जीवन में अपमान गहलोत ने किया कोई कर ही नहीं सकता। वे 2023 के चुनाव में होने वाली ऐतिहासिक हार से बचने के लिए ऐसी मनगढ़ंत कहानियां गढ़ रहें है, जो दुर्भाग्य पूर्ण है पर उनकी ये चाल कामयाब होने वाली नहीं है।
राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश पार्टी प्रमुख के रूप में उन्होंने भैरों सिंह शेखावत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पतन का समर्थन नहीं किया क्योंकि यह अनुचित था, ठीक उसी तरह राजे और मेघवाल ने 2020 में कांग्रेस सरकार को गिराने का समर्थन नहीं किया। गहलोत ने कांग्रेस विधायक रोहित बोहरा, चेतन डूडी और दानिश अबरार की 2020 में उनकी सरकार के खिलाफ विद्रोह के बारे में उन्हें सचेत करने के लिए प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि ये तीनों विधायक, बसपा से कांग्रेस में आकर बने विधायक और निर्दलीय विधायक जिन्होंने 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान उनका समर्थन किया था और उनकी सरकार को बचाया था, वे उनकी सरकार में मंत्री बनने के लायक थे लेकिन वह राजनीतिक कारणों से ऐसा नहीं कर सके और उन्हें इसके बारे में दुःख है।