साल 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में गवाही देने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा मध्य प्रदेश से मुंबई लाया गया एक गवाह अपने बयान से मुकर गया और उसने कहा कि वह साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को नहीं जानता। मुकदमे में पक्षद्रोही होने वाला यह 31वां गवाह है।
ये गवाह अपने एक वकील के साथ मुंबई आया था। जब वह गवाह कठघरे में था, तो विशेष लोक अभियोजक अविनाश रसल ने आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा दर्ज किए गए उसके बयान की ओर इशारा किया। रसल ने कहा कि एटीएस के बयान में वर्णित विवरण व्यक्तिगत प्रकृति के हैं और ऐसा गवाह द्वारा जांचकर्ताओं को इस बारे में बताने के बाद ही संभव है। हालांकि, गवाह ने कहा कि उसे एक बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था जिसे जांच अधिकारी ने पहले ही लिख लिया था।
इस गवाह ने आरोप लगाया कि उसके साथ मारपीट की गई, उसे प्रताड़ित किया गया और एटीएस द्वारा बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया, जो एनआईए के कार्यभार संभालने से पहले इस मामले की जांच कर रही थी। उसने कहा कि उसे करीब 18-20 दिनों तक बंदी बनाकर रखा गया था।
गवाह को एक आरोपी रामजी कलसांगरा का रिश्तेदार बताया गया है, जो इस मामले में वांछित है। गवाह ने एटीएस को दिए अपने बयान में कहा था कि उसने कालसांगरा को मोटरसाइकिल चलाते देखा था और मोटरसाइकिल उसे प्रज्ञा ठाकुर ने दी थी। उस बयान के अनुसार, उन्हें साध्वी से भी मिलवाया गया था।
हालांकि, इस बार अब गवाह ने कहा कि एटीएस द्वारा प्रताड़ित किए जाने के बाद वह घर वापस चला गया और 2008 में इंदौर कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई।
बता दें कि मालेगांव में जांच अब लगभग पूरा ही होने वाला है, क्योंकि 20-22 और गवाह बचे हुए हैं जिनमें ज्यादातर पुलिस अधिकारी ही हैं जिन्होंने इस मामले की जांच की है। ये मामला साल 2008 का है जब मालेगांव के भीखू चौक पर कथित रूप से साध्वी प्रज्ञा की मोटरसाइकिल में बम धमाका हुआ था जिसमें आधा दर्जन लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए थे। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि पुरोहित दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत की बैठकों का हिस्सा रहे थे, जहां साजिशकर्ताओं की बैठकें कथित रूप से आयोजित की गई थीं।