दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुए साइबर अटैक पर FIR दर्ज की गई है जिसमें कहा गया है कि यह साइबर अटैक चीन की ओर से हुआ था। हैकर्स ने अस्पताल के 100 सर्वरों में 40 फिजिकल और 60 वर्चुअल रूप से हैक किया था। हालांकि इनमें से पांच सर्वरों का डेटा सफलतापूर्वक रिकवर कर लिया गया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने ये जानकारी दी है।
AIIMS Delhi server attack | FIR details that the attack originated from China. Of 100 servers (40 physical & 60 virtual), five physical servers were successfully infiltrated by the hackers. Data in the five servers have been successfully retrieved now: Senior officials from MoHFW
— ANI (@ANI) December 14, 2022
सबसे पहले 23 नवंबर को सिस्टम में गड़बड़ी का मामला आया था और फिर और दो दिन बाद यानी 25 नवंबर को दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट ने जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का मामला दर्ज किया था। हालांकि, पुलिस ने वैसी खबरों का खंडन किया था जिसमे कहा गया था कि हैकर्स ने सिस्टम को रिस्टोर करने के लिए फिरौती के तौर पर क्रिप्टोकरेंसी में 200 करोड़ रुपए मांगे हैं।
NIA अब टार्गेट रैंसमवेयर हमले की जांच कर रही है। NIA के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और दिल्ली साइबर क्राइम सेल, भारतीय साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन, खुफिया ब्यूरो, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) साइबर हमले की भी जांच कर रहे हैं।
मालूम हो कि एम्स में अपॉइंटमेंट से लेकर बिलिंग व मरीजों और विभागों के बीच रिपोर्ट शेयर करने तक लगभग सभी सेवाएं ऑनलाइन हैं, जोकि कि पूरी तरह से प्रभावित हो गई थीं। इसके लिए अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात किया गया था ताकि अस्पताल को मैनुअल मोड में चलाया जा सके।
उस समय एम्स ने एक बयान कर कहा था कि ई-अस्पताल डेटा बहाल कर दिया गया है। सेवाओं को बहाल करने से पहले नेटवर्क को क्लीन किया जा रहा है। डेटा की मात्रा और अस्पताल सेवाओं के लिए सर्वर/कंप्यूटर की बड़ी संख्या के कारण प्रक्रिया में कुछ समय लग रहा है। साइबर सुरक्षा के लिए उपाय किए जा रहे हैं।
इसी हफ्ते सोमवार को साइबर अटैक का ये मुद्दा संसद में उठा। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इसकी पूरी जांच कराने और इसे दोबारा न होने के उपाय करने के लिए सरकार से अपील की थी। उन्होंने लोकसभा में कहा था कि, “हमले की उत्पत्ति, इरादा और सीमा स्पष्ट नहीं है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह “शत्रुतापूर्ण सीमा पार हमला” होने की संभावना एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने आगे कहा, “यह हमारे देश में विशेष रूप से सरकारी संस्थानों में कमजोर डेटा सुरक्षा उपायों को भी दर्शाता है।”
बता दें कि प्रत्येक वर्ष, बड़े नेता, नौकरशाह और जज सहित लगभग 38 लाख मरीज एम्स में इलाज करवाते हैं।
कब कब हुए बड़े साइबर अटैक?
2017: यूके के नेशनल हेल्थ सिस्टम ‘एनएचएस’ पर रेनसमवेयर साइबर अटैक हुआ था और करीब 15 दिनों तक मैनुअल तरीके से काम करना पड़ा था। भारत में भी चार साल पहले तक 48000 से ज्यादा ‘वेनाक्राई रेनसमवेयर अटैक’ डिटेक्ट हुए थे।
2016: हैकर्स ने मात्र तीन घंटे में जापान के 14 हजार एटीएम से 1.4 बिलियन येन, निकाल लिए थे। साउथ अफ्रीका के एक बैंक से डाटा चुराकर नकली क्रेडिट कार्ड तैयार किए गए।
2007: यूरोप के एस्टोनिया और वहां की संसद पर प्रभाव डालने के लिए बड़े स्तर पर ‘क्रिटिकल इंर्फोमेशन इंफ्रास्ट्रक्चर’ को निशाना बनाया गया। वहां पर तीन सप्ताह साइबर हमलों का असर देखने को मिला।
– 2019 तक ‘वेनाक्राई’ रेनसमवेयर ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के 230000 कंप्यूटर को संक्रमित कर दिया था। इरान का न्यूक्लियर पावर प्लांट, स्टक्सनेट वायरस से ग्रसित हो गया था। यूक्रेन की पावर कंपनियां भी साइबर अटैक से नहीं बच सकी थी। ‘शूमन’ वायरस ने सऊदी अरब की फर्म ‘अरामको’ के 30 हजार से ज्यादा कंप्यूटरों को संक्रमित कर दिया था।