केरल हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा है कि तलाक अधिनियम 1869 की धारा 10ए को रद्द किया जाता है, जिसमें आपसी सहमति से तलाक के लिए आवेदन देने से पहले पति-पत्नी को 1 साल या उससे ज्यादा समय के लिए अलग रहने को अनिवार्य बताया गया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि धारा-10ए के तहत एक साल के अलग रहने की अवधि का निर्धारण मूलभूत सिद्धांतों का उल्लंघन है और इसे असंवैधानिक घोषित किया जाता है।
जस्टिस ए मुहम्मद मुस्ताक और जस्टिस शोभा अन्नम्मा ईपेन की पीठ ने कहा कि तलाक के लिए इस तय समयावधि का इंतजार करने से नागरिकों की स्वतंत्रता का अधिकार प्रभावित होता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को देश में यूनिफॉर्म मैरिज कोड लागू करना चाहिए ताकि शादी में विवाद उठने पर पति-पत्नी दोनों का हित बना रहे। हाईकोर्ट ने जोर देकर केंद्र सरकार से भारत में एक समान विवाह संहिता पर गंभीरता से विचार करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा, “राज्य का ध्यान अपने नागरिकों के कल्याण और भलाई को बढ़ावा देने पर होना चाहिए। भलाई के समान उपायों की पहचान करने में धर्म के लिए कोई जगह नहीं है।”
Kerala High Court has held that the fixation of the minimum period of separation of 1 year under Section 10A of the Indian Divorce Act, 1869 is violative of the fundamental rights and struck it down.
— ANI (@ANI) December 9, 2022
कोर्ट ने आज की सुनवाई के दौरान कहा कि कानून बनाने वाले जानते हैं कि दंपति के लिए सबसे बेहतर क्या है। लेकिन इस कानून के चलते परेशानियां खड़ी हो रही हैं। वर्तमान समय में फैमिली कोर्ट एक और जंग का मैदान बन गया है, जहां तलाक लेने वाली दोनों पार्टियों की तकलीफों में इजाफा होता है। अब समय आ गया है कि इस कानून में बदलाव लाया जाए।
केरल हाईकोर्ट ने यह आदेश एक ईसाई दंपति द्वारा दायर उस याचिका पर दिया जिसमें तलाक अधिनियम-1869 की धारा-10ए के तहत तय की गई अलग रहने की एक साल की अवधि को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी गई थी। इससे पहले फैमिली कोर्ट ने इनकी याचिका यह कहकर खारिज कर दी थी कि इस एक्ट की धारा 10ए के तहत तलाक की याचिका दायर करने के लिए शादी के बाद एक साल तक अलग-अलग रहना अनिवार्य है। इसके बाद इस क्रिश्चियन कपल ने फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था। दंपति ने इस एक्ट की धारा 10ए(1) को असंवैधानिक घोषित करने के लिए एक रिट याचिका दायर की थी।