देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दोषियों को दी गई रिहाई के फैसले के खिलाफ कांग्रेस पार्टी जल्द ही शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी है। कांग्रेस पार्टी की तरफ से पहले कहा गया था कि पार्टी केंद्र सरकार की ओर से दायर रिव्यू पिटीशन के अंतर्गत हस्तक्षेप याचिका दाखिल करेगी लेकिन बाद में पार्टी की तरफ से स्पष्ट किया गया कि वे हत्या के सभी दोषियों की रिहाई के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल करेंगे।
Congress to file a fresh review petition in Supreme Court challenging premature release of convicts on the grounds set up in the order in Former PM Rajiv Gandhi's assassination case: Sources
— ANI (@ANI) November 21, 2022
मालूम हो कि कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाधी के हत्यारों की रिहाई को दुर्भाग्यपूर्ण और गलत बताय था। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा था, ‘पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अन्य हत्यारों को मुक्त करने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है। कांग्रेस इसकी आलोचना करती है और इसे पूरी तरह से अक्षम्य मानती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया।’
इससे पहले केंद्र सरकार ने 17 नवंबर को 6 दोषियों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।
केंद्र की पुनर्विचार याचिका मे कहा गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के मामले में कोर्ट को केंद्र सरकार का भी पक्ष सुनना चाहिए था। इस याचिका में सरकार ने कहा है कि राजीव गांधी की हत्या करने वाले दोषियों की सजा में छूट देने का निर्देश भारत सरकार को सुनवाई का उचित अवसर प्रदान किए बिना ही किया गया है। पूर्व पीएम के हत्याकांड के दोषियों ने भारत सरकार को याचिका में पक्षकार नहीं बनाया। केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से इसी चूक के कारण मामले की सुनवाई में केंद्र सरकार की भागीदारी नहीं रही। याचिका में आगे कहा गया है कि इसी वजह से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का इस केस में उल्लंघन हुआ है जिससे न्याय का पतन हुआ। जिन छह दोषियों को छूट दी गई है, उनमें से चार श्रीलंकाई नागरिक हैं।
केंद्र सरकार ने अपनी इस याचिका में कहा कि ‘देश के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के इस अपराध के लिए हमारे देश के कानून के अनुसार दोषी ठहराए गए दूसरे देश के आतंकवादी को छूट देना, एक ऐसा मामला है जिसका अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव होगा और इसलिए यह पूरी तरह से भारत सरकार की संप्रभु शक्तियों के अंदर आने वाला मामला है। याचिका में कहा गया है कि ऐसे संवेदनशील मामले में भारत सरकार की भागीदारी सर्वोपरि थी क्योंकि इस मामले का देश की सार्वजनिक व्यवस्था, शांति व्यवस्था और आपराधिक न्याय प्रणाली पर बहुत ही ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
मालूम हो कि बीते 11 नवंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों को रिहा किए जाने का निर्देश दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद नलिनी समेत छह दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया था।
इन दोषियों में नलिनी श्रीहरन, श्रीहरन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और रविचंद्रन शामिल हैं। नलिनी और रविचंद्रन दोनों 30 साल से ज्यादा वक्त से जेल में थे। इससे पहले 18 मई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक और दोषी पेरारिवलन को रिहाई का आदेश दिया था। बाकी दोषियों ने भी उसी आदेश का हवाला देकर कोर्ट से रिहाई की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि पेरारिविलन मामले में एससी का फैसला बाकी 6 दोषियों पर भी लागू होता है।
इन दोषियों की रिहाई के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था- ‘मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। राज्यपाल को चुनी हुई सरकार के फैसले को नहीं बदलना चाहिए’।
तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल से दोषियों को रिहा किए जाने की सिफारिश की थी-
तमिलनाडु सरकार ने राजीव हत्याकांड के दोषियों श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की रिहाई से पहले ही उनका समर्थन करते हुए कहा था कि उनकी उम्रकैद की सजा माफ करने को लेकर राज्य सरकार की 2018 की सलाह राज्यपाल पर बाध्यकारी है। दो अलग-अलग हलफनामों में, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 9 सितंबर, 2018 को हुई कैबिनेट की बैठक में उसने सात दोषियों की दया याचिकाओं पर विचार किया था और राज्यपाल के सामने संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इन दोषियों की आजीवन कारावास की शेष सजा माफ करने का प्रस्ताव रखा था।
इस हत्याकांड के 19 दोषी पहले ही हो चुके हैं रिहा-
इस मामले में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था उसमे से 12 लोगों की मौत हो चुकी थी और तीन फरार हो गए थे। उसके बाद जो बाकी 26 लोग पकड़े गए थे उसमे श्रीलंकाई और भारतीय नागरिक थे। फरार आरोपियों में प्रभाकरण, पोट्टू ओम्मान और अकीला थे। आरोपियों पर टाडा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी। करीब 7 साल तक कानूनी प्रक्रिया चलने के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट ने 1000 पन्नों का फैसला सुनाया जिसमे सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई। उसके बाद टाडा कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस पूरे फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 दोषियों को रिहा कर दिया। सिर्फ 7 दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा और फिर उसे भी बाद में बदलकर उम्रकैद कर दिया।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली में एक आत्मघाती हमले में LTTE की एक महिला द्वारा हत्या कर दी गई थी। महिला ने राजीव गांधी को माला पहनाई थी, इसके बाद धमाका हो गया। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हुई थी।