नई दिल्ली: देश की राजधानी में बसे लुटियन्स के बीचों-बीच बेहद शांत और सुकून से बसे 5 विंडसर प्लेस में महिला पत्रकारों के दूसरे घर के तौर पर जाना जाने वाला नाम (IWPC) इंडियन वुमन प्रेस कॉर्प्स (IWPC) और फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया (FCC) आजकल एक अलग तरह की मुसीबतों का सामना कर रहा है। इन दोनों बंगले की लीज 31जुलाई को समाप्त हो चुकी है। इनकी लीज 3 महीने पहले 31 जुलाई तक बढ़ाई गई थीं। लेकिन अब आगे के सवाल पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ हैं।
रेनुएल करने के नाम पर सरकारी दफ्तर में सन्नाटा पसरा है-
दिल्ली के दो प्रमुख पत्रकार क्लबों – इंडियन वुमन प्रेस कॉर्प्स (IWPC) और फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया (FCC) पर बेदखली का खतरा मंडरा रहा है।
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने पर पता चला की (DoE), मंत्रालय के तहत आने वाले विभाग के द्वारा अभी तक इसका रेनुएल नहीं किया गया है। ये विभाग दिल्ली में सरकारी बंगलों के आवंटन के साथ रेनुएल का काम देखता है। इसे अभी तक रेनुएल का कोई आदेश नहीं मिला है।
IWPC का पता अशोक रोड पर 5 विंडसर प्लेस है, और FCC मथुरा रोड पर बंगला नंबर AB-19 से संचालित होता है।
DoE ने पिछली बार दोनों क्लबों के रेनुएल को 4 मई को 31 जुलाई तक मंजूरी दी थीं। साथ ही विभाग ने दोनों को नोटिस भेजकर उपयुक्त आवास खोजने और 31 जुलाई को या उससे पहले जगह खाली करने को कहा था। जब इसकी तहकीकात की गई तो अलग ही कहानी सुनाई गई नये मंत्रियों और सांसदों के लिए जगह चाहिए इसलिए रेनुएल होने की संभावना नहीं हैं। लेकिन ये असल वजह नहीं है वो भी तब जब सरकार ने मंत्रियों के लिए कई जगहों पर नये फ्लैट और आवासीय परिसर बनाये है।
इससे पहले पत्रकारों को मिलने वाले RK पुरम के आवास भी छीन लिये गये थे, अचानक इतने अधिकारी और मंत्री और सांसद कहा से आ गए जिनकी जरूरत इन दोनों बंगलों से ही पूरी होगी। क्या ये कोई और ही बहाना है जो महिला पत्रकारों की जरूरतों पर भारी है। सरकार के तरफ से मिले इन बंगलों की बाकायदा मासिक किश्त जाती है जिसके बदले दिन भर भाग दौड़ करके दुर्गम परिस्थितियों में नौकरी कर रही महिला पत्रकारों को सुकून से एक जगह बैठ कर काम करने और घर जैसे खाने की थाली मिल पाती है। क्लब अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों के परिवार का भी सहारा है जिनके घरों में यहां मिलने वाले रोजगार से रोटी मिल रही है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी जब घर-घर शौचालय की बात करते है तो यहीं IWPC 24 घंटे काम करने वाली नई और पुरानी महिला पत्रकारों के लिए साफ सुथरा और आरामदायक शौचालय के साथ निश्चित होकर काम करने की सुविधा देता है।
महिला पत्रकारों की भागदौड़ वाली स्थिति और उनके स्वास्थ्य के साथ लैंगिक हाइजीन को देखते हुए 1994 में IWPC की शुरुआत की गई ये भारत की महिला पत्रकारों का पहला संघ है। इसकी शुरुआत 18 महिला पत्रकारों ने की थी। ये जगह क्लब से ज्यादा महिला पत्रकारों का घर है। इसकी नींव रखने वाली महिला पत्रकारों ने अपने घरों से फर्नीचर, क्रोकरी पर्दे लाकर इसे आज की आने वाली महिला पत्रकारों के लिए आरामदायक बनाया है। आज क्लब के 800 से ज्यादा मेंबर्स है जो अपने क्षेत्र के तेज़तर्रार महिला पत्रकारों के तौर पर जाने जाते है। देश में पड़ी किसी भी आपदा में इस क्लब की महिला पत्रकारों ने सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर मदद की है। केदारनाथ का मौत का मंजर और यहाँ से भेजे जाने वाले राहत कोष में जरूरत की वस्तुओं पर मेहनत करना उसमें से एक रहा है।
IWPC की वर्तमान अध्यक्ष शोभना जैन ने तक्षकपोस्ट से कहा हमें उम्मीद है हमारी बात सुनी जायेगी और सरकार महिला पत्रकारों के मुद्दे पर हमेशा साकारात्मक रही है, सरकार में बैठे लोग जानते है कि पत्रकारों को कैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है घर के साथ पेशे की चुनौतियों से दो चार होना पड़ता है, ऐसे में ये क्लब नहीं एक घर है महिला पत्रकारों के लिए और क्लब की सभी सदस्य एक दूसरे के साथ खड़ी रही है इस बार भी हम रेनुएल के लिए अपना प्रयास कर रहे है।
FCC-
भारत में काम करने वाले विदेशी पत्रकारों द्वारा 1958 में स्थापित, फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, मालदीव, अफगानिस्तान और तिब्बत को कवर करने वाले 500 से अधिक पत्रकारों और फोटोग्राफरों का एक समूह है।