मणिपुर, गोआ, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मौजूदा चुनावों के कुछ पहले और उनके अंत वक़्त भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों के ‘ न्यू इंडिया ‘ में बीती सदी में चीन की तरह का अफीम युद्ध छिड़ गया है। भारत के सांविधिक निर्वाचन आयोग ने इसकी तरफ अपनी आँखें मूँद ली है। हड़बड़ गड़बड़ गोदी मीडिया ने इसकी कोई खास खबर नहीं दी और ली है। गुजरे जमाने में दिवंगत प्रभाष जोशी के सम्पादन में हिन्दी दैनिक जनसत्ता के ध्येय वाक्य:सबकी खबर ले सबकी खबर दे की तर्ज पर खबरिया टीवी चैनल एनडीटीवी के एक अदद एंकर रविश कुमार बचे हैं तो आखिर अब क्या-क्या करें?
केंद्र में कांग्रेस के यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) की लगातार दो बार बनी गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जगह 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) की आई सरकार में नए प्रधानमंत्री बने मोदी जी की लोगों में एक छवि फ़ेंकू की है और एक छवि चिलमची जैसी भी है। हकीकत खुदा जाने।लेकिन,उफ ये लेकिन! हिंदुस्तान की युवा पीढ़ी को अफीम के नशेड़ी बना कर बर्बाद करने के गोरखधंधा में हालिया चुनावों में बड़ी तेजी आ गई।
केंद्र सरकार के मातहत डिरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेन्स (डीआरई) यानि राजस्व खुफिया निदेशालय के कुछ अफसरों ने 15 सितंबर 2021 को गुजरात के कच्छ जिला में मोदी जी के बहुत करीबी कारोबारी गौतम अडानी के मालिकान में आ गई मुँदरा बंदरगाह पर हेरोईन जब्त की। उसकी कीमत विदेशी बाजार में करीब नौ हजार करोड़ रुपये आँकी गई। अंग्रेजी दैनिक इकोनॉमिक टाईम्स के पूर्व असोसिएट एडिटर और अभी वैजाग (आंध्र प्रदेश) में लघु उधमी जीवी रमन्ना के मुताबिक मोदी जी के न्यू इंडिया में कुछ बहादुर अफसर बचे हैं जिनमें अपनी ड्यूटी निभाने के लिए नरभक्षी जानवर की गुफा में भी घुस जाने की हिम्मत है। लेकिन मुँदरा गोदी पर हेरोईन की उस खेप की जब्ती के बाद ‘उपर ‘के ऑर्डर पर आगे की जांच ढीली कर मामला लगभग दबा दिया गया। उस रहस्यपूर्ण कहानी की और ज्यादा चर्चा हम बाद में करेंगे। पहले हालिया चुनावों के बीचों-बीच कुछ खुली और कुछ अनखुली कहानी पर चुनाव चर्चा के इस अंक में नजर डाल लें तो बेहतर होगा।
तो नई कहानी ये है कि स्पेशल टास्क फोर्स, उत्तर प्रदेश (लखनऊ) ने चरस आदि अवैध नशीले पदार्थ की इंटरनेशनल स्मगलिग में लगा गिरोह पकड़ा है। अवैध चरस की तस्करी करने के आरोप में यूपी के कानपुर देहात जिला में 14 फरवरी 2020 को बिहार के पश्चिम चम्पारण जिला के शिकारपुर निवासी अब्दुल मन्नान अंसारी को 9 किलो चरस के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। इसकी कीमत विदेशी बाजार में 45 लाख रूपये है। एसटीएफ को खबर मिली भारत -नेपाल सीमा क्षेत्र में चरस की तस्करी के गिरोह फिर सक्रिय हो गये हैं। वे विभिन्न जगहों पर चरस की खेप प्राइवेट कूरियर एजेंसियों के जरिए भेज रहे है। गिरोह के पकड़े अपराधी नेपाल से चरस लेकर बस से गोरखपुर होते हुए कानपुर देहात आए थे। उनसे पूछताछ में पता चला कि ये तस्कर नेपाल से चरस लाकर कहीं छिपा देते हैं।फिर बाजार की मांग और खपत के हिसाब से उसे भारत में भेजते रहते हैं। भारत में चुनावों के समय इसकी मांग और खपत बढ़ जाती है। पकडा गया चरस नेपाल के वीरगंज से लाया गया था। उसकी डिलीवरी प्रति किलो 10 हजार रूपये की दर से करनी थी। ये गिरफ्तारी नारकोटिक एंड साइको ट्रॉपिक सब्सटाँस (एनडीपीएस) एक्ट की धाराओं के तहत की गई.कानपुर देहात के रुरा थाना में एफआईआर दर्ज कर आगे कार्यवाही की जा रही है।
हम जानते हैं अफगानिस्तान से चरस की इंटरनेशनल समगलिंग करने वाले आरडीएक्स विस्फोटक, एके 47 रायफल आदि की भी तस्करी करते है। समुद्री रास्ते से इनकी तस्करी ज्यादा मुनाफेदार है। नेपाल का अपना कोई समुंदरी रास्ता नहीं है। वहाँ से आगे चीन है जो अफीम युद्ध झेल चुका है और बगल में कई बंदरगाह वाला भारत देश है। मोदी सरकार के मुताबिक उसके राज में मुँदरा जैसे निजी बंदरगाह , पुरानी सरकारी गोदियों से ज्यादा कुशल है। ये भी गौरतलब है कि इस धंधे से मुनाफा का बड़ा हिस्सा बड़े अपराध और चुनाव में भी इस्तेमाल किया जाता है।
डेकन हेराल्ड की खबर के मुताबिक मुँदरा में पकड़े गए तीन टन चरस के पहले 72 हजार करोड़ रुपये का 24 टन चरस गुजरात से बाहर निकाला जा चुका है। 24 टन चरस भारत के चुनावों में उड़ रहा है। लेकिन उसकी कोई खबर ही नहीं है।
चीन का अफीम युद्ध-
औपनिवेशिक ब्रिटिश हुकूमत ने चीन में 1839 से 1842 और 1856 से 1860 तक दो अफीम युद्ध काराये। लगभग पूरा चीन अफीमची बन गया। मॉर्फीन के इस कारोबार में हिंदुस्तान में टाटा और बिड़ला घरानों की सप्लायर कंपनियों ने भी हाथ बँटाया। इसके मुनाफा से टाटा ने नागपुर में एम्प्रेस कॉटन मिल खोली और बिड़ला ने कोलकाता और ग्वालियर में सूती मिल खोल ली।
हमें मालूम होना चाहिए कि पाकिस्तान की सीमा से लगा पंजाब 1980 के दशक में आतंकवाद के दौर में नशीले पदार्थों की आदत का गुलाम बन गया था। इस पर “ उड़ता पंजाब “ नाम से पूरी फिल्म बन चुकी है मुँदरा में 2,988.21 किलो यानि 3 टन मॉर्फीन जब्त की गई। 120 किलो चरस से 40 किलो मॉर्फीन बनती है। चरस भारत में अफगानिस्तान से पहुंचता है जो वहाँ से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद फिर तालीबानियों के हाथों में चला गया है। अफगानिस्तान में रूस का आधिपत्य रोकने के लिए जब अमेरिकी सेना तैनात थी तब भी अफीम का कारोबार चलता रहा था।
डीआरआई ने मुँदरा गोदी से इस जब्ती के बाद की जांच में चेन्नई से एक दम्पत्ति एम सुधाकर और जी दुर्गापूर्णा वैशाली को पकड़ा जिनकी इम्पोर्ट फर्म है। उस पर प्रीवेनशन ऑफ मनी लाउंड्रीनग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया गया, पाउडर के रूप में ये खेप मुंडरा बंदरगाह पर ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह से पहुंची थी।उसका आयात विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) में रजिस्टर्ड कंपनी ने किया था। पूरी खेप 1999.57 किलो और 988.64 किलो के दो कंटेनर में थी। डीआरआई ने इस सिलसिले में अहमदाबाद, दिल्ली , चेन्नई और मंडावी में छापे मार दो लोग गिरफ्तार किये। उसके बाद की कहानी अभी तक सामने नहीं आई है।
बहरहाल , कार्ल मार्क्स ने लिखा था कि धर्म, लोगों की अफीम है। मोदीराज में धर्म कितना है , ये भगवान जाने। लेकिन चुनावों के वक्त नशा में कोई कमी न रहे इसके लिए पूरा इंतजाम है।
मीडिया और सियासी हल्कों में सीपी नाम से परिचित पत्रकार, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया समाचार एजेंसी के मुंबई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से रिटायर होने पर पिछले चार बरस से बिहार के अपने गाँव में खेती-बाड़ी और स्कूल चलाने के अलावा हिन्दी अंग्रेजी में नियमित लेखन कर रहे हैं।