प्रयागराज: तीन दिन बाद मौत के अनसुलझे रहस्यों के बीच आखिर महंत नरेंद्र गिरि ब्रह्म में लीन हो गए हैं। उन्हें उनके ही बाघंबरी मठ में बुधवार को भू-समाधि दे दी गई है। बताया जाता है कि ये उनकी अंतिम इच्छा भी थी। उन्हें उसी नींबू के पेड़ के नीचे भू समाधि दी गई जिसको उन्होंने खुद अपने हाथों से लगाया था। उन्होंने ये भी लिखा था कि उनको उसी नींबू पेड़ के नीचे समाधि दी जाये। बताया गया कि भू-समाधि की अंतिम प्रक्रिया नरेंद्र गिरि के सुसाइड में घोषित उत्तराधिकारी बलवीर ने संपन्न कराई। इससे पहले उनके शव का प्रयागराज में पोस्टमार्टम कराया गया था। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी के शव का पांच सदस्यीय टीम ने पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम करीब दो घंटे तक चला। पोस्टमार्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट आ गई है, जिसमें प्रथम दृष्टया दम घुटने से मौत की पुष्टि की गई है। हालांकि फाइनल रिपोर्ट तो बिसरा की जांच के बाद ही आएगी।
इसके बाद पार्थिव शरीर को शहर भर में घुमाते हुए संगम तट ले जाया गया। संगम पर स्नान कराया गया। इसके बाद पार्थिव शरीर को हनुमान मंदिर ले जाया गया।सारी प्रक्रिया होने के बाद बाघंबरी मठ में भू समाधि देने की प्रक्रिया शुरू की गई। बताया गया कि नरेंद्र गिरि को सबसे पहले पालथी मारकर बैठाया गया। इसके बाद समाधि को मिट्टी से ढका गया। फिर इसके बाद गोबर से लीपकर उस पर एक शिवलिंग रखा गया। जिस नींबू के पेड़ को महंत नरेंद्र गिरि ने लगाया था, उसी के नीचे उन्हें वैदिक मंत्रोच्चार और शिव उद्घोष के साथ भू समाधि दी गई। इस दौरान 13 अखाड़ों के साधु-संतों ने फूल और मिट्टी डालकर भू समाधि की प्रक्रिया को संपन्न कराया गया। इसके बाद शुद्धिकरण की प्रक्रिया शुरू की गई।इसी नीबू के पेड़ के उत्तर महंत नरेंद्र गिरि के गुरु की भी समाधि है। समाधि स्थल तल मीडिया व अन्य लोगों के आने-जाने पर रोक रही। पुलिस ने बैरीकेडिंग कर रखा था।