सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास नोटिस और अमेरिकी हेज फंड टाइकून जॉर्ज सोरोस और सोनिया गांधी के बीच कथित सांठगांठ को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के बाद गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही फिर से बाधित हुई। गौतम अडानी रिश्वत मामले पर भाजपा और कांग्रेस सदस्यों के बीच बहस के बाद लोकसभा को भी स्थगित कर दिया गया।
जैसे ही राज्यसभा में कार्यवाही शुरू हुई, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने धनखड़ के खिलाफ टिप्पणी को लेकर कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे पर निशाना साधा। नड्डा ने कहा कि खड़गे की टिप्पणी ”आपत्तिजनक” थी।
नड्डा ने कहा, “राज्यसभा के सभापति से स्वीकार्यता के संबंध में या अन्य उद्देश्यों के लिए सवाल नहीं किया जा सकता है। सभापति के फैसले पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है या उसकी आलोचना नहीं की जा सकती है। ऐसा करना सदन की अवमानना है।”
कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने सदन की कार्यवाही के संचालन में “स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण” होने का आरोप लगाते हुए धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।
राज्य सभा में नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि ये बहुत आपत्तिजनक है, इसकी जितनी भर्त्सना की जाए वो कम है। जैसा मैंने कहा कि उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया कि उन्हें मौका नहीं मिलता। आपको एक बार नहीं कई बार चैंबर में बुलाया गया है।
नड्डा ने कांग्रेस नेतृत्व पर सोरोस समर्थित संगठनों के साथ संबंध रखने का भी आरोप लगाया जो कथित तौर पर भारत को अस्थिर करने के लिए काम कर रहे थे। नड्डा ने कहा, ”देश पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के बीच संबंध जानना चाहता है। जो इसको देश को अस्थिर करने के लिए पैसा देता है और उसकी कठपुतली बन के कांग्रेस आवाज उठाती है। देश को भटकाने के लिए आपको माफी नहीं मिलेगी। मैं इसके लिए निंदा प्रस्ताव लाने की बात करता हूं।”
इससे पहले बुधवार को, खड़गे ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अविश्वास प्रस्ताव नोटिस प्रस्तुत करने के कदम का बचाव करते हुए धनखड़ पर अपने “अगले प्रमोशन” के लिए सरकारी प्रवक्ता के रूप में कार्य करने का आरोप लगाया था।
इस बीच, कांग्रेस ने अमेरिका द्वारा रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी मामले में अडानी को दोषी ठहराए जाने पर संसद परिसर में अपना अनोखा विरोध प्रदर्शन जारी रखा। विपक्षी सांसदों ने “देश बिकने नहीं देंगे” लिखी तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया और अडानी समूह के लेनदेन की संयुक्त संसदीय जांच की मांग करते हुए नारे लगाए।