कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के नवनियुक्त प्रिंसिपल को बर्खास्त कर दिया गया है क्योंकि छात्रों ने पिछले सप्ताह अस्पताल में तोड़फोड़ के दौरान प्रशासनिक ड्यूटी पर मौजूद लोगों को हटाने की मांग की थी। 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर के भयावह बलात्कार और हत्या पर हंगामे के बाद और डॉ. संदीप घोष के पद से इस्तीफा देने के बाद डॉ. सुहृता पॉल को आरजी कर अस्पताल का प्रिंसिपल नियुक्त किया गया था।
डॉ. पॉल के अलावा अस्पताल अधीक्षक और अस्पताल के चेस्ट विभाग के प्रमुख को भी बर्खास्त कर दिया गया है। इसके अलावा सरकार ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के विवादास्पद पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में तबादले के आदेश को रद्द कर दिया।
इस बीच बंगाल सरकार ने मानस बंद्योपाध्याय को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के नए प्रिंसिपल की जिम्मेदारी सौंपी है। इससे पहले वह बारासात मेडिकल कॉलेज औऱ अस्पताल में प्रिंसिपल के पद पर तैनात थे।
इससे पहले बुधवार देर शाम पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की पीड़िता के परिजनों से घर पर जाकर मुलाकात की। इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि मैंने माता-पिता दोनों की बात सुनी है। मैं बंद लिफाफे में मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा। उन्होंने मुझे कुछ बातें बताईं, जो अभी गोपनीय हैं।
राज्यपाल के करीबी सूत्रों के अनुसार बेटी की मौत के कारण माता-पिता की पीड़ा को देखकर सीवी आनंदर बोस भावुक हो गए। इसके अलावा उन्होंने मंगलवार को पीड़िता के माता-पिता से 2 बार फोन पर बात की और उन्हें न्याय का आश्वासन दिया था। पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में बुधवार को स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रहीं, क्योंकि जूनियर डॉक्टरों ने लगातार 13वें दिन भी काम बंद रखा।
वहीं इस मामले का विरोध कर रहे छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी मांगों को उठाने के लिए पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य भवन की ओर मार्च किया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक में, उन्होंने मांग की कि चिकित्सा अधीक्षक सह उप-प्रिंसिपल (एमएसवीपी) और प्रिंसिपल जैसे सभी प्रशासनिक व्यक्ति, जो बर्बरता के दिन उपस्थित थे, को बदलने की जरूरत है। इसके बाद, बंगाल सरकार ने डॉ. पॉल और अन्य को हटाने का आदेश दिया।
आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर चिकित्सकों और स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों पर हमलों से निपटने के लिए एक केंद्रीय कानून लाने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। आईएमए ने कहा, ‘हम मांग करते हैं कि मसौदा विधेयक 2019 में महामारी रोग संशोधन अधिनियम, 2020 के संशोधित भाग और केरल सरकार के कोड ग्रे प्रोटोकॉल को शामिल करते हुए भारत के डॉक्टरों के मन में विश्वास पैदा करने के लिए एक अध्यादेश के रूप में घोषित किया जाए।’
पत्र में आईएमए ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए केंद्र के प्रति आभार भी जताया है। हालांकि, एसोसिएशन ने कहा कि इन उपायों के बावजूद अभी भी देश में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई है। पत्र में पिछले चार डॉक्टरों की मौत का भी जिक्र किया गया है, जिन्होंने ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाई है।
पत्र में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की भी प्रशंसा की गई, जिसमें डॉक्टरों की सुरक्षा, रेजिडेंट डॉक्टरों के काम करने और रहने की स्थिति एवं आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना की आवश्यक कार्रवाई के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) को जिम्मेदारी सौंपने का आदेश दिया गया था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के लगभग 150 जवानों को तैनात किया गया है।
शीर्ष अदालत के आदेश के एक दिन बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सरकारी अस्पताल में सीआईएसएफ की तैनाती की बात कही। सूत्रों ने बताया कि इसके बाद सीआईएसएफ की तैनाती का निर्णय लिया गया है।
वहीं आईटी मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार ट्रेनी डॉक्टर के नाम, फोटो और वीडियो को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तुरंत पालन करने को कहा। सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से मृतक के पहचान योग्य संदर्भों को तुरंत हटाने की मांग करते हुए, आईटी मंत्रालय ने चेतावनी दी कि शीर्ष अदालत के आदेश का पालन करने में विफलता के परिणामस्वरूप कानूनी परिणाम और आगे नियामक कार्रवाई हो सकती है।
मालूम हो कि 9 अगस्त की सुबह आरजी कर अस्पताल में एक 31 वर्षीय स्नातकोत्तर ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। इस घटना से चिकित्सा जगत में भारी हंगामा हुआ और महिलाएं विरोध में सड़कों पर उतर आईं। बलात्कार-हत्या की घटना के कुछ दिनों बाद, भीड़ ने अस्पताल में तोड़फोड़ की, कई लोग घायल हो गए और पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। फुटेज में भीड़ को अस्पताल के आपातकालीन वार्ड और बाहर खड़े कुछ पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ करते हुए दिखाया गया है।