भारतीय सेना ने हाई एल्टीट्यूड एरिया पर ध्यान केंद्रित करते हुए लद्दाख में एक रणनीतिक सैन्य अभ्यास, ‘पर्वत प्रहार’ आयोजित किया है। ‘पर्वत प्रहार’ (माउंटेन स्ट्राइक) अभ्यास पहाड़ी और ऊबड़-खाबड़ इलाकों पर जोर देता है, जैसे कि पूर्वी लद्दाख जैसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यह उस क्षेत्र में सेना की तत्परता और प्रभावशीलता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, जो भारत-चीन सीमा के करीब है।
एक पखवाड़े से अधिक समय तक चलने वाले इस अभ्यास में ऐसे इलाकों में उत्पन्न होने वाली अनूठी चुनौतियों में सैनिकों को प्रशिक्षित करने के लिए वास्तविक दुनिया के युद्ध परिदृश्यों का अनुकरण करना शामिल है। इस ड्रिल में पैदल सेना, बख्तरबंद, तोपखाने और सहायता इकाइयों सहित सेना की विभिन्न शाखाएं भाग ले रही हैं। विभिन्न प्रकार के टैंक, के-9 वज्र सहित तोपें, वायु-रक्षा प्रणाली, यूएवी और सेना की अन्य एविएशन एसेट्स अपनी संचालन क्षमता और युद्ध तैयारियों का प्रदर्शन कर रही हैं।
उत्तरी कमान की माउंटेन स्ट्राइक कोर, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ इस संवेदनशील क्षेत्र में संचालन के लिए जिम्मेदार है, अभ्यास में शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र की रणनीतिक स्थिति और चीन से इसकी निकटता ‘पर्वत प्रहार’ को एक महत्वपूर्ण अभ्यास बनाती है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध वाली जगहों के नजदीक होने वाले इस अभ्यास में देखा जाएगा कि दुश्मन के हमले की स्थिति में हमारे सैनिक सीमा पर मोर्चा संभालने के लिए कितने तैयार हैं। खास बात यह होगी कि इस बड़ी मिलिट्री एक्सरसाइज की समीक्षा करने के लिए आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी इस सप्ताह लद्दाख का दौरा करेंगे।
इस वॉरगेम में भारतीय सेना की स्ट्राइक कोर आर्टिलरी के अलावा आर्म्ड व्हीकल्स को भी शामिल करेगी। इस वॉर एक्सरसाइज से भारतीय सेना को मौजूदा वक्त के हिसाब से नई टेक्नोलॉजी और नए कॉन्सेप्ट को समझने में मदद मिलेगी।
सूत्रों का कहना है कि चीन से मिल रही चुनौती को देखते हुए 1 कोर और 17 कोर को हाल ही में एलएसी पर तैनात करने का फैसला किया गया था। इनमें से 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर (एमएससी) को उत्तर पूर्व और सिक्किम में तैनात किया गया है, जबकि 1 स्ट्राइक कोर को लद्दाख में सीमा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह स्ट्राइक कोर नॉर्दन कमांड के तहत 14 कोर में आती हैं, जिसका मुख्यालय निम्मू में है। तैनाती के बाद से ही ये दोनों स्ट्राइक कोर हाई एल्टीट्यूड एरिया में नई वारफाइटिंग कंसेप्ट को डेवलप करने का काम कर रही हैं।
गलवान में हुई हिंसा के बाद भारत ने एलएसी पर भयंकर सर्दियों में भी सैनिकों की तैनाती को बनाए रखा है। भारत और चीन के बीच गतिरोध को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सैन्य और राजनीतिक स्तर पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन देपसांग और डेमचोक को लेकर अभी भी गतिरोध बरकरार है।
गलवान झड़प के बाद से भारत और चीन चार साल से अधिक समय से सैन्य गतिरोध में हैं। सैन्य और राजनीतिक दोनों स्तरों पर कई दौर की बातचीत महत्वपूर्ण प्रगति हासिल करने में विफल रही है।
2020 के बाद से भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में 500 से अधिक टैंक और बख्तरबंद लड़ाकू वाहन तैनात किए हैं और तेजी से बुनियादी ढांचे का विकास किया है। इसके अतिरिक्त, भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी तैनाती का मुकाबला करने के लिए 50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है, जिसका उद्देश्य चीन द्वारा यथास्थिति को बदलने के किसी भी अन्य प्रयास को रोकना है।
भारत और चीन ने हाल ही में भारत-चीन सीमा मामलों (डब्ल्यूएमसीसी) की बैठक में परामर्श और समन्वय के लिए एक कार्य तंत्र का समापन किया है और जल्द ही एलएसी पर गतिरोध को हल करने के लिए कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के अगले दौर की उम्मीद है।