मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले का एक वीडियो सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि एक बूढ़ा किसान कलेक्टर कार्यालय की फर्श पर हाथ जोड़कर लुढ़क रहा था। वह बार-बार पूछ रहा है कि अब क्या करें? दफ्तर के अधिकारी और आने-जाने वाले लोग उसे देख रहे हैं। वीडियो में परेशान दिख रहा किसान जमीन पर कब्जा करने वाले स्थानीय माफिया के खिलाफ गुहार लगा रहा है।
दरअसल एक बुजुर्ग किसान शंकरलाल पाटीदार अपनी जमीन को “स्थानीय माफिया द्वारा कब्जा किए जाने” से बचाने के लिए अधिकारियों से गुहार लगाते हुए जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंचा था। शंकरलाल ने दावा किया कि कई शिकायतों के बावजूद माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे उन्हें अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस तरह से गुहार लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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जनसुनवाई के दौरान शंकरलाल ने जिला प्रशासन को आवेदन दिया। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि विवादित जमीन पर अब भी शंकरलाल का ही कब्जा है।
स्थानीय प्रशासन की प्रारंभिक जांच में पता चला कि कुल 3.52 हेक्टेयर जमीन शंकरलाल और संपत बाई के बीच बराबर-बराबर बांटी गई है। 2010 में, संपत बाई ने अपने हिस्से की जमीन अश्विन को बेच दी, जिसने जमीन पर कब्जा नहीं किया।
प्रशासन के मुताबिक, शंकरलाल का न सिर्फ अपनी जमीन पर कब्जा है, बल्कि उस जमीन पर भी कब्जा है, जिसे संपत बाई ने अश्विन को बेचा था।
हालांकि, शंकरलाल ने आरोप लगाया, “एक स्थानीय माफिया उस जमीन को निशाना बना रहा है जो उनके और उनके परिवार के पास संयुक्त रूप से है।”
कांग्रेस की प्रतिक्रिया-
कांग्रेस ने केंद्र की एनडीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ”यह वीडियो मोदी सरकार के तहत किसानों की स्थिति का वर्णन करता है।”
कांग्रेस ने कहा, ”मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक बेबस किसान सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाता रहा, लेकिन उसकी गुहार कहीं नहीं सुनी गई। कहीं रिश्वत मांगी गई तो कहीं बिना सुनवाई के लोगों को लौटा दिया गया। आखिरकार तंग आकर किसान को यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा।”