उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई भगदड़ की न्यायिक जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने की सलाह दी। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि जरूरी नहीं कि हर चीज जनहित याचिका के रूप में आए। आप हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। सीजेआई ने कहा कि बेशक हाथरस एक परेशान करने वाली घटना है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने वकील-याचिकाकर्ता विशाल तिवारी से कहा, “आप इसे उच्च न्यायालय में दायर करें। जाहिर तौर पर ये बहुत परेशान करने वाली घटनाएं हैं। साथ ही, उच्च न्यायालय मजबूत अदालतें हैं और वे इन मामलों से निपटने में सक्षम हैं। इसे अनुच्छेद 32 के तहत सीधे यहां आने की जरूरत नहीं है।”
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी की ओर से दायर की गई थी। याचिका में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 5 सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा ना हो इसके लिए सभी राज्यों को दिशा निर्देश जारी किया जाए, साथ ही हाथरस कांड पर यूपी की योगी सरकार स्टेट्स रिपोर्ट की भी मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया था कि इस घटना के जिम्मेदार लोगों और अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किये जाने की मांग भी की गई थी। ऐसे समारोह के आयोजनों के लिए गाइडलाइंस बनाने की मांग की गई थी।
याचिका में अदालत से उत्तर प्रदेश सरकार को स्थिति रिपोर्ट पेश करने और सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण उपायों के संबंध में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था। इसमें राज्यों से भगदड़ को रोकने और बड़ी सभाओं के दौरान सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने और ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी आह्वान किया गया।
याचिका में पिछली भगदड़ की घटनाओं का हवाला दिया गया है, जिनमें 1954 कुंभ मेले में भगदड़, 2007 में मक्का मस्जिद में भगदड़, 2022 में माता वैष्णो देवी मंदिर में भगदड़, 2014 में पटना के गांधी मैदान में दशहरा समारोह में भगदड़ और इडुक्की के पुलमेडु में लगभग 104 सबरीमाला भक्तों की मौत जैसी घटनाओं का जिक्र किया गया है।
बीते दिनों हाथरस में बाबा साकार हरि यानी भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मच जाने से 121 लोगों की जान चली गई। ये हादसा तब हुआ जब भोले बाबा की चरण रज के लिए भक्त एक जगह जुटे थे। इसी दौरान अचानक से भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में लोग एक दूसरे के ऊपर गिरते हुए चले गए और इसी वजह से यह हादसा हो गया। साथ ही, जहां पर यह कार्यक्रम हो रहा था वहां पर केवल 80 हजार लोगों को जुटने की ही इजाजत थी। इसके बावजूद करीब ढाई लाख लोग वहां पर पहुंच गए और इतनी बड़ी घटना हो गई।
3 जुलाई को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा विधिवत प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा), और 238 (साक्ष्य गायब करना) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। नारायण साकार हरि का नाम एफआईआर में नहीं था, और उनका ठिकाना अज्ञात है।
6 जुलाई को एक वीडियो बयान में, हरि ने भगदड़ की घटना पर अपना अवसाद व्यक्त किया और प्रभावित परिवारों से न्यायपालिका पर विश्वास रखने का आग्रह किया। यह बयान हरि के करीबी सहयोगी और भगदड़ के मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर के नई दिल्ली में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के कुछ घंटों बाद आया। जिस सत्संग में भगदड़ मची थी, उसका ‘मुख्य सेवादार’ मधुकर फिलहाल उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में है।
योगी सरकार ने एसआई़टी की रिपोर्ट के बाद एक्शन भी लिया है। एसडीएम, सीओ समेत 6 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। वहीं, अब तक इस मामले में कई गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं।
I’m continually impressed by your expertise.