सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा-अंडरग्रेजुएट (नीट-यूजी) 2024 में कथित पेपर लीक और अनियमितताओं से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई 18 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार और NTA द्वारा दाखिल हलफनामे की कॉपी नही मिली है। लिहाजा जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया जाए। इसके बाद कोर्ट ने पक्षकारों को जवाब दाखिल करने के लिए समय दे दिया और मामले की सुनवाई के लिए 18 जुलाई की तारीख तय की।
पीठ ने यह भी कहा कि केंद्र और एनटीए ने शीर्ष अदालत के 8 जुलाई के आदेश के अनुपालन में अपने हलफनामे दायर किए हैं।
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इससे पहले बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर NEET-UG 2024 परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी से इनकार किया। केंद्र ने इस दलील के समर्थन में IIT-मद्रास द्वारा किए गए डेटा विश्लेषण का हवाला दिया।
वहीं, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि 4 मई को टेलीग्राम पर “लीक हुए” NEET UG परीक्षा के पेपर की फोटो दिखाने वाला वीडियो फर्जी था। हलफनामे में कहा गया है कि शुरुआती लीक की गलत धारणा बनाने के लिए टाइमस्टैम्प में हेरफेर किया गया था।
NTA के मुताबिक, अनुचित साधनों के 153 मामले सामने आए और फिर केस को एक समिति के सामने रखा गया, जिसने उचित कार्रवाई के लिए अपनी सिफारिशें पेश कीं। हलफनामे में कहा गया है कि समिति ने 81 उम्मीदवारों के नतीजे रोकने और 54 उम्मीदवारों को 3 साल तक के लिए प्रतिबंधित करने की सिफारिश की। इसके साथ ही बताया गया है कि NEET-UG 2024 को लेकर 16 FIR दर्ज की गई हैं।
केंद्र सरकार ने हलफनामे में क्या क्या कहा है?
-सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा, गड़बड़ी में शामिल लोगों की पड़ताल डेटा एनालिसिस के जरिए करने के लिए मद्रास आईआईटी से गुजारिश की गई है।
-जिनको ज्यादा नंबर आए हैं उनका डाटा विश्लेषण बताता है कि बड़ी अनियमितता नहीं हुई है। क्योंकि ग्राफ ऊपर उठने के साथ ही जल्दी ही नीचे गिर जाता है। यानी घंटी के आकार का ग्राफ है।
-केंद्र सरकार ने कहा है कि जांच के साथ ही एहतियातन NEET काउंसिलिंग भी जुलाई के तीसरे हफ्ते में कराने का निर्णय लिया गया है।
-काउंसलिंग चार चरणों में होगी, ताकि किसी भी किस्म की गड़बड़ी का फायदा उठाकर आने वाले छात्र की पहचान और पड़ताल इन चार चरणों में हो ही जाए। जहां पता चला, वहीं उसे बाहर कर दिया जाएगा।
-केंद्र सरकार ने पहले भी कोर्ट को बताया है कि वो NEET की परीक्षा दोबारा कराने के समर्थन में नहीं है। केंद्र ने कहा है कि वो यह सुनिश्चित कर रहा है कि 23 लाख अभ्यर्थियों पर ‘अप्रमाणित आशंकाओं’ के आधार पर दोबारा परीक्षा का बोझ ना डाला जाए।
-केंद्र सरकार ने कहा है कि वो ये सुनिश्चित कर रहा है कि गलत तरीके से फायदा उठाने के दोषी किसी भी अभ्यर्थी को कोई लाभ ना मिले।
सरकार ने कहा है कि शिक्षा मंत्रालय ने आईआईटी मद्रास से आग्रह किया था कि वो नीट परीक्षा 2024 के उम्मीदवारों का डेटा एनालिसिस करने में मदद करें।
-आईआईटी मद्रास ने शहरवार और केंद्रवार 2 सालों (2023 और 2024) का विश्लेषण किया। यह विश्लेषण शीर्ष 1.4 लाख रैंक के लिए किया गया है।
-IIT मद्रास के विश्लेषण से पता चलता है कि ना तो बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का कोई संकेत है और ना ही किसी खास सेंटर के उम्मीदवारों को मदद मिली जिसके चलते उन्होंने असामान्य स्कोर मिला हो।
-IIT मद्रास की स्टडी के मुताबिक छात्रों को मिले अंकों में समग्र वृद्धि हुई है, खासतौर से 550 से 720 अंकों के बीच। अंकों में ये बढ़ोतरी लगभग सभी शहरों और केंद्रों में देखी गई है। इसकी वजह सिलेबस में 25% की कटौती है।
-जिन छात्रों ने ज्यादा अंक हासिल किए हैं, वो अलग-अलग शहरों और अलग-अलग सेंटर के है जो बड़े पैमाने पर किसी गड़बड़ी की संभावना को खारिज करता है।
-केंद्र ने यह भी कहा कि काउंसलिंग जुलाई के तीसरे सप्ताह से शुरू होकर चार चरणों में आयोजित की जाएगी। यदि कोई अभ्यर्थी किसी भी प्रकार की गड़बड़ी का शिकार पाया जाता है तो उसकी उम्मीदवारी काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान या उसके बाद भी किसी भी स्तर पर रद्द कर दी जाएगी।
NTA ने हलफनामे में क्या कहा है?
-NTA ने कहा कि कथित गड़बड़ी सिर्फ पटना और गोधरा केंद्रों में हुई थी और व्यक्तिगत उदाहरणों के आधार पर पूरी परीक्षा रद्द नहीं की जानी चाहिए। यह कहना गलत है कि उच्च अंक लाने वाले छात्र सिर्फ कुछ केंद्रों से हैं। गड़बड़ी में शामिल छात्रों के रिजल्ट रोक दिए हैं और उन्हें दंडात्मक कार्रवाई और निष्कासन के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं।
-पटना/ हजारीबाग मामले में कोई प्रश्न पत्र गायब नहीं पाया गया है। प्रत्येक प्रश्न पत्र में एक अद्वितीय क्रमांक होता है और उसे एक विशेष उम्मीदवार को सौंपा जाता है।
-कोई भी ताला टूटा हुआ नहीं मिला। एनटीए पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में कुछ भी प्रतिकूल नहीं बताया गया। कमांड सेंटर में सीसीटीवी कवरेज की लगातार निगरानी की गई। कोई अप्रिय घटना या पेपर लीक होने का कोई संकेत नजर नहीं आया। टेलीग्राम पर हुए कथित लीक को NTA ने नकारा है।
-NTA ने कहा, 4 मई को टेलीग्राम पर लीक हुए परीक्षा पेपर की तस्वीर दिखाई गई है, लेकिन एक तस्वीर, जिसे एडिट किया गया था, वो 5 मई, 2024 को 17:40 बजे का टाइमस्टैम्प प्रदर्शित करती है। इसके अतिरिक्त, टेलीग्राम चैनल के भीतर चर्चा से संकेत मिलता है कि सदस्यों ने वीडियो को नकली बताया।
-प्रारंभिक लीक की गलत धारणा बनाने के लिए टाइमस्टैम्प में हेरफेर किया गया था।
NTA ने कहा कि जो 61 टॉपर की बात कहीं जा रही है उसमें से असल मायने में 17 टॉपर ही पहले सामने आए थे। लेकिन बाद में जब छात्रों की तरफ से आंसर की में रिवीजन का मुद्दा उठाया गया, जिसके तहत एक फिजिक्स के सवाल के दो जवाब सही पाए गये। एक एनसीईआरटी की पहली किताब के आधार पर और एक एनसीईआरटी की नई किताब के आधार पर। 44 छात्रों को भी उस एक सवाल के जवाब के लिए पूरे नंबर मिले और इसके चलते तोप्पेर्स की संख्या 61 तक पहुंच गई।
इस बीच CBI ने भी सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट दाखिल कर दी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने स्थापित किया है कि एनईईटी यूजी घोटाले से संबंधित पेपर हजारी बाग के ओएसिस स्कूल द्वारा लीक किया गया था। वहां पहुंचे कागजात के दो सेट की सील टूटी हुई थी और स्कूल का स्टाफ मामले को जानकारी निर्धारित लोगों को देने की बजाय चुप्पी साधे रहा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई को कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि इस परीक्षा का पेपर लीक हुआ है। कोर्ट ने ये भी कहा कि उसे ये निर्धारित करना होगा कि पेपर लीक की वजह से परीक्षा किस हद तक प्रभावित हुई है ताकि ये तय किया जा सके कि दोबारा परीक्षा कराने की जरूरत होगी या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सवाल का जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था:
नीट पेपर लीक से क्या पूरी परीक्षा प्रभावित हुई है?
नीट परीक्षा शुरू होने के समय और पेपर लीक होने के बीच कितना समय का डिफरेंस था?
क्या नीट परीक्षा गड़बड़ी करने वालों की पहचान संभव है, ताकि सिर्फ उन्हीं के लिए री टेस्ट लिया जा सके?
किन शहरों, सेंटर्स पर नीट पेपर लीक हुआ, ये पता कराने के लिए NTA ने क्या कदम उठाए?
नीट पेपर तैयार करने, प्रिंट करने और सेंटर तक पहुचाने का पूरा प्रोसेस क्या है?
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने गलत काम के लाभार्थी छात्रों की पहचान करने के लिए केंद्र और एनटीए द्वारा की गई कार्रवाइयों के बारे में पूछा था। शीर्ष अदालत ने केंद्र और एनटीए को 10 जुलाई (शाम 5 बजे) तक हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया था।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के साथ, परीक्षा से संबंधित 38 याचिकाओं की समीक्षा कर रही है, जो सरकारी और निजी दोनों संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक राष्ट्रव्यापी परीक्षा है।
कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने परीक्षा आयोजित करने के लिए मानक प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। उन्होंने तर्क दिया कि विसंगतियाँ बड़े पैमाने पर और प्रणालीगत स्तर पर थीं।
याचिकाओं में परीक्षा को रद्द करने, दोबारा परीक्षा कराने और परीक्षा पर उठाए गए मुद्दों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है। इस परीक्षा में 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर 23 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया था।
विशेष रूप से 5 मई को आयोजित NEET-UG 2024 परीक्षा पेपर लीक और कुछ छात्रों को ग्रेस मार्क्स प्रदान किए जाने के विवादों से घिर गई थी। मामले की जांच कर रही सीबीआई अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। सरकार ने एनटीए द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षा सुनिश्चित करने के उपायों का प्रस्ताव देने के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। एजेंसी के चेयरमैन भी बदल दिये गए हैं।