उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने पेपर लीक की घटनाओं और परीक्षाओं में अनुचित साधनों के इस्तेमाल को रोकने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक की अध्यक्षता की जहां राज्य मंत्रिमंडल ने अध्यादेश को अपनी मंजूरी दे दी। यह अध्यादेश ऐसे समय आया है जब प्रवेश परीक्षाओं में अनियमितताओं को लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। प्रश्नपत्र डार्कनेट पर लीक होने का पता चलने के बाद यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करनी पड़ी। मई में हुई NEET-UG परीक्षा में भी गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं। पिछले सात दिनों में दो प्रवेश परीक्षाएं भी स्थगित की जा चुकी हैं।
उत्तर प्रदेश कैबिनेट द्वारा मंजूरी दिया गया अध्यादेश अगले महीने राज्य विधान सभा में पेश किए जाने की संभावना है।
जानकारी के मुताबिक, इस अध्यादेश का नियम सार्वजनिक सेवा भर्ती परीक्षाओं, नियमितीकरण या पदोन्नति परीक्षाएं, डिग्री डिप्लोमा, प्रमाण-पत्रों या शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की प्रवेश परीक्षा पर भी लागू होगा। अध्यादेश में फर्जी प्रश्नपत्र बांटना, फर्जी सेवायोजन वेबसाइट बनाना इत्यादि भी दण्डनीय अपराध बनाये गये हैं। प्रावधानों के उल्लंघन के पर न्यूनतम दो वर्ष से लेकर आजीवन कारावास का दण्ड तथा एक करोड़ रूपये तक के दण्ड का भी प्रावधान किया गया है।
अध्यादेश के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति पेपर लीक का दोषी पाया जाता है, तो उसे आजीवन कारावास और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
यदि पेपर लीक से परीक्षा प्रभावित होती है तो उस पर आने वाला खर्च सॉल्वर गैंग से वसूला जाएगा।
“सॉल्वर गैंग” लोगों का एक समूह है जो परीक्षा के पेपर लीक करता है और परीक्षा में बैठने के लिए प्रॉक्सी उम्मीदवार भी उपलब्ध कराता है।
अध्यादेश में कहा गया है कि परीक्षा में गड़बड़ी में शामिल कंपनियों और सेवा प्रदाताओं को जीवन भर के लिए काली सूची में डाल दिया जाएगा।
इससे पहले, 2 मार्च को यूपीपीएससी आरओ एआरओ (समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी) परीक्षा पेपर लीक के कारण रद्द कर दी गई थी। परीक्षा रद्द होने के एक हफ्ते बाद यूपी पुलिस कांस्टेबल परीक्षा भी इन्हीं कारणों से रद्द कर दी गई थी।