सैकड़ों आदिवासी कुकी-ज़ो लोग समुदाय के लिए एक केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) और राज्य के भीतर चल रहे जातीय संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक “राजनीतिक समाधान” की मांग को लेकर मणिपुर के पहाड़ी जिलों में सड़कों पर उतर आए है। विरोध का नेतृत्व इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने किया है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 239ए के तहत विधायिका के साथ यूटी का गठन संघर्ष का समाधान हो सकता है।
प्रदर्शनकारियों ने चल रहे संघर्ष को रोकने के लिए केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की है। बीते एक साल से चल रहे संघर्ष के परिणामस्वरूप कम से कम 221 लोगों की मौत हो गई और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।
आदिवासी समूह ने एक ज्ञापन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से “राजनीतिक समाधान” के लिए उनकी मांगों को शीघ्र पूरा करने के लिए भी कहा।
प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लिए हुए थे जिन पर कई नारे लिखे हुए थे, जिनमें “नो पॉलिटिकल सॉल्यूशन, नो पीस,” “कुकी-ज़ो लोगों के लिए केंद्र शासित प्रदेश, अभी!” “मैतेई के साथ जबरन गठबंधन टिकेगा नहीं,” और “हम अनुच्छेद 239ए के तहत यूटी चाहते हैं।”
इसी तरह की रैलियां कांगपोकपी, तेंगनौपाल और फ़िरज़ॉल जिलों में भी आयोजित की गईं हैं।
आदिवासी निकायों के एक प्रमुख समूह आईटीएलएफ ने कहा कि सरकार को साल भर चले जातीय संघर्ष का राजनीतिक समाधान खोजने की प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए, जिसने राज्य को प्रभावित किया है।
आईटीएलएफ ने कहा, “हत्याओं और विस्थापन के एक साल से अधिक समय के बाद, सुरक्षा स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है, नागरिकों को हर दिन मारे जाने का खतरा है। पिछले कुछ हफ्तों में, जिरीबाम जिले में मैतेई बदमाशों ने दो आदिवासियों की हत्या कर दी। एक अन्य का अपहरण कर लिया गया और उसका पता अभी भी अज्ञात है।”