दुनिया के इतिहास में सभी फासिस्ट ताकतें चुनावों से ही राजसत्ता में दाखिल हुई हैं पर बिन जन-युद्ध के राजसत्ता से बाहर नहीं की जा सकी हैं। जन-युद्ध सैन्य युद्ध से अलग अवामी अवधारणा है। जर्मनी के अडोल्फ़ हितलर , इटली के बेनितो मुसोलिनी , स्पेन के जनरल फ्रंकों ही नहीं बल्कि #इंडिया_दैट_इज_भारत में 2025 में नागपुर में स्थापित हिन्दुत्ववादी फासिस्ट संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस के प्रचारक रहे और चुनावी रूप से सबसे ज्यादा सफल प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी की यही कहानी है। यह नरेन्द्र मोदी की तानाशाही का ही नतीजा है कि उनके गृह राज्य गुजरात के सूरत लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से उनकी पार्टी के उम्मीदवार एक भी वोट डाले जाने के पहले ही निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिए गए।
पर भारत में लोकतंत्र की जड़ें अभी कमजोर नहीं हुई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट और केरल की पिछली बार जीती वायनाड़ सीट पर भी काउंटिंग में आगे थे। खबरें बोली, गई आरएसएस के चहेते नरेंद्र दामोदर दास मोदी की सभी फासिस्ट भैंस उल्लू के पट्ठे साथ बिहार , उत्तर प्रदेश , बंगाल में गंगा , दिल्ली में यमुना , हिमाचल प्रदेश, पंजाब , हरियाणा की सभी नदियों , आंध्र प्रदेश , कर्नाटक की कृष्णा , गोदावरी नदियों और तमिलनाडु के कन्याकुमारी में अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर की पानी में। आरएसएस के सरकार्यवाह मोहन भागवत अब क्या करेंगे ? अजी हवन करेंगे , हवन करेंगे। लड्डू खाओ और खिलाओ। मगर मेरे गांव की कोयली चंदा मामा के दाहिने कान में बोली फासिस्ट ताकतें चुनाव से ही सत्ता में आती हैं पर बिन गर्र्दनिया के मारी नहीं जा सकती हैं।
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर सात चरणों में मतदान हुआ था। इस बार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा और भाजपा ने कई छोटे-छोटे दलों को एनडीए में शामिल कर चुनाव लड़ा। इन चुनाव से पहले अपना दल ( एस ), सुभासपा , निषाद पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल एनडीए में शामिल हो गए। राज्य में 2019 के लोक सभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव की समाजवादी पार्टी यानि सपा , पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी यानि बसपा और दिवंगत किसान नेता चौधरी चरण सिंह के प्रपौत्र जयंत सिंह के इंडियन नेशनल लोक दल यानि आईएनअलडी का गठबंधन था और कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा था। तब सपा-बसपा अपने गठबंधन के बावजूद ज्यादा सीटों पर हार गई थी और दोनों को कुल 15 सीटें ही मिली थीं। तब भाजपा गठबंधन की 62 सीटों पर जीत हुई थी। अपना दल ( एस ) को दो और कांग्रेस को एक सीट मिली थी। उस चुनाव के बाद सपा और बसपा का गठबंधन टूट गया और बाद में जयंत सिंह भी अपने पितामह चरण सिंह को मोदी सरकार की अनुशंसा पर भारत के सर्वोच्च नागरिक अलंकरण से सम्मानित करने की घोषणा होते हई भाजपा से जा मिले।
मुंबई में 1980 में स्थापित भारतीय जनता पार्टी यानि भाजपा की अगुवाई के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस यानि एनडीए के भारत की संसद के निम्न सदन यानि लोक सभा के 2014 के चुनावों में जीतने के बाद नरेन्द्र मोदी अपने खास मित्र और लंपट पूंजीपति गौतम अडानी के निजी विमान पर अहमदाबाद हवाई अड्डा पर चढ़कर उस नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पर उतरे जिसे ब्रिटिश हुकमरानी के राज में ब्रिटिश वास्तुकार सर एड़विन लूटयन के शिल्प पर बसाया गया था। नई दिल्ली से पहले ब्रिटिश हुकमरानी के राज की राजधानी बेंगाल प्रोविन्स की राजधानी कोलकाता थी।
इस तानाशाह ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में भारत के 17 वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के कार्यक्रम को भी बिजनेस और मीडिया के कॉकटेल इवेंट में बदल दिया था। वह 2019 के लोक सभा चुनावों में भी एनडीए की जीत के बाद प्रधानमंत्री बना। वह 2021 के लोक सभा चुनावों के ठीक पहले कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सेना के बख्तरबंद वाहनों पर सवार सैंकड़ों सैनिकों की अपनी ही सुरक्षा एजेंसियों की सांठगांठ से जान लेने के बाद फर्जी राष्ट्रवाद की लहर पर सवार होकर हथियाई कामयाबी से फिर प्रधानमंत्री बन गया। पुलवामा कांड के समय जम्मू-कश्मीर राज्य के गवर्नर रहे सतपाल मालिक ने इस सांठगांठ की पुष्टि की है।
वह तानाशाह इस पद पर 2024 के लोक सभा के चुनावों की देश की सांविधिक एलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया यानि ईसीआई द्वारा एलेकट्रनिक वोटिंग मशीनों यानि ईवीएम से कराए चुनावों में डाले वोटों की गिनती और साथ ही उनकी वॉटर्स वेरीफाइड पेपर बैलेट यानि वीवीपीएटी की पर्चियों से रैंडम मिलान से सभी निर्वाचन क्षेत्रों में चुनावों की 4 जून को आधिकारिक घोषणा तक इस पद पर बना रहा।