अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी ने जोरदार जीत दर्ज की है। राज्य में लगातार तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनी है। भगवा पार्टी ने राज्य की 60 सीटों में से 46 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं कांग्रेस पार्टी को सिर्फ एक सीट से ही संतोष करना पड़ा। वहीं सिक्किम में सीएम प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व वाले सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने सिक्किम विधानसभा चुनावों में सत्ता बरकरार रखी है। सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने 32 सीटों में से 31 सीटें जीती है। सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को 1 सीट मिली। राज्य में कांग्रेस पार्टी का कोई भी प्रत्याशी नहीं जीता।
अरुणाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 10 सीट पहले ही निर्विरोध जीत ली थीं। ईसीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीईपी) ने पांच सीटें जीतीं, पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) ने दो सीटें जीतीं, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन-तीन सीटें जीतीं और कांग्रेस ने एक सीट जीती।
राज्य में पार्टी की जीत पर मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा, “नॉर्थ ईस्ट में लंबे समय तक कांग्रेस का शासन था उन्होंने अरुणाचल प्रदेश और नॉर्थ ईस्ट को भ्रष्ट यूनिट बना कर रखा हुआ था उस समय यहां कोई भी काम करवाना हो तो यहां होता नहीं था, बीजेपी आने के बाद विकास शुरू हुआ। अभी जो वोटिंग के परिणाम आ रहे हैं सभी जगह बीजेपी के प्रति प्रेम है। विकास को देखते हुए सभी बीजेपी के साथ हैं और कांग्रेस को जड़ से हटा दिया गया है इस साफ स्पष्ट है कि अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए जगह नहीं है।”
खेल और संगीत के शौकीन पेमा खांडू पिछले कुछ वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में एक बड़े नेता के रूप में उभरे हैं, विशेषकर 2016 में पैदा हुए उस संवैधानिक संकट के बाद जिसके कारण राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था। खांडू कुशल चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी छवि बनाने में भी सफल रहे हैं। अपनी रणनीति की बदौलत ही उन्होंने इस पूर्वोत्तर राज्य में कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) फिर से खिलाया है।
खांडू की राजनीतिक यात्रा एक व्यक्तिगत त्रासदी के बीच शुरू हुई थी। उनके पिता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दोर्जी खांडू का 2011 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था। पेमा खांडू वर्ष 2000 में कांग्रेस में शामिल हुए और विभिन्न पदों पर रहे। वह जून 2011 में अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र मुक्तो से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में विधानसभा उपचुनाव में निर्विरोध चुने गए। पेमा खांडू मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सरकार में जल संसाधन विकास और पर्यटन मंत्री बने थे।
माइक्रोब्लॉगिंग साइट X पर एक पोस्ट में, पीएम मोदी ने अरुणाचल प्रदेश के लोगों को “भाजपा में अपना विश्वास दोहराने” के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “अरुणाचल प्रदेश को धन्यवाद! इस अद्भुत राज्य के लोगों ने विकास की राजनीति को एक स्पष्ट जनादेश दिया है। एक बार फिर @भाजपा4अरुणाचल में अपना विश्वास जताने के लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। हमारी पार्टी राज्य के विकास के लिए और भी अधिक जोश के साथ काम करती रहेगी।”
वहीं सिक्किम के मुख्यमंत्री और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के प्रमुख प्रेम सिंह तमांग ने राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी की शानदार जीत का श्रेय एसकेएम कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत और उनकी सरकार के प्रति लोगों के भरोसे को दिया।
पीएम मोदी ने भी सिक्किम विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग और एसकेएम को जीत की बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा कि मैं आने वाले समय में सिक्किम की प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं। साथ ही पीएम मोदी ने मतदाताओं का आभार जताया।
उन्होंने @BJP4Sikkim को टैग करते हुए लिखा, “मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने विधानसभा चुनाव में @BJP4Sikkim के लिए वोट किया। मैं हमारे कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना करता हूं। हमारी पार्टी सिक्किम के विकास और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में काम करने में हमेशा सबसे आगे रहेगी।”
अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में 19 अप्रैल को मतदान हुआ। सिक्किम में कुल मतदान 79.88 प्रतिशत हुआ जबकि अरुणाचल प्रदेश में 82.95 प्रतिशत मतदान हुआ।
सिक्किम में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ एसकेएम और पवन कुमार चामलिंग की एसडीएफ के बीच था। पूर्वोत्तर राज्य में चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार उतारे थे।
सिक्किम के चुनावी दौड़ में शामिल 146 प्रतियोगियों में प्रमुख उम्मीदवारों में मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, उनकी पत्नी कृष्णा कुमारी राय, पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग, पूर्व भारतीय फुटबॉलर भाईचुंग भूटिया और भाजपा के नरेंद्र कुमार सुब्बा शामिल रहे।
एसकेएम और एसडीएफ ने 32-32 उम्मीदवार उतारे थे, जबकि भाजपा के 31 उम्मीदवार थे। कांग्रेस ने 12 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिटीजन एक्शन पार्टी-सिक्किम के 30 सीटों पर उम्मीदवार थे।
2019 में, प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व वाले एसकेएम ने 17 सीटें जीतीं, जबकि एसडीएफ ने 15 सीटें हासिल कीं थीं।
60 सदस्यीय अरुणाचल विधानसभा के लिए मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच था। भाजपा ने सभी 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जबकि कांग्रेस ने केवल 19 सीटों पर चुनाव लड़ा। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीईपी) और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी अरुणाचल प्रदेश में उम्मीदवार उतारे थे।
अरुणाचल प्रदेश में प्रमुख चेहरों में मुख्यमंत्री पेमा खांडू और उपमुख्यमंत्री चौना मीन – दोनों भाजपा से हैं, शामिल थे। वे पहले ही चुनाव जीत चुके थे। अन्य प्रमुख उम्मीदवार – बियुराम वाहगे (भाजपा), निनॉन्ग एरिंग (भाजपा), कारिखो क्रि (एनपीपी), पानी ताराम (भाजपा), कुमार वली (कांग्रेस), कामलुंग मोसांग (भाजपा), वांगकी लोवांग (भाजपा), और जम्पा थिरनली कुन्खाप (कांग्रेस) थे।
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 41 सीटें, जनता दल (यूनाइटेड) ने सात, एनपीपी ने पांच, कांग्रेस ने चार, पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) ने एक सीट जीतीं और दो निर्दलीय भी विजयी रहे थे।
एग्ज़िट पोल ने क्या अनुमान लगाया था?
सिक्किम में इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल ने सत्तारूढ़ एसकेएम को 24-30 सीटें हासिल कर राज्य में सत्ता बरकरार रखने का अनुमान लगाया था।
एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी को भारी जीत मिलने का अनुमान लगाया गया था। 60 सदस्यीय राज्य में भगवा पक्ष को 44 से 51 सीटें जीतने की भविष्यवाणी की गई थी।