बीजेपी के वरिष्ठ नेता जयंत सिन्हा ने बुधवार को कहा कि वह भाजपा से ये कारण बताओ नोटिस पाकर ‘आश्चर्यचकित’ हैं कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में मतदान क्यों नहीं किया और किसी भी चुनाव प्रचार में भाग क्यों नहीं लिया। भाजपा के झारखंड महासचिव आदित्य साहू द्वारा जारी नोटिस के के जवाब में, सिन्हा ने कहा कि उन्होंने डाक मतपत्र प्रक्रिया के माध्यम से मतदान किया क्योंकि वह “निजी प्रतिबद्धताओं” के कारण विदेश में थे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि मार्च में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले की घोषणा के बाद झारखंड से पार्टी का एक भी वरिष्ठ पदाधिकारी, सांसद या विधायक उनके पास नहीं पहुंचा। सिन्हा फिलहाल हज़ारीबाग़ से बीजेपी सांसद हैं।
उन्होंने लिखा, “अगर पार्टी चाहती थी कि मैं किसी भी चुनावी गतिविधियों में भाग लूं, तो आप निश्चित रूप से मुझसे संपर्क कर सकते थे। हालांकि, 2 मार्च को मेरी घोषणा के बाद झारखंड से एक भी वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी या सांसद/विधायक मेरे पास नहीं पहुंचे। मुझे किसी भी पार्टी कार्यक्रम, रैलियों, या संगठनात्मक बैठकों के लिए आमंत्रित नहीं किया गया।”
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भाजपा ने मनीष जायसवाल को हज़ारीबाग़ सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। सिन्हा ने मनीष जायसवाल को हजारीबाग से उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद 8 मार्च को उन्हें बधाई देने का उल्लेख करते हुए कहा है कि यह पार्टी के निर्णय के प्रति मेरे समर्थन का सूचक है। जयंत ने कहा कि उन्होंने उसी दिन से उनका समर्थन किया था जब उन्हें लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया गया था।
जयंत ने अपने जवाब में आगे लिखा है कि मनीष जायसवाल ने 29 अप्रैल की शाम को अपने नॉमिनेशन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। तब मैं दिल्ली में था। देर सूचना मिलने के कारण मेरे लिए 1 मई की सुबह तक हज़ारीबाग पहुंचना संभव नहीं था। उन्होंने ये भी बताया है कि 2 मई को हज़ारीबाग पहुंचकर सीधा मनीष जायसवाल से मिलने उनके आवास पहुंचा। वह (मनीष) वहां नहीं थे इसलिए अपना संदेश और शुभकामनाएं उनके परिवार को दीं और इसके बाद मनीष से मेरा कोई संपर्क नहीं हुआ। 3 मई को हज़ारीबाग से दिल्ली लौट आया।
उन्होंने ये भी कहा है कि लोकसभा स्पीकर को जानकारी देकर निजी प्रतिबद्धताओं के लिए 10 मई को विदेश चला आया। पार्टी मुझे किसी भी कार्यक्रम में नहीं बुला रही थी जिसके बाद मुझे वहां रुकने की खास जरूरत महसूस नहीं हुई।
वोट नहीं देने के आरोप पर जयंत ने कहा है कि विदेश जाने से पहले पोस्टल बैलेट से वोट कर दिया था इसलिए यह आरोप लगाना गलत है कि मतदान के कर्तव्य का पालन नहीं किया। उन्होंने पार्टी के साथ 25 साल के सफर, अपनी उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा है कि हर जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा के साथ निभाया है। इन सबको देखते हुए आपका ये पत्र सार्वजनिक रूप से जारी करना अनुचित है।
सिन्हा ने कहा कि साहू द्वारा उठाई गई किसी भी शिकायत के समाधान के लिए वह और साहू किसी भी समय व्यक्तिगत रूप से या फोन पर बात कर सकते थे।
उन्होंने कहा, “हजारीबाग लोकसभा चुनाव के लिए जिम्मेदार पार्टी पदाधिकारी के रूप में आप किसी भी समय मुझसे संपर्क कर सकते थे। चुनाव खत्म होने के बाद मुझे पत्र भेजना समझ से परे है।”
सिन्हा ने कहा कि उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से परामर्श के बाद लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया ताकि वह देश और दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन से निपटने पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
उन्होनें कहा, “निश्चित रूप से, मैं आर्थिक और शासन के मुद्दों पर पार्टी के साथ काम करना जारी रखूंगा। श्री नड्डा जी से परामर्श करने और उनकी स्पष्ट स्वीकृति प्राप्त करने के बाद, मैं उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट कर दिया कि मैं इन चुनावों में शामिल नहीं होने जा रहा हूं।”
सिन्हा ने कहा कि हज़ारीबाग में हजारों लोगों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया, लेकिन कहा कि उनका कदम अंतिम है।
उन्होनें कहा, “मेरे हटने के बावजूद, हज़ारीबाग़ के हज़ारों मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया गहरी थी, कई लोग दिल्ली में मुझसे मिलने आए और मुझसे नाम वापस न लेने और अपनी उम्मीदवारी जारी रखने के लिए कहा। यह एक कठिन दौर था, तीव्र सार्वजनिक भावनाओं से भरा हुआ। हालाँकि, मैंने राजनीतिक मर्यादा और संयम बनाए रखा।”
जयंत ने कहा, “मुझे आर्थिक और शासन नीतियों पर पार्टी का समर्थन करने में खुशी हो रही है और मैंने ऐसा करना जारी रखा है। लेकिन मुझे आपका पत्र पाकर और यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि आपने इसे मीडिया को भी जारी कर दिया है।”
बता दें कि साहू और सिन्हा के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब उनके बेटे आशीष सिन्हा ने उनके राजनीतिक कदम के बारे में अटकलों के बीच हज़ारीबाग़ में इंडिया ब्लॉक की रैली में भाग लिया था।