केंद्र द्वारा नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 अधिसूचित करने के लगभग दो महीने बाद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता प्रमाणपत्रों का पहला सेट 14 लोगों को जारी किया गया है। सीएए के तहत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यक भारत में नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “गृह मंत्रालय ने (सीएए के तहत) प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मैं सभी 14 शरणार्थियों को हार्दिक बधाई देना चाहता हूं। सीएए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देश से किया गया वादा है।”
दिसंबर 2019 में संसद द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पारित होने के चार साल बाद 11 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा नियमों की अधिसूचना जारी की गई।
बुधवार को 14 लोगों को उनके आवेदन ऑनलाइन संसाधित होने के बाद नागरिकता प्रमाणपत्र प्राप्त हुए। प्रमाण पत्र केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने सौंपे। इस अवसर पर गृह सचिव ने आवेदकों को बधाई देते हुए नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला। इस मौके पर सचिव, डाक, निदेशक (आसूचना ब्यूरो) और भारत के रजिस्ट्रार जनरल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
नागरिकता प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले आवेदकों में से एक भावना ने भारत में आगे की शिक्षा हासिल करने का अवसर मिलने पर खुशी व्यक्त की। उन्होनें कहा, “मुझे आज नागरिकता मिल गई है और मुझे बहुत खुशी हो रही है, मैं आगे पढ़ सकती हूं। मैं 2014 में यहां आई थी, और जब यह (सीएए) पारित हुआ तो मुझे बहुत खुशी हुई। पाकिस्तान में, हम लड़कियां ऐसा नहीं कर सकती थीं पढ़ाई और बाहर जाना मुश्किल था। अगर हमें बाहर जाना होता था तो हम बुर्का पहनते थे। भारत में हमें पढ़ने को मिलता है। मैं अभी 11वीं कक्षा में हूं।”
सीएए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदायों से आने वाले प्रवासियों (जो भारत में 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले प्रवेश कर चुके हैं) के लिए भारतीय नागरिकता के लिए फास्ट-ट्रैक मार्ग प्रदान करने के लिए 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करता है।
यह कानून पूरे भारत में गहन बहस और व्यापक विरोध का विषय रहा है।
मार्च में, पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने सीएए के कार्यान्वयन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उनका तर्क यह था कि नियम “संविधान के मूल सिद्धांत, मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ” हैं।
पिछले महीने, वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा था कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद संसद के पहले सत्र में सीएए को रद्द कर दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने कानून के कार्यान्वयन का दृढ़ता से बचाव किया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए अधिसूचित होने के तुरंत बाद ट्वीट कर कहना था, “ये नियम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को हमारे देश में नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे।”
बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 11 मार्च, 2024 को नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया था। इन नियमों में आवेदन करने के तरीके, जिलास्तरीय समिति (DLC) द्वारा आवेदन को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया और राज्यस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (EC) द्वारा आवेदनों की जांच और नागरिकता प्रदान करने की व्यवस्ता की गई है। इन नियमों के लागू होने के बाद, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित व्यक्तियों से आवेदन प्राप्त हुए हैं, जो धार्मिक उत्पीड़न या इसके डर के कारण 31.12.2014 तक भारत आ गए थे।