कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने ‘द हिंदू’ अखबार के लिए लिखे एक संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। सोनिया ने ‘एक जबरन चुप्पी भारत की समस्याओं को हल नहीं कर सकती’ शीर्षक वाले लेख में कहा है कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान या तो आज के सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण मुद्दों की उपेक्षा करते हैं, या इन मुद्दों से ध्यान हटाने या ध्यान भटकाने के लिए फिजूलखर्ची और जुबानी जिम्नास्टिक हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र में पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार भारत के लोकतंत्र के सभी तीन स्तंभों को व्यवस्थित रूप से खत्म कर रही है।
सोनिया ने संसद में हालिया व्यवधानों का उल्लेख किया और सत्रों को बाधित करने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि एक रणनीति के तहत विपक्ष को बेरोजगारी, महंगाई और सामाजिक विभाजन, साल के बजट पर चर्चा और अडानी घोटाले जैसे मुद्दों को उठाने से रोका गया।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को “दृढ़ विपक्ष” का मुकाबला करने के लिए “अभूतपूर्व उपायों” का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। इनमें भाषणों को हटाना, चर्चा को रोकना, संसद सदस्यों पर हमला करना और आखिर में कांग्रेस के एक सांसद को तेज गति से अयोग्य घोषित करार देना शामिल है। इसका नतीजा हुआ कि लोगों के 45 लाख करोड़ का बजट बिना किसी बहस के पास कर दिया गया।
उन्होंने आगे कहा कि “जब वित्त विधेयक लोकसभा के माध्यम से पारित किया गया था तब प्रधानमंत्री व्यापक मीडिया कवरेज के साथ अपने निर्वाचन क्षेत्र में परियोजनाओं के उद्घाटन में व्यस्त थे।”
कांग्रेस नेता ने बजट भाषण में बेरोजगारी या मुद्रास्फीति का उल्लेख नहीं करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की भी आलोचना की। सोनिया ने लिखा, ”ऐसा लगता है जैसे ये समस्याएं हैं ही नहीं। उनकी चुप्पी दूध, सब्जियां, अंडे, रसोई गैस, बेरोजगारी का सामना कर रहे करोड़ों लोगों के संघर्ष में मदद नहीं कर सकती। किसानों की 2022 तक आय दोगुनी करने के अपने वादे पर विफल रहने के बाद प्रधानमंत्री ने आसानी से चुप्पी साध ली है। जबकि उनकी अन्य समस्याएं जैसे बढ़ती लागत अभी भी ज्यों के त्यों हैं”।
सोनिया गांधी ने विपक्ष के आरोप को भी सामने लाया कि सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है और कहा कि 95 प्रतिशत से अधिक राजनीतिक मामले केवल विपक्षी दलों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। वहीं, वे लोग जो बीजेपी में शामिल हो गए, उनके खिलाफ केस चमत्कारिक रूप से गायब हो गए। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बने कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है। पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और थिंक टैंक के खिलाफ मामले अप्रत्याशित हैं।
मालूम हो की नेशनल हेराल्ड केस में 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कई बार समन भेजा था। समन के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का “दुरुपयोग” कर रही है। वहीं मार्च 2023 में 14 विपक्षी दलों ने अपने नेताओं को फंसाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सोनिया ने कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के खिलाफ केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू की टिप्पणी की भी निंदा की और कहा कि यह “न्यायपालिका की विश्वसनीयता को कम करने के लिए व्यवस्थित प्रयास” का हिस्सा है। सोनिया ने कहा, इस भाषा को जानबूझकर लोगों को गुमराह करने, उनके जुनून को भड़काने और इस तरह सेवारत जजों को डराने के लिए चुना गया है।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि लंबे समय से चली आ रही मीडिया की स्वतंत्रता से समझौता किया गया। सरकार ने वित्तीय शक्ति और बीजेपी के दोस्तों के साथ मिलकर राजनीतिक धमकी के जरिए ऐसा किया। चैनलों पर शाम को चलने वाले डिबेट्स स्लैंगिंग मैच की तरह हो गए हैं, जहां सरकार पर सवाल उठाने वालों को शांत कर दिया जाता है। सरकार इससे भी संतुष्ट नहीं हुई, तो सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में संशोधन करके कानूनी तौर पर खुद को और सशस्त्र कर लिया गया। अब किसी भी ऐसी खबर को जो पसंद न हो उसे ‘फेक न्यूज’ का टैग देकर हटाया जा सकता है।
सोनिया गांधी ने भाजपा और आरएसएस पर नफरत और हिंसा को आगे बढ़ाने का और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर “अनदेखा” करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने एक बार भी शांति या सद्भाव का आह्वान नहीं किया है और न ही अपराधियों पर शासन करने के लिए काम किया है।
उन्होंने कहा- “ऐसा लगता है कि धार्मिक त्यौहार दूसरों को डराने और धमकाने के अवसर बन गए हैं। धार्मिक उत्सवों पर सोनिया का आरोप हाल में रामनवमी समारोह को लेकर देश भर में हुई हिंसा के बाद आया है। पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर हिंसा की सूचना मिली थी।
कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी पर चीन के साथ सीमा मुद्दे के बारे में इनकार करने का भी आरोप लगाया, और कहा कि सरकार संसद में “चीनी घुसपैठ” पर मुद्दों को रोक रही है। मालूम हो कि कांग्रेस पार्टी ने अतीत में बार-बार केंद्र पर हमला किया था। पार्टी ने यह आरोप लगाया था कि पार्टी नेताओं को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन संघर्ष के बारे में बोलने की अनुमति नहीं दी गई।
सोनिया गांधी ने कहा, “अगले कुछ महीने हमारे लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण परीक्षा हैं। हमारा देश चौराहे पर है। नरेंद्र मोदी सरकार कई प्रमुख राज्यों में हर शक्ति और चुनावों का दुरुपयोग करने पर तुली हुई है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस भारत के संविधान और उसके आदर्शों की रक्षा के लिए सभी समान विचारधारा वाले दलों के साथ हाथ मिलाएगी।
बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अब एक साल से कम का वक्त रह गया है और ऐसे समय में सोनिया गांधी ने अपने इस लेख के मध्यमा से कांग्रेस की रणनीति के बारे में बता दिया है। कांग्रेस आगामी दिनों में इन्हीं मुद्दों को लेकर जनता के बीच पहुंचेगी।