केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुस्लिम समुदाय के 17 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की है। इस बैठक में विभिन्न मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने हाल ही में विभिन्न राज्यों में रामनवमी समारोह के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा पर चर्चा की। उन्होंने चुनावी राज्य कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण को वापस लेने पर भी चर्चा की। बैठक में मौजूद जमात उलमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधि ने कहा कि ये बैठक दिल्ली में गृह मंत्री के आवास पर आयोजित की गई थी।
बैठक के बाद मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता के रूप में नहीं, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में प्रतिनिधिमंडल से मिले। फारूकी ने कहा, “केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हमारी सभी शिकायतें सुनीं। हमने रामनवमी हिंसा, इस्लामोफोबिया के बढ़ते खतरे और यहां तक कि कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण को खत्म करने सहित कई मुद्दे उठाए।”
फारूकी ने कहा, “कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर भ्रम फैलाया जा रहा है क्योंकि कर्नाटक में पसमांदा मुसलमानों को आरक्षण मिलता रहेगा और इस संबंध में स्पष्टीकरण जल्द ही कानून मंत्रालय द्वारा दिया जाएगा।”
बैठक में मौजूद अन्य प्रतिनिधियों में जमात उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी, इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी और जमात उलमा-ए-हिंद के सदस्य मौलाना नियाज अहमद फारूकी शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने बैठक के दौरान अमित शाह को 14 ज्ञापन भी सौंपे। इसके अलावा देश में मदरसों की आजादी और स्वायत्तता, समान नागरिक संहिता और मुसलामानों की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी बैठक में चर्चा हुई।