सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली आबकारी नीति मामले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है और उनसे दिल्ली हाई कोर्ट जाने के लिए कहा। शीर्ष अदालत ने कहा, “हम इस तरह के मामले में पहली बार में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं, आप अपनी सभी बातों को उच्च न्यायालय के समक्ष रख सकते हैं।” इस याचिका का उल्लेख अभिषेक मनु सिंघवी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच के समक्ष तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए किया था।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो जाने के बाद आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वह उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी है।
जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
1. यहां आपके पास एक पूर्ण वैकल्पिक उपाय उपलब्ध है। आप गिरफ्तारी के खिलाफ और जमानत के लिए सीधे इस कोर्ट में आए हैं। हम इसे यहाँ कैसे सुन सकते हैं?
2. सवाल इस अदालत के पास शक्ति नहीं होने का नहीं है। बेशक हमारे पास शक्ति है लेकिन सवाल यह है कि क्या हमें किसी दिए गए मामले में इस असाधारण शक्ति का प्रयोग करना चाहिए?
3. यह बहुत गलत मिसाल कायम करेगा। सिर्फ इसलिए कि कोई घटना दिल्ली में होती है, हम उसे सीधे यहां एंटरटेन नहीं कर सकते।
4. हम इस स्तर पर अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।
5. हम ऐसे मामले में पहली बार में दखल नहीं देना चाहते। आप अपने सभी बिंदु उच्च न्यायालय के समक्ष रख सकते हैं।
इससे पहले दिन में सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले की जल्द सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिका का उल्लेख भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष सुबह 10.30 बजे किया गया, जो दोपहर 3.50 बजे इस पर सुनवाई के लिए तैयार हो गए थे।
बता दें कि सिसोदिया को सीबीआई ने दिल्ली में शराब आबकारी नीति से जुड़ी कथित अनियमितताओं के सिलसिले में आठ घंटे की पूछताछ के बाद रविवार को गिरफ्तार किया था। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को उन्हें पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया था।