सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के मुद्दे पर न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच बढ़ती तकरार को लेकर अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। ममता बनर्जी ने कॉलेजियम सिस्टम में सरकारी प्रतनिधि शामिल करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर कहा है कि देश की न्यायिक व्यवस्था में केंद्र सीधे तौर पर दखल दे रहा है।
We want Independence of judiciary. If Centre's representation is there in collegium then state also will include their representative in the collegium but there won't be any value for state govt recommendation & Centre will directly interfere with judiciary: WB CM Mamata Banerjee pic.twitter.com/OnK1G4HFPc
— ANI (@ANI) January 17, 2023
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “हम न्यायपालिका की पूर्ण स्वतंत्रता चाहते हैं। अब नई तरह की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत अगर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में शामिल कर लिया जाता है तो राज्य भी स्पष्ट रूप से अपने CM या सरकार के प्रतिनिधि को कॉलेजियम में शामिल करेगा, लेकिन आखिर में नतीजा क्या होगा”?
ममता बनर्जी ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि- ‘मान लीजिए कलकत्ता हाई कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट भेजता है तो सुप्रीम कोर्ट उसे भारत सरकार को भेजेगा। ऐसे में राज्य सरकार की सिफारिश का कोई वैल्यू नहीं रह जाएगा और अंततः केंद्र सरकार न्यायपालिका में सीधे हस्तक्षेप करेगी, जो कि हम नहीं चाहते हैं। हम सभी के लिए न्याय चाहते हैं। हम लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए न्याय की मांग करते हैं। न्यायपालिका हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण मंदिर है’।
दीदी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि, ‘उनके (केंद्र सरकार) पास निश्चित रूप से कुछ योजना है। न्यायपालिका में जमकर हस्तक्षेप की जा रही है। हर जगह लोकतंत्र खतरे में है, यह एजेंसियों के हाथों में चली गई है’।
मालूम हो कि बीते दिनों कानून मंत्री किरण रिजिजू ने चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि, “सरकार के प्रतिनिधियों को भी सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में शामिल किया जाना चाहिए। इससे 25 साल पुराने कॉलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही आएगी”।
विपक्ष पार्टियों ने भी न्यायपालिका पर सरकार के दबाव का विरोध जताना शुरू कर दिया है-
1. कांग्रेस पार्टी: कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि, “पहले उपराष्ट्रपति ने हमला बोला। कानून मंत्री ने हमला किया। हम सब देख रहे हैं। यह न्यायपालिका के साथ सुनियोजित टकराव है, ताकि उसे धमकाया जा सके और उसके बाद उस पर पूरी तरह से कब्जा किया जा सके। कॉलेजियम में सुधार की जरूरत है, लेकिन बीजेपी सरकार उसे पूरी तरह से अपने अधीन करना चाहती है। ये न्यायपालिका के लिए जहर की गोली है”।
2. राष्ट्रीय जनता दल: राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने क़ानून मंत्री के सुझाव पर कहा है कि, ‘यह बिल्कुल चौंकाने वाला है। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के विचार को कमजोर करने वाला है। क्या सरकार प्रतिबद्ध न्यायपालिका के प्रलोभन का विरोध करने में असमर्थ है’?
3. आप: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कानून मंत्री द्वारा लिखे गए पत्र को खतरनाक बताया। उन्होंने कहा- ‘यह बेहद खतरनाक है। न्यायिक नियुक्तियों में बिल्कुल भी सरकारी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए’।
बता दें कि वर्ष 1993 से जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम व्यवस्था चल रही है। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट के CJI के साथ 4 वरिष्ठ जज कॉलेजियम सिस्टम का हिस्सा होते हैं। इसी कॉलेजियम द्वारा ही जजों की नियुक्ति और उनके ट्रांसफर की सिफारिश की जाती है और यह सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी जाती जाती है।