ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में गुरुवार को वाराणसी कोर्ट में सुनवाई हुई। आज की सुनवाई में कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया और हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के योग्य माना। हिन्दू पक्ष की याचिका में ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को दिए जाने और कथित शिवलिंग की पूजा करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि ये याचिका सुनने योग्य है. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया था कि हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए। लेकिन कोर्ट ने कहा कि हिन्दू पक्ष की याचिका पर सुनवाई संभव है और इसी कारणवश मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज किया गया।
A #VaranasiCourt today DISMISSED the Anjuman Islamia Masjid committee's plea (filed under Order 7 Rule 11 CPC) challenging the maintainability of a suit to hand over possession of the #Gyanvapi Mosque premises to Lord Vishweshwar Virajman (Swayambhu). pic.twitter.com/3XFqOTJOHJ
— Live Law (@LiveLawIndia) November 17, 2022
अगली सुनवाई 2 दिसंबर की तय की गई है जब तत्काल पूजा वाले प्रार्थना पत्र पर सुनवाई होगी। मालूम हो कि इससे पहले सिविल जज (सीनियर डिविजन) महेंद्र कुमार पांडेय की कोर्ट ने 27 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
Dismissing the Order 7 Rule 11 CPC Plea of the Anjuman Masjid Committee, the Fast Track Court/Civil Judge (Senior Division) Mahendra Kumar Pandey posted the case for further hearing on December 2, 2022.#GyanvapiCase #Gyanvapi
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अब ज्ञानवापी मामले की एक तरफ वाराणसी के फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई होगी तो वहीं दूसरी तरफ 2023 के जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर एक याचिका दायर की गई थी जो ज्ञानवापी मामले से ही जुड़ी हुई है। इस मामले में केंद्र सरकार को 12 दिसंबर तक अपना जवाब दाखिल करना है और उसके बाद जनवरी में सुनवाई होगी।
हिंदू पक्ष की क्या मांग है?
1. तत्काल प्रभाव से नियमित पूजा प्रारंभ करना।
2. ज्ञानवापी परिसर में मुसलमानों का प्रवेश प्रतिबंधित करना।
3. ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को देना।
4. मंदिर के ऊपर बने विवादित ढांचे को हटाना शामिल है।
यहाँ यह भी जानना जरूरी है कि ज्ञानवापी मामले से जुड़े एक दुसरे मामले में 12 सितंबर को वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी की नियमित रूप से पूजा करने की मांग वाली याचिका सुनवाई के लायक है, इसलिए इस मामले पर विचार किया जाना चाहिए। मुस्लिम पक्ष ने इस पर गहरी नाराजगी जाहिर की थी और कहा था कि वे इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।
बता दें कि एक वादी किरण सिंह ने 24 मई, 2022 को जिला अदालत में वाद दाखिल किया था, जिसमें वाराणसी के डीएम , पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के साथ ही विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया गया था। 25 मई, 2022 को जिला अदालत के न्यायाधीश ए. के. विश्वेश ने मुकदमे को फास्ट ट्रैक अदालत को रेफर कर दिया था। वादी ने अपनी याचिका में ज्ञानवापी परिसर में मुसलमानों का प्रवेश निषेध करने, परिसर हिंदुओं को सौंपने के साथ ही परिसर में मिले कथित शिवलिंग की नियमित पूजा-अर्चना करने का अधिकार देने का अनुरोध किया है।
पिछले महीने इस मामले की सुनवाई के बाद वाराणसी की जिला अदालत ने शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की अनुमति देने से मना कर दिया था। हिंदू पक्ष ने उस संरचना की कार्बन डेटिंग की मांग की थी, जिसके बारे में उनके द्वारा दावा किया गया था कि वह ज्ञानवापी मस्जिद के वजुखाना के अंदर पाया गया एक शिवलिंग है। जिला अदालत ने कहा था कि एएसआई के सर्वेक्षण का आदेश देना उचित नहीं है और ऐसा आदेश देकर उक्त शिवलिंग की उम्र, प्रकृति और संरचना का पता चल जाएगा, यहां तक कि इसकी भी संभावना नहीं है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा था कि कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज कर दिया है। हम इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और वहां इसे चुनौती देंगे।
मई 2022 में अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था और उस दौरान मस्जिद के वजूखाने में एक आकृति पायी गयी थी। हिन्दू पक्ष ने इसे शिवलिंग बताया था तो मुस्लिम पक्ष ने इसे फौव्वारा बताते हुए दलील दी थी कि मुगलकालीन इमारतों में ऐसे फौव्वारे मिलना आम बात थी।