कश्मीर से एक बार फिर कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हो गया है। ताजा मामला दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले से है जहाँ से 10 कश्मीरी पंडित के परिवार के लोग डर के कारण चौधरीगुंड गांव छोड़कर जम्मू शिफ्ट हो गए हैं। ये विडंवना ही है कि 1990 में शुरू हुआ कश्मीरी पंडितों का पलायन 2022 में भी लगातार जारी है। इन परिवारों ने आतंकवादियों द्वारा हाल के दिनों में की गई हत्याओं के मद्देनजर अपनी जान बचते हुए यह कदम उठाया है। हालांकि शोपियां में अधिकारियों ने कश्मीर पंडितों के पलायन की बात को सिरे से खारिज किया है।
इस गांव के लोगों का कहना है कि घाटी में लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों ने उन पंडित परिवारों के बीच भय का माहौल पैदा कर दिया है। बीते 15 अक्टूबर को ही कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट्ट की शोपियां जिले के चौधरीगुंड गांव में उनके पुश्तैनी घर के बाहर आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। 18 अक्टूबर को शोपियां में ही अपने घर में सो रहे मोनीश कुमार और राम सागर की मौत हो गयी थी। आतंकवादियों ने ग्रेनेड हमला किया था जो उनके घर पर जा गिरा और इन दोनों की मौत हो गयी ।
चौधरीगुंड से पहली बार हुआ है कश्मीरी पंडितों का पलायन-
दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में चौधरीगुंड ही एक मात्र ऐसा गांव था जहां से कश्मीरी पंडितों ने आज तक पलायन नहीं किया था। यहां पर रह रहे कश्मीरी पंडितों के परिवार उन परिस्थितियों में भी वहां डटे रहे थे जब 1990 में कई कश्मीरी पंडितों ने देश के अलग अलग शहरों की ओर पलायन किया था । लेकिन, 15 अक्टूबर को कश्मीरी पंडित पूर्ण कृष्ण की हत्या के बाद इन कश्मीरी पंडितों ने भी पलायन का मन बना लिया।
देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मामले को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं-
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा- कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं-
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा- इस साल, कश्मीर में 30 टार्गेटिड किलिंग्स हो चुकी हैं। पंडितों का पलायन तेज़ी से बढ़ रहा है। भाजपा ने यूपीए द्वारा किए गए अच्छे कामों को बर्बाद कर दिया है। सत्ता में आने से पहले बड़ी-बड़ी बातें करने वाले PM सत्ता भोग रहे हैं और कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं।
इस साल, कश्मीर में 30 टार्गेटिड किलिंग्स हो चुकी हैं। पंडितों का पलायन तेज़ी से बढ़ रहा है।
भाजपा ने यूपीए द्वारा किए गए अच्छे कामों को बर्बाद कर दिया है।
सत्ता में आने से पहले बड़ी-बड़ी बातें करने वाले PM सत्ता भोग रहे हैं और कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 27, 2022
कांग्रेस पार्टी ने केंद्र की मोदी सरकार से उनके 8 साल के कार्यकाल के दौरान कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग पर बीजेपी की सरकार को देश से माफी मांगने के लिए भी कहा है।
कांग्रेस पार्टी ने कहा- 1989 में पहली बार हुआ था घाटी से पलायन-
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि साल 1989 में घाटी से जब कश्मीरी पंडितों का पहली बार पलायन हुआ था तब वीपी सिंह की सरकार थी और भाजपा उसे समर्थन दे रही थी। उन्होंने आगे कहा कि 1986 में कश्मीरी पंडितों के विरोध में जब पहला दंगा हुआ था तब केंद्र में राजीव गांधी की सरकार थी। कश्मीरी पंडितों ने दिल्ली में नेशनल स्टेडियम से राजीव गांधी के ऑफिस तक पदयात्रा की थी। राजीव गांधी उन सभी लोगों से मिले, उनकी परेशानियां सुनी और तब की गुलाम मोहम्मद शाह की सरकार को बर्खास्त कर दिया था।
कांग्रेस का आरोप- सरकारी आदेश देकर कर्मचारियों को काम पर वापस के लिए मजबूर किया जा रहा है-
कांग्रेस ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में बीजेपी पर एक और आरोप मढ़ते हुए कहा कि बीजेपी सिर्फ जीरो टालरेंस की बात करती है, लेकिन हकीकत में इसे साकार राजीव गांधी ने किया था। बीजेपी पर तंज कसते हुए पवन खेड़ा ने कहा कि कश्मीर में 70 मंत्रियों की ड्यूटी सरकार द्वारा लगाई गई है जो लोगों से मिलेंगे, उनकी बातें सुनेंगे और फिर उसका उपाय करेंगे, लेकिन क्या इन 70 मंत्रियों में से किसी ने भी कश्मीरी पंडितों के शिविर का दौरा किया?। अगर ये लोग कश्मीरी पंडितों के शिविर में नहीं गए तो फिर ये कैसा जनसंपर्क कार्यक्रम है?। कांग्रेस नेता ने जम्मू-कश्मीर प्रसाशन के एक सरकारी आदेश का हवाला देते हुए बताया कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को घाटी में वापस से काम पर लौटने के लिए मजबूर किया जा रहा है ।
नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के प्रमुख और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी कश्मीरी पंडितों के पलायन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। अब्दुल्ला ने कहा कि अगर सही वक्त पर कदम नहीं उठाए गए तो कश्मीर की घाटी में एक भी पंडित नहीं बचेगा।
बढ़ गई है घाटी में टारगेट किलिंग की घटनाएं-
12 मई: बड़गाम जिले में आतंकियों ने तहसील ऑफिस में घुसकर राजस्व विभाग के अधिकारी राहुल भट्ट को गोली मार दी थी और बाद में उनकी मौत हो गई ।
31 मई: कुलगाम में आतंकियों ने महिला टीचर रजनीबाला की गोली मारकर हत्या कर दी थी ।
2 जून: आतंकियों ने कुलगाम में एक बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या कर दी थी ।
15 अक्टूबर: कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट्ट की शोपियां जिले के चौधरीगुंड गांव में उनके पुश्तैनी घर के बाहर आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
18 अक्टूबर: शोपियां में घर में सो रहे मोनीश कुमार और राम सागर को आतंकवादियों ने ग्रेनेड हमला करके उनकी ह्त्या कर दी ।