बिहार, झारखंड और पूर्वांचल से शुरू हुआ ‘छठ महापर्व’ अब देश में कई जगहों पर मनाया जाता है। छठ महापर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि से छठ पूजा प्रारंभ होती है। शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। छठ महापर्व के दौरान व्रती महिलाएं करीब 36 घंटे तक व्रत रखती हैं। यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। छठ महापर्व में छठी मईया और सूर्यदेव की पानी में खड़े होकर पूजा की जाती है। छठी मईया को सूर्य देवता का मानस बहन कहा जाता है।
इस वर्ष छठ पूजा की शुरुआत 28 अक्टूबर से हो रही है। उसके अगले दिन, 29 अक्टूबर को खरना पर्व है। 30 अक्टूबर को अस्तांचल गामी सूर्य की पूजा की जाएगी और सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है जाएगा। उसके अगले दिन यानी 31 अक्टूबर की सुबह को उदयगामी अर्थात उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन होगा।
नहाय- खाय का पर्व-
28 अक्टूबर को नहाय- खाय पर्व के दिन पूरे घर की साफ- सफाई की जाती है और जो व्रती होते हैं वो स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेते हैं। इस दिन चना दाल, लौकी की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है।
खरना पर्व-
खरना पर्व के दिन व्रती महिलाएं दिन भर व्रत रखती हैं और फिर शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाती और फिर सूर्य देव की पूजा और भोग लगाने के बाद उस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। इस प्रसाद ग्रहण के वाद व्रती महिलाएं अपना पारणा छठ के समापन के बाद ही करती हैं।
डूबते सूर्य को अर्घ्य-
खरना के अगले दिन शाम के समय व्रती महिलाएं पानी में खड़े होकर सूर्य देवता को अर्घ्य देती हैं। इस साल 30 अक्टूबर शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व समाप्त-
इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले ही पानी में कड़ी हो जाती हैं और उगते सूर्य देवता की पूजा करती हैं। इसके बाद उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और फिर पूजा का समापन कर व्रत का पारण किया जाता है।
छठ पूजा में उपयोग की जाने वाली ये होती हैं सामग्रियां-
सूप, बांस का डाला, टोकरी, केले का घौद, आर्त का पत्ता, बद्धी माला, हल्दी, मूली, अदरक का पौधा, पत्ते वाले गन्ने, चौमुख दीप, दीप, बाती, तेल, फल, चंदन, चावल, सिंदूर, धूपबत्ती, कुमकुम, कपूर, मिठाई (लड्डू, खाजा), प्रसाद (ठेकुआ) इत्यादि।
छठ पूजा का इतना महत्व क्यों है?
छठ पूजा को आस्था का लोकपर्व कहते हैं। ये एक मात्र ऐसा पर्व है जिसमें सूर्य देवता की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। सनातन धर्म में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है। कहते हैं कि सूर्य के प्रभाव से हम सबको आरोग्य, तेज और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा पर सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को संतान, सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।