बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक नई याचिका दायर की गई। यह याचिका एक महिला संगठन – ‘नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन’ की ओर से दायर की गई है। नए सिरे से दाखिल इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य याचिका के साथ संलग्न किया और सुनवाई के लिए सहमत हो गया. जस्टिस अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की बेंच ने इस नई याचिका को मुख्य मामले से सलंग्न करते हुए कहा कि दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट 29 नवंबर को याचिका पर सुनवाई करेगा।
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन ने अपनी इस याचिका के माध्यम से कहा है कि समय से पहले दोषियों की रिहाई का गुजरात सरकार का फैसला पूरी तरह से मनमाना है। इस याचिका में गुजरात सरकार के दोषियों की रिहाई के आदेश को तत्काल रद्द करने की मांग गई है। याचिका में सभी 11 दोषियों को दोबारा गिरफ्तार कर जेल भेजने की मांग भी की गई है।
सुप्रीम कोर्ट पहले से ही ‘नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन’ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस याचिका में सजा की छूट और मामले में दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या कहा था?
शीर्ष अदालत ने इसी 18 अक्तूबर को इस मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए थे. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रवि की बेंच ने कहा था कि गुजरात सरकार का जवाब तो बहुत भारी-भरकम हैं, लेकिन इनमें फैक्ट्स की कमी है। अदालत ने ये भी कहा था कि गुजरात सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में कई पुराने फैसलों का हवाला तो गया है, लेकिन तथ्यात्मक बयान गायब हैं। उसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ताओं को गुजरात सरकार के हलफनामे पर 29 नवंबर तक जवाब पेश करने को कहा है और 29 नवंबर को ही मामले की अगली सुनवाई की तिथि तय की।
बिलकिस बानो मामला क्या है?
यह पूरा मामला गोधरा कांड के बाद 2002 में हुए हुए गुजरात दंगों से जुड़ा हुआ है। 3 मार्च 2002 को दाहोद जिले के रणधीकपुर गांव में बिलकिस बानो के परिवार पर हमला हुआ था। दंगा भड़कने की वजह से वह अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस बानो 21 साल की थी और पांच माह की गर्भवती थीं। दंगों के बीच अपनी जान बचाते हुए भागने के क्रम में दंगाइयों ने बिलकिस के साथ गैंगरेप किया और उसके परिवार के सात सदस्य की हत्या भी कर दी। इस घटना में 17 में से 14 लोग मारे गए। हमले में बिलकिस, एक आदमी और तीन साल का बच्चा ही बचे थे और 6 लोग गायब हो गए थे।
15 अगस्त, 2022 को हुई थी बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई:-
बिलकिस बानो गैंगरेप केस में सजा काट रहे 11 दोषियों को इसी साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया. इनकी रिहाई के बाद जब ये 11 लोग जेल से बाहर आए तो इनका तिलक लगाकर और माला पहनाकर स्वागत किया गया। इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई।
बाद में इन दोषियों की रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ, सीपीएम नेता सुभाषिनी अली, सामाजिक कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा, रेवती लाल और तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, फिर गुजरात सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस रिहाई को लेकर जवाब दाखिल किया और कहा राज्य सरकार ने अपनी सजा माफी नीति के अनुरूप 11 दोषियों को छूट दी है। दोषियों को 15 साल से अधिक की सजा काटने के बाद छोड़ा गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट गुजरात सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा।