केंद्रीय जांच एजेंसी CBI को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने आज एक बड़ा फैसला लिया है। अपने इस फैसले के तहत एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने राज्य में किसी भी आपराधिक घटना या फ्रॉड की जांच के लिए सीबीआई का ‘सामान्य प्रभार’ बहाल कर दिया है। इसका मतलब ये हुआ कि, अब अगर सीबीआई कोई जांच महाराष्ट्र में आकर करना चाहे तो उसके लिए उन्हें राज्य सरकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। महाराष्ट्र में सीबीआई की “नो एंट्री” तब लागू की गई थी जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। उद्धव ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के तर्ज पर महाराष्ट्र में भी सीबीआई पर प्रतिबंध लगाते हुए कोई भी जांच राज्य में शुरू करने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेने को आवश्यक कर दिया था।
आपको बता दें कि सीबीआई के राज्य में “नो एंट्री” की वजह से कुछ प्रमुख मामलों की जांच देर से शुरू हुई. इन प्रमुख मामलों में अनिल देशमुख का 100 करोड़ वसूली कांड, सचिन वाजे -मनसुख हिरेन केस और पालघर साधु हत्याकांड मामला शामिल है। पालघर मामले की जांच तो अब जाके शुरू हो पाई है और वो भी तब, जब राज्य की नवनिर्वाचित बीजेपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। राज्य सरकार ने हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि अब सीबीआई को जांच के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं होगी।
महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने CBI को 168 मामलों में जांच के लिए नहीं दी थी सहमति:-
जुलाई 2022 में राज्यसभा में सरकार द्वारा एक लिखित जवाब में बताया गया कि सीबीआई द्वारा सरकारी अधिकारियों की जांच के लिए 91 अनुरोध एमवीए सरकार (मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे) के पास पिछले छह महीनों में लंबित थे. सीबीआई द्वारा जांच के लिए सहमति मांगने वाले 221 अनुरोध छह राज्यों के पास लंबित थे, जिनमें से सबसे अधिक (168) महाराष्ट्र में 29,000 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी।
अभी भी इन राज्यों ने सीबीआई को नहीं दिया है ‘सामान्य प्रभार’-
पंजाब, पश्चिम बंगाल, झारखंड, केरल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और मेघालय ने सीबीआई को ‘सामान्य प्रभार’ नहीं दिया हुआ है. इसका मतलब यह है कि सीबीआई को इन राज्यों में किसी भी मामले की जांच के लिए या तो राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी या फिर अदालतों का दरवाजा खटखटाना होगा।
महाराष्ट्र से आज एक और खबर सामने आई है कि शिवसेना सांसद संजय राउत की जमानत पर शुक्रवार को जो सुनवाई होनी थी, वो टल गई है और अब इसी वजह से संजय राउत की ये दिवाली जेल में बीतेगी। राउत की जमानत पर सुनवाई 2 नवंबर को होगी। संजय राउत के वकीलों का कोर्ट में कहना है कि राउत से जुड़े जिस मामले (पात्रा चाल) में जांच हो रही है, उसमें उनसे अब पूछताछ की जरूरत नही है. राउत को जेल में रखने से उनके मानवाधिकार कानून का उल्लंघन हो रहा है। एजेंसी जानबूझकर राउत को जेल में बंद रखना चाहती है जबकि राउत जांच में पूरा सपोर्ट कर रहे है। राउत के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि राउत के घर बूढ़ी मां, पत्नी और बच्चे है जिनकी देखभाल उन्हें करनी है इसके अलावा राउत खुद कई बीमारियों से पीड़ित है जिनका उन्हें इलाज करवाना है।