प्रयागराज: गंगा में लगातार जलस्तर बढ़ने से और कटान बढ़ने की वजह से माघ मेले में बसे हजारों कर कल्पवासी परेशान गए हैं। कड़ाके की ठंड में उन्हें शिविरों से बाहर सुरक्षित जगह के लिए भटकना पड़ रहा है। इस बीच प्रवाह रोकने के लिए मेला प्रशासन ने अस्थायी तटबंध बनाने शुरू कर दिए हैं। माघ मेला 2022 में समस्याएं खत्म होने का नाम तक नहीं ले रही है, जहां एक ओर करोना वायरस के संक्रमण के कारण स्नानार्थी श्रद्धालु और कल्प वासियों का आना न के समान हो गया है। वहीं पर गंगा नदी के लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण गंगद्वीप पूरा जलमग्न हो चुका है जिससे कल्पवासियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है।
संगम की रेती पर 580 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बसे माघ मेले पर असमय गंगा के जल प्रवाह में वृद्धि का खतरा बढ़ गया है। वह भी ऐसे समय जब अभी मेले के तीन स्नान पर्व बाकी है। मौनी अमावस्या का स्नान अगले माह की एक फरवरी को होगा।इससे पहले गंगा में लगातार बढ़ते जलस्तर और तेजी से हो रही कटान ने शुक्रवार को हजारों कल्पवासियों को अपनी चपेट में ले लिया। जिस तरह से जलस्तर बढ़ता जा रहा है उससे आशंका व्यक्त की जा रही है कि अगर योगी आदित्यनाथ सरकार ने शीर्ष स्तर पर पहल करके जल प्रवाह को पश्चिमी नगरों में डायवर्ट करने या रोकने का उपाय नहीं किया तो समय से पहले ही जप,तप, ध्यान का मेला उजड़ने के लिए मजबूर हो जाएगा।
तंबुओं के शहर माघ मेले में अब संकट के बादल और अधिक गहरे होते जा रहे हैं। जहां एक ओर कोरोनावायरस के प्रभाव से माघ मेला 2022 के पौष पूर्णिमा स्नान विफल रहा और बड़े-बड़े सरकारी दावों के बीच श्रद्धालुओं का आगमन न के बराबर रहा, वही गंगा नदी के अचानक बढ़ते जलस्तर ने कल्पवासियों के लिए भी परेशानी और मुसीबत बढ़ा दी है। गंगा नदी में बढ़ते जलस्तर के कारण कल्प वासियों के तंबुओं में पानी घुसने लगा है। जिसकी वजह से वहां रहना दूभर हो गया है। आनन-फानन में प्रशासन ने कल्प वासियों को सेक्टर 5 में भेजने का प्रबंध तो कर दिया है, लेकिन न तो वहां पर समुचित जल की व्यवस्था है ना ही सड़कें और ना ही बिजली जिसके कारण कल प्रवासियों में असुरक्षा की भावना सामने आ रही है, और उन्हें डर है कि इन परिस्थितियों में यदि कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती है तो वह किस प्रकार अपनी रक्षा करेंगे।
वही जिलाधिकारी प्रयागराज संजय कुमार खत्री के मुताबिक गंगा नदी में 24000 क्यूसेक अतिरिक्त पानी आ जाने की वजह से यह सारी समस्याएं हो रही है। सर्दी के मौसम के कारण अभी सिंचाई की समुचित जरूरत नहीं है, और बे मौसम पहाड़ों से लेकर तटीय क्षेत्रों तक हो रहे हैं बारिश के कारण जहां गंगा नदी में 7000 क्यूसेक पानी आना चाहिए था वह बढ़कर 24000 क्यूसेक हो गया है, जिससे गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी देखी जा रही है। जिसके कारण माघ मेला 2022 के गंगद्वीप तीर्थ क्षेत्र को काफी नुकसान पहुंच रहा है, और वहां पर प्रयागवाल, पंडा समाज और कई संस्थानों के टेंट लगे हुए हैं, जो कि जलमग्न हो गए हैं। युद्ध स्तर पर इन सभी को विस्थापित किया जा रहा है और इनकी सभी सुविधाओं को जल्द से जल्द यथासंभव पूरी करने की व्यवस्था की जा रही है।