भारत में अश्लील ‘ साहित्य ‘ और पॉर्न का धंधा गैर-कानूनी है। लेकिन इसके धंधेबाज कम नहीं हैं। उनका गोरखधंधा येन केन प्रकारेण चल निकला है। पॉर्न के वैश्विक बाज़ार ने डिजिटल युग में भारतीय समाज को बुरी तरह अपनी चपेट में ले लिया है। यह बात फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुन्द्रा की पॉर्न कारोबार में लिप्तता को लेकर हाल में मुंबई पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी से पुष्ट हो जाती है।
पॉर्न फिल्ममेकिंग अपराध में राज कुंद्र को 19 जुलाई 2021 को गिरफ्तार कर 60 दिनों तक जेल में रखने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया। मुंबई पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक राज कुंद्रा ने 2 साल में अपने ऐप के यूजर्स 3 गुना और मुनाफा 8 गुना बढ़ाने की योजना बनाई थी। उसने अपनी बनाई 119 पॉर्न फिल्मों का पूरा कलेक्शन 8.84 करोड़ रुपये में बेचने की योजना तैयार की थी। कुन्द्रा के ऐप पर पाबंदी लग गई तो उसने दूसरा ऐप बनवा लिया। आरोप है कि राज कुन्द्रा हॉटशाट्स ऐप के जरिए पॉर्न वीडियो स्ट्रीम कराता था।
ऑडियो-वीडियो पॉर्न के भारत में फले- फूले कारोबार के कम से कम तीन दशक हो गए हैं। यह धंधा वीडियो कैसेट और प्लेयर के जरिए जल्द ही ऊच्च वर्ग से निम्न वर्ग तक पसर गया। उसके पहले यह धंधा ब्लू फिल्म के नाम से रील और प्रोजेक्टर के जरिए ‘ ऊँचे लोगों की ऊंची पसंद ‘ तक ही सीमित था , जो इसे बड़े खर्च से अपने ठिकानों पर देखा करते थे।
1970 के दशक से भारत में समुद्री रास्ते से तस्करी के जरिये मध्य वर्ग की भी खरीद क्षमता के वीडियो प्लेयर और औसत किताब के आकार-वजन के वीएचएस कैसेट में भरे ट्रिपल एक्स फिल्मों की आमद शुरू हो गई थी। निम्न वर्ग के लिए झुग्गी झोपड़ी बस्तियों तक में पॉर्न वीडियो दिखाने के पार्लर खुल गए थे।
नई सहस्त्राब्दी का आगमन होते-होते, पहले पॉर्न सीडी और फिर ऑनलाइन पॉर्न भी भारत में प्रचलित होने लगा। वाय-फाय डिजिटल इंडिआ में पॉर्न का जहरीला असर तेजी से बढ़ने लगा। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम ( 2000 ) के अनुच्छेद 79(3)(बी) के तहत पॉर्न पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रावधान है। यह अधिनियम डिजिटल इंडिया में लोगों तक पॉर्न पहुंचने की रोकथाम में कितना कारगर हुआ है उसका मूल्यांकन शेष है।
अमरीका मूल स्रोत है पॉर्न कारोबार का-
अमरीका में ऑडियो-वीडियो पॉर्न उद्योग पनपा जिसका कारोबार दुनिया भर में पसर कर अब ऑनलाइन हो चुका है। भारत में ऑनलाइन पॉर्न कारोबार के अवैध होने के नाते उसकी कमाई का कोई विश्वसनीय अनुमान लगाना संभव नहीं है। लेकिन इसकी प्रामाणिक पुष्टि की जा चुकी है कि भारत ऑनलाइन पॉर्न सर्च करने वाले विश्व के शीर्ष 10 देशों की सूची में अव्वल है।
यह माना जाता है कि भारत में ऑनलाइन पॉर्न के मुरीदों में से 80 फीसद मुफ़्त में पॉर्न चाहते हैं। पर इस गोरखधंधा की यह खासियत है कि वह मुफ्तखोरों की भी ‘ सेवा ‘ कर विज्ञापनों से कमाई कर लेता है। मनोवैज्ञानिक शोध पुष्टि करते हैं कि पॉर्न के साथ जुड़े विज्ञापन गहरी चेतना में दर्ज हो जाते हैं।
पॉर्न कारोबारियों ने भारत में अपना गोरखधंधा चमकाने के लिए कई नुस्खे अपनाये हैं। सनी लियोन नाम से मशहूर कनाडा में पैदा हुई अमरीकी नागरिक है। लेकिन भारतीय मूल की इस पूर्व पॉर्न स्टार, करनजीत कौर वोहरा को भारत में सबसे पहले टीवी शो बिग बॉस में जगह मिली थी। फिर उनका 2012 में हिन्दी फिल्म जिस्म -2 में बतौर नायिका पदार्पण हो गया। यह फिल्म केवल वयस्कों के लिए थी. लेकिन उस फ़िल्म के बड़े-बड़े अर्धनग्न होर्डिंग और पोस्टर शहरों के चैराहे पर लगाए गए। इस फिल्म से जुड़े दिग्गज फिल्मकार महेश भट्ट ने कुछ बरस पहले राज्यसभा टीवी पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के मीडिया मंथन कार्यक्रम में इस तरह के होर्डिंग-पोस्टर चैराहों पर अवयस्कों को भी नज़र आने देने के औचित्य पर पूछने पर दावा किया था कि इसमें कुछ भी गलत दोष नहीं है। इनके लिए नगरीय निकायों को धन दिए जाते हैं !
कहा जाता है कि सनी लियोनी और मिया खलीफा जैसी पोर्न स्टारों की भारत के मनोरंजन उद्योग और रियलिटी शो में सक्रियता पॉर्न उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिएसुनियोजित तरीके से बढ़ाई गयी। ‘ स्टडी जर्नल ऑफ सेक्स रिसर्च ’ में प्रकाशित एक अध्ययन को प्रचारित कर दावा किया गया कि पोर्न देखना अच्छी बात है और इससे लोग महिलाओं के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं और सम्मानित व्यवहार करने लग जाते हैं! !
सन 2017 में पोर्नहाब वेबसाइट के आंकड़े से पता चला कि भारत , इस वेबसाइट को विजिट करने वाले लोगों के देशों में तीसरे नंबर पर था। इसके कुछ बरस पहले तक इस वेबसाइट पर आने वाले लोगों में से 40 फीसद ट्रैफिक अमेरिका से था।
2015 में गूगल ने इंटरनेट पर सबसे ज्यादा पॉर्न खोजने वाले देशों के जो आंकड़े जारी किए थे उनमें शीर्ष 10 में भारत भी था। भारत में 70 फीसदी तक इंटरनेट ट्रैफिक, पॉर्न वेबसाइट्स से आता है।
पॉर्न ‘ उधोग ‘ में अव्वल तो करीब आधी हिस्सेदारी के साथ अमरीका है। वहाँ 1953 से प्लेबॉय जैसी अश्लील पत्रिका छपती है। स्वघोषित रूप से पुरुषों के लाइफस्टाइल और मनोरंजन की इस पत्रिका के संस्थापक और प्रमुख संपादक ह्यू हेफनर का 91 बरस की उम्र में 2017 में जब निधन हुआ तो वह बड़ी खबर बन गई। इस खबर में यह चाशनी भी घोल दी गई कि हेफनर को हॉलीवुड की दिवंगत उन मशहूर अदाकारा और सिंगर मर्लिन मुनरो (1926-1962) के बगल में दफ़नाया गया जिनकी नग्न तस्वीर प्लेबॉय के सर्वप्रथम अंक के कवर पर छपी थी। पॉर्न इंडस्ट्री के इस ‘ बेताज बादशाह ‘ ने यह जगह अपने पार्थिव शरीर को मुनरो का बगलगीर होने की हसरत से 25 बरस पहले ही खरीद ली थी। पॉर्न कारोबार के लोगों की मरने बाद की भी हसरतें अश्लील होती हैं।
दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों को अगस्त 2015 में 857 पोर्न वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के निर्देश दिए थे। इस पर कुछ टेलीकॉम कंपनियों ने कुछ पॉर्न साइट्स को ब्लॉक कर भी दिया। पोर्न साइट्स ब्लॉक होने से देशभर में इंटरनेट यूजर्स में नाराजगी नज़र आई। उन्होंने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया के जरिए विरोध व्यक्त किया। उनकी नाराजगी भरी प्रतिक्रया हैशटैग टि्वटर के टॉप ट्रेंड में शुमार हो गया। टेलिकॉम कंपनियों ने वेबसाइट के बैन होने से रेवेन्यू के नुकसान की शिकायत की। इसके बाद दूरसंचार विभाग ने नए आदेश में कहा कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स इन्हें ब्लॉक न करने के लिए स्वतंत्र हैं अगर इन वेबसाइट पर कोई चाइल्ड पॉर्नोग्राफिक कंटेट न हो।
27 सितंबर, 2018 को उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद केंद्र सरकार ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स से 827 पॉर्न वेबसाइट को ब्लॉक करने कहा था। इनमे से कुछ वेबसाइट, सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा ब्लॉक किये जाने की खबर भी है।
बाहरहाल, भारत में पॉर्न वेबसाइट अभी भी चल रहे हैं। हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि अब अमेरिका के बाजार में पॉर्न कंटेन्ट हिंदुस्तान से भेजा जाने लगा है। करोड़पति व्यवसाई और इंडियन प्रीमियर क्रिकेट लीग में राजस्थान रॉयल्स टीम के मालिकों में शामिल राज कुन्द्रा ज्यादा से ज्यादा धन कमाने की हवस में उसी गोरखधंधा को चलाने के गंभीर अपराध के आरोप में पकड़े गए। वे पकड़ लिए गए और उन्हे अदालत से कोई खास राहत नहीं मिली है. लेकिन न जाने कितने और बड़े बड़े लोग इस घिनोंने कृत्य में लिप्त है।
यह आलेख लेखक की नॉटनल (लखनऊ ) से शीघ्र प्रकाश्य ई-पुस्तक, न्यू इंडिया में समाज के एक चैप्टर पर आधारित है। आलेख में संलग्न प्लेबॉय के कवर पर मर्लिन मुनरो , ह्यू हेफनर और राज कुन्द्रा के फ़ोटो ओपन सोर्स से लिए गए।