प्रयागराज: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का निधन हो गया है. नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के महंत भी थे। नरेंद्र गिरि का शव प्रयागराज के उनके बाघंबरी मठ में ही फांसी के फंदे से लटकता मिला. इसके बाद से नरेंद्र गिरी और अखाड़ों को लेकर काफी चर्चा हो रही है। निरंजनी गिरी की मौत के बाद अब लोगों के मन में सवाल है कि आखिरी ये अखाड़े क्या होते हैं? दरअसल, अक्सर साधुओं के साथ किसी ना किसी अखाड़े का नाम जोड़ा जाता है।
प्रसिद्ध बाघंबरी गद्दी के लिए महंत नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी महंत बलवीर गिरि को नियुक्त करने के बाद अब निरंजनी अखाड़े के पंच परमेश्वर अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का नया अध्यक्ष नियुक्त करने की तैयारी में जुट गए हैं।पता चला है कि अध्यक्ष पद लिए अखाड़े के कई पदाधिकारियों के नाम पर विचार विमर्श कर रहे हैं। इस संबंध में 25 अक्तूबर को बुलाई गई बैठक में सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा।
बताया है कि जिसके नाम पर दो तिहाई सदस्य सहमत होंगे उसे अध्यक्ष पद की बागडोर दी जा सकती है। बता दें कि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के ब्रह्मलीन होने के बाद से यह पद रिक्त चल रहा है। अखाड़ा परिषद ने घोषणा की थी कि महंत की षोडशी के बाद नए अध्यक्ष पद पर विचार किया जाएगा।
धार्मिक तौर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष पद एक महत्वपूर्ण पद है। यह सभी 13 अखाड़ों का प्रतिनिधित्व करता है। अध्यक्ष पद के लिए अंदर ही अंदर खींचतान की बात भी सामने आई है। कई अखाड़े अपने खेमे के संत को इस पद पर बैठाने के प्रयास में हैं। अध्यक्ष पद पर नियुक्ति सर्वसहमति से हो इसका प्रयास पंच परमेश्वर करने का प्रयास कर रहे हैं। बताया जाता है कि अध्यक्ष पद को लेकर कोई खींचतान और विवाद नहीं है। सभी संत सहमति से नया अध्यक्ष चुनेंगे।देश में अभी शैव, वैरागी और उदासीन संप्रदाय के कई अखाड़े हैं और अभी तक कुल 13 अखाड़े हैं। ये 13 अखाड़े अलग अलग परंपरा के साधु जुड़े हैं, जिसमें 7 अखाड़े शैव संन्यासी संप्रदाय के हैं जबकि 3-3 अखाड़े वैरागी और उदासीन परंपरा के साधुओं के हैं।कुंभ और अर्धकुंभ के आयोजन में इन अखाड़ों की खास भूमिका होती है। अखाड़ों में वर्चस्व की लड़ाई की वजह से साल 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना की गई, जिसके अध्यक्ष नरेंद्र गिरी रहे