प्रयागराज: राज्यसभा सांसद पूर्व बिजली मंत्री कुंवर रेवती रमण सिंह ने कोयला आपूर्ति कमी की वजह से बिजली उत्पादन ठप होने पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि मोदी सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा पुरा देश भुगत रहा है जिस तरह से आंख मूंदकर अधिकतर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बंद कर या उनका नीजिकरण किया गया, जो कभी भी जनहित व देश हित में नहीं होगा।उन्होंने कहा कि कोयला ढुलाई सबसे ज्यादा भारतीय रेलवे द्वारा होतीं थीं अब माल गाड़ी के डिब्बों पर अडानी रेल लिखा रहता है तो ये व्यापारी अपना लाभ देखेंगे कि जनसेवा या देश सेवा करेंगे।
सांसद ने कहा कि इसी तरह जब नई कृषि नीति पूरी तरह लागू हो जायेगी तो लोगों को खाने के लाले पड़ेंगे क्योंकि खाद्यान्न की मांग आपूर्ति और दाम पर पूंजीपतियों का कब्जा होगा।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने देश की धरोहर खनिज संपदा खदानों को पूंजीपतियों के हाथों सौंपने का प्लान आज कोयले की कमी उसी का नतीजा है जिसकी वजह से “फर्स्ट पेमेंट देन सप्लाई” के सिद्धांत पर काम होने लगा इसलिए यह क्रत्रिम कोयले की कमी बनाई गई हैं जिससें बिजली उत्पादन कम्पनी बकाया भुगतान करने के साथ एडवांस पेमेंट करें जिससें पूंजीपतियों को और लाभ हो जबकि 1972 में कोयला खदानो का राष्ट्रीयकरण हुआ तो कोयले की सप्लाई और मजदूरों के जीवन में सुधार हुआ।सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया मांग आपूर्ति मे समन्वय स्थापित किया जिससें बिजली उत्पादन की निरंतरता बनीं रहतीं थीं कभी भी बिजली उत्पादन फैक्ट्री बंद करने की नौबत नहीं आती थी।
सांसद ने कहा कि भारत जैसे विकासशील अत्यधिक आवादी वाले गरीब कृषि प्रधान देश में सरकारी स्वामित्व खत्म कर पूंजीवादी व्यवस्था लागू करना जनहित में नहीं है।
जिलाउपाध्यक्ष विनय कुशवाहा ने कहा कि सांसद कुंवर रेवती रमण सिंह जब बिजली मंत्री थे तो जमुनापार को बुंदेलखंड क्षेत्र धोषित कराया था जिसका नतीजा यह था कि जमुनापार को 20 घंटे बिजली मिलतीं थी लेकिन भाजपा ने इसे खत्म कर दिया आज जमुनापार के लोग खुद महसूस कर रहे होंगे कि जमीनी काम करने वाले और सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी से झूठ बोलने वालों में क्या अंतर है।
प्रवक्ता ने कहा कि मुलायम सरकार मे तत्कालीन पर्यावरण मंत्री उज्जवल रमण सिंह के प्रस्ताव पर स्वीकृत बारा व मेजा थर्मल पावर प्लांट में भी उंगली के दिन का कोयला बचा है यहां भी जल्द उत्पादन ठप हो जायेगा जिससे स्थिति और विकट हो जायेगी।