आज बेहद भयानक और दुःखद घटना लखीमपुर में घटी है, जिस तरह किसानों के ऊपर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटा गाड़ी से कुचलने की हरकत कर गुजरता है, और भाजपा और तमाम नेता चुप्पी साधे बैठें है ये चौकानें वाली बात है।
कांग्रेस और तमाम विपक्षी पार्टियां इसकी गंभीरता देखकर सन्न है, इसी घटना पर प्रोफेसर गौरव भल्लभ और वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने इस घटना के सूत्रधार गृहमंत्री अजय मिश्रा का इस्तीफा मांगा है। मीडिया के माध्यम से ये मांग रखी है कांग्रेस ने-
लखीमपुर खीरी में अब तक मिली जानकारी के अनुसार 6 किसानों ने अपने प्राण त्याग दिए। इससे पहले कि मैं इसके बारे में विस्तार से बोलूं, मैं चाहूंगा कि कांग्रेस पार्टी की ओर से हम सब लोग एक मिनट का मौन रखकर, उन सभी दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करें ।
(सभी की तरफ से किसानों की आत्मा की शांति के लिए एक मिनट का मौन रखा गया।)
साथियों, कल देश ने बापू का जन्मदिन मनाया और आज एक बेहद अप्रिय घटना, ऐसी घटना जिसमें हिंदुस्तान की आत्मा पर वार किया गया है। ये 6 किसानों को ही नहीं रौंदा गया है, ये हिंदुस्तान की आत्मा को, हिंदुस्तान के संविधान को, हिंदुस्तान के लोकतंत्र को रौंदने का प्रयास किया गया है। मैंने और आपने जलियांवाला बाग नहीं देखा होगा, पर मुझे लगता है कि उस समय भी क्रूर शासकों ने ऐसा ही बर्ताव किया होगा। उस समय भी ऐसी ही घटना हुई होगी कि पहले देश के गृह राज्य मंत्री, अजय मिश्रा भाषण देते हैं और कहते हैं सुधर जाओ, नहीं तो दो मिनट में ठीक कर दूंगा। ये उनका भाषण है। सोशल मीडिया के सारे प्लेटफार्म पर ये भाषण मौजूद है और उसके बाद अब तक मिली जानकारी के अनुसार 6 किसानों को सरकार के अभिमान, सरकार के गुरूर ने अपनी गाड़ियों के टायर के नीचे रौंदने का काम किया है।
उनकी क्या गलती थी, वो क्या मांग रहे थे- वो मांग रहे थे अपनी फसलों का उचित दाम। वो क्या मांग रहे थे – वो मांग रहे थे इन तीन काले कानूनों को वापस लो। वो क्या मांग रहे थे- वो अपने बच्चों का भविष्य मांग रहे थे और सत्ता में चूर, सत्ता के गुरूर में चूर लोगों ने, मंत्री जी के पुत्र ने अपनी गाड़ी से उन किसानों के बच्चों को, अन्नदाताओं की भावी पीढ़ी को रौंदने का काम किया।
क्यों किया – ऐसी उन्होंने क्य़ा गलती की? क्या ये लोकतंत्र को रौंदने का प्रयास नहीं है? क्या हमारे लोकतंत्र में अपनी मांग को लेकर, सरकार के सामने अपनी मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करने का अधिकार नहीं है? क्यों आपमें इतना गुरूर आ रहा है, क्यों आपमें इतना अभिमान आ रहा है? अरे, ये तो वो भूमि है, जहाँ पर सर्वज्ञानी, महाज्ञानी रावण का भी अभिमान नहीं टिक सका था, आप तो क्या चीज हैं।
6 किसान अब तक अपना शरीर त्याग चुके हैं, क्या सरकार की तरफ से एक शब्द भी सहानुभूति का, सरकार की तरफ से एक शब्द भी इस बर्बरता, इस रौंदने के कार्यक्रम के बारे में एक शब्द भी किसी मंत्री का, भारतीय जनता पार्टी के किसी सांसद का आया? हां, शब्द आते हैं उनकी ओर से – कभी कहा जाता है ये मवाली हैं। कभी कहा जाता है, ये निक्कमें हैं। कभी कहा जाता है ये पाकिस्तानी हैं। कभी कहा जाता है ये खालिस्तानी हैं। कभी कहा जाता है ये ठलुए हैं। कभी कहा जाता है ये कैनेडियन एजेंट हैं, पर किसी के मुँह से ये नहीं निकलता कि 700 से ज्यादा अन्नदाता पिछले 10 महीने के दौरान अपनी मांगों को लेकर अपना बलिदान दे चुके हैं, और ये सारे किसान प्रधानमंत्री जी के आवास से 20 किलोमीटर दूर बैठे हैं। किसी के पास समय नहीं है। 8 महीने, 10 दिन हो चुके हैं बातचीत बंद हुए, पर किसी के पास समय नहीं है कि उन किसानों से जाकर पूछें कि आपकी व्यथा क्या है, आपकी मांग क्या है? क्यों भारत में आज एक किसान खेती से 27 रुपए मात्र कमा रहा है? इसका जवाब कौन देगा? ध्यान रहे, ये अजय मिश्रा जी का क्षेत्र वही क्षेत्र है, जहाँ पर एक महिला रितु सिंह, जब अपना नामांकन भरने जाती हैं, तो उसके साथ क्या दुर्व्यवहार हुआ, किस तरह से चीरहरण हुआ, वो देश ने देखा। ध्यान रहे आज के ही दिन इन्हीं के एक और मुख्यमंत्री, जिनका मैं वीडियो आपको सुनाना चाहूंगा और सुनिए, ये इनकी लोकतंत्र और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का विश्वास है।
क्या कह रहे हैं, ये हरियाणा के मुख्यमंत्री जी? मैं आपको बोल कर सुना देता हूं, जो ये बात बोल रहे हैं। भाजपा के समर्थित लोग आंदोलनकारी किसानों पर लट्ठों से हमला करें। ये संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति बोल रहे हैं, हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं जो। वो बोल रहे हैं कि लट्ठों से किसानों के ऊपर हमला करें। फिर यहीं नहीं रुकते हैं वो, वो कहते हैं जेल जाने और वहाँ से नेता बनकर निकलने में आपको कोई नहीं रोक सकता। बोलते हैं जेल चले जाओ और वहाँ से नेता बनकर निकलो। मतलब, अब हिंदुस्तान में और लोकतंत्र में किसानों पर जो हमला करता है, उसको भारतीय जनता पार्टी अपना नेता बनाना चाहती है।
होम मिनिस्टर, अजय मिश्रा, जिनके अधीन क्या आता है – पुलिस, कानून व्यवस्था। उनके सुपुत्र अपनी गाड़ी से किसानों को रौंद देते हैं और वो कहाँ हैं? उनका क्या वक्तव्य है? देश के गृहमंत्री, कैबिनेट मंत्री, उनका क्या वक्तव्य है? देश जल रहा है, पर किसी का कोई वक्तव्य नहीं है। इस बाबत हमारी तीन मांगे हैं:-
पहली, तुरंत प्रभाव से गृह राज्य मंत्री, अजय मिश्रा अपना त्याग पत्र दें और उन किसानों से माफी मांगे, जिनको कुचलने का प्रयास उन्होंने किया, जिसमें 6 लोगों ने अपने प्राण अभी तक की जानकारी के अनुसार त्याग दिए।
हमारी दूसरी मांग है कि किसके आदेश पर ये रौंदने का कार्यक्रम हुआ, इसके बारे में सुप्रीम कोर्ट की सिटिंग जज की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बने और वो दोषी लोग, उन गाड़ियों को चलाने वाले लोग, उन लोगों की जांच हो, ताकि पता चले कि किसके आदेशों की वो पालना कर रहे थे।
हमारी तीसरी मांग और बेहद गंभीर मांग है। हरियाणा के मुख्यमंत्री को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। ऐसे मुख्यमंत्री जो संवैधानिक पदों पर बैठे हैं, वो कहते हैं लट्ठ मारो किसानों को। जेल चले जाना, वहाँ से नेता बनकर हम निकाल लेंगे आपको। ये भारतीय जनता पार्टी का नेतागीरी का मॉडल है।
हमारी चौथी और अंतिम मांग ये है कि इस माननीय सुप्रीम कोर्ट, जिसमें हर व्यक्ति को विश्वास है, क्या सुप्रीम कोर्ट कल संज्ञान लेगा इस बारे में? क्या हमारे न्याय प्रिय न्यायाधीश, जो किसानों को अपना वक्तव्य देते हैं, उनके लिए कुछ टिप्पणी करते हैं, क्या वो सरकार पर टिप्पणी करेंगे कि किस तरह से सरकार के गुरूर ने 6 किसान परिवारों को रौंद दिया? एक व्यक्ति जब रौंदा जाता है, तो पूरा परिवार रौंद दिया, क्य़ा उसके बारे में वो टिप्पणी करेंगे। हरियाणा के मुख्यमंत्री कहते हैं कि लट्ठों से मारो किसानों को, क्या उसके बारे में हमारे न्यायप्रिय न्यायाधीश टिप्पणी करेंगे?
मेरी मांग है, मेरे सारे न्यायप्रिय न्यायाधीशों से कि इसके बारे में भी टिप्पणी कीजिए सर। हम आपकी तरफ देख रहे हैं, आशाभरी नजरों से देख रहे हैं कि ऐसे संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति, भले वो देश के गृह राज्य मंत्री हों, भले हो एक सूबे के मुख्यमंत्री, जो हिंसा फैलाते हैं, जो किसानों के लिए अभद्र टिप्पणियां करते हैं, जो किसानों का सिर लट्ठों से फोड़ने का आदेश देते हैं, उसकी मॉडस ओपरेंडी, उसकी टूलकिट देते हैं, क्या उनके खिलाफ आप भी टिप्पणी कीजिए माननीय न्यायप्रिय न्यायधीश महोदय। मैं आपकी तरफ, कांग्रेस पार्टी का हर कार्यकर्ता और देश का हर व्यक्ति आपकी तरफ सकारात्मक नजरों से देख रहा है, आपका इंतजार कर रहा है।
देखिए, अंत में मैं एक ही बात कहूंगा कि ये 6 व्यक्तियों को कुचलने का प्रयास नहीं है। ये अन्नदाताओं की आत्मा को कुचलने का प्रयास है। ये भारत का संविधान बाबा साहेब द्वारा निर्मित संविधान को कुचलने का प्रयास है। ये महात्मा गांधी द्वारा दिए गए लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास है। पर ध्यान रहे अभिमानी सरकार, ध्यान रहे सत्ता के नशे में चूर सरकार के नुमाईंदो, ये भारत देश है, यहाँ पर अंग्रेजों को भी महात्मा गांधी की एक लाठी और उनके सत्याग्रह के सामने झुकना पड़ा था और इस सत्याग्रह, जो पिछले 10 महीने से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर, देश के अन्य राज्यों के अंदर जो सत्याग्रह कर रहे हैं, उसके सामने इस क्रूर सरकार को झुकना पड़ेगा।
एक प्रश्न पर कि केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने बयान दिया है कि किसानों के बीच कुछ ऐसे लोग आ गए हैं, जो किसानों के आंदोलन को हिंसात्मक बनाना चाह रहे थे, इस पर कांग्रेस पार्टी का क्या कहना है, प्रो गौरव वल्लभ ने कहा कि मेरा सिर्फ एक ही प्रश्न है देश के गृह राज्य मंत्री से कि किसकी गाडी थी, जिसकी गाड़ी के टायर के नीचे कुचला गया किसान को? उस गाड़ी में कौन-कौन बैठा था और क्या उन्होंने ये धमकी नहीं दी, मैं फिर दोहराता हूँ, अजय मिश्रा ने क्या ये धमकी नहीं दी- “सुधर जाओ, वरना सुधार देंगे, दो मिनट के अंदर”? किसको सुधार देंगे वो? लोकतंत्र में ये बात होती है कि सुधर जाओ नहीं तो सुधार देंगे? क्या सुधार दोगे आप? क्या आपके पास राइट है लोगों को सुधारने का? किसने लोकतंत्र में आपको इस तरह के अभिमान का राइट दिया है और अब आप अपने एक्सक्यूज दे रहे हो। आपको पुत्र कहाँ थे, कौन सी गाड़ी में बैठे थे, कौन गाड़ी चला रहा था? किसके कहने से, जब दोनों तरफ सड़कों पर आंदोलनरत किसान बैठे हैं, आप इतनी स्पीड में किस तरह गाड़ी चला रहे हो कि आप लाइन से लोगों को कुचलते हुए जा रहे हो और अब बोल रहे हो कि कुछ गलत तत्व घुस चुके हैं। अरे गलत तत्व नहीं, आपकी मानसिकता गलत है औऱ वो मानसिकता गलत क्यों है, क्योंकि पिछले 10 महीने से जब नामकरण हो रहा है, कभी खालिस्तानी, कभी पाकिस्तानी, कभी कैनेडा का एजेंट, कभी ठलुए, कभी निकम्मे, कभी नाकारा, इन शब्दों का प्रयोग भारत के अन्नदाताओं के लिए, 64 करोड़ अन्नदाताओं के लिए किया गया है, वो अन्नदाता कभी माफ नहीं करेंगे।
आप उनको कुचल तो सकते हो, पर उनकी आत्मा को और भारत के लोकतंत्र और बाबा साहेब द्वारा निर्मित संविधान को आप नहीं कुचल सकते। अंत में जीत सत्याग्रह की होगी, अंत में जीत सत्य की होगी, अंत में जीत उन किसानों की होगी, जो पिछले 10 माह से इन तीन काले कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार के सामने सत्याग्रह कर रहे हैं।
मेरा सवाल बिल्कुल सिंपल है, आपको एक लाइन में उत्तर देता हूँ, “सुधर जाओ, वरना सुधार देंगे”, ये शब्द अजय मिश्रा जी ने किसके लिए बोले थे? किसानों के लिए या देश के प्रधानमंत्री जी के लिए, किसके लिए बोले थे? वो बताएं इसको कि ये शब्द उन्होंने किसके लिए बोले थे? ये शब्द देश के गृह राज्य मंत्री से शोभा देते हैं! गृह राज्य मंत्री, जिसके अधीन देश की कानून व्यवस्था आती है, वो बोलते हैं कि सुधर जाओ, नहीं तो दो मिनट में सुधार दूंगा। देश के एक कृषि प्रधान राज्य के मुखिया बोलते हैं कि लट्ठों से मारो, ये शोभा देते हैं आपको?