वाराणसी/ सूचना है कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के डॉ विभूति नारायण परिसर में गंगापुर में इन दिनों विश्विद्यालय की वार्षिक परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। छात्रों को इस परीक्षा केंद्र में सेंटर दिया गया है। लेकिन सेंटर देते समय कोविड की गाइडलाइंस और सोशल डिस्टेंस की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है।
आरोप है कि इस परिसर में 300 छात्रों के बैठने की व्यवस्था है, लेकिन 1000 से ज्यादा छात्र परीक्षा दे रहे हैं, एक पाली में। स्वाभाविक है कि कोई सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं कर पा रहा है। एक बेंच पर 3 से ज्यादा छात्र बैठकर परीक्षा दे रहे है। इस केंद्र पर 6 केंद्रों से बच्चें आकर परीक्षा में शामिल हो रहे हैं।
बढ़ते कोरोना के मामलें और केंद्र सरकार के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस है, कि टीके के बाद भी एक निश्चित दूरी और कोविड नियमों का पालन करना है। ऐसे में ये सेंटर की जिम्मेदारी थी कि वो सुनिश्चित करें कि बच्चों के भविष्य को बिना किसी खतरें में डाले इस परीक्षा को समन्न करवाया जाये। फिर ऐसी लापरवाही कैसे हुई।
जब हमनें अपने सूत्रों के पता लगाने की कोशिश की तो हमें पता चला कि डॉ विभूति नारायण सिंह के डायरेक्टर डॉ योगेंद्र सिंह की नीयत ठीक नहीं है और वो जानबूझ विश्वविद्यालय की छवि खराब करके नये आये कुलपति महोदय और रजिस्ट्रार को दबाव में लेकर अपनी गर्दन बचाने की जुगत में है क्योंकि उनके ऊपर गंभीर और संगीन आरोप है, एक मामलें में कोर्ट के आदेश से FIR भी होनी है।
इस बात को पुष्टि इसलिए मिलती है क्योंकि नवनियुक्त परीक्षा नियंत्रक को 8 जुलाई से पहले बैठने की व्यवस्था की उपलब्धता के बारे में सूचित किया जाना था। हर केंद्र को समय सीमा पर अपनी बात रखनी होती है लेकिन इस केंद्र ने कम क्षमता के वावजूद ज्यादा परीक्षार्थियों को लिया। डॉ योगेंद्र सिंह ने चुप्पी साध रखी थी, मंशा साफ है इरादे नेक नहीं।
ऐसी ही एक हरकत ये योगेंद्र सिंह के द्वारा जून में संविदा के शिक्षकों को लेकर किया गया था, जब उसने उनकी फ़ाइल मुख्य कार्यालय को ना भेजकर दबा दी और दिल्ली की सैर पर निकल गये।
लेकिन नए कुलपति प्रोफेसर आंनद कुमार त्यागी की प्रशासनिक क्षमता के कारण इस मामलें में तूल खड़ा नहीं हुआ और काम पूरा हुआ।
इस खबर को लिखते समय तक्षकपोस्ट की टीम को इस परीक्षा केंद्र में शामिल छात्रों के द्वारा एक शिकायती पत्र मिला है, जिसके आधार पर ख़बर लिखी गई है। विश्विद्यालय प्रशासन अपने स्तर पर उचित जांच करवाये।