दिल्ली: लक्षद्वीप अपनी शांति और खूबसूरती के वजह से जाना जाता है, साथ ही यहां जीरो अपराध दर हैं, देश के बाकी हिस्सों के मुकाबले। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों में इस बात की पुष्टि होती है। गंभीर अपराध यहां नहीं होते हैं। ऐसे में यहाँ गुंडा एक्ट लगाना सरकार की गलत नीति पर सवाल खड़ा करती है! दरसअल ये एक्ट लगाने की पीछे सरकार की मंशा यहाँ के प्राकृतिक और विश्व के सबसे ज्यादा जैव विविधता को अपने तरीके से कॉरपोरेट के इशारे पर तबाह करना है। पूरे खेल में गुजरात और आरएसएस की लॉबी पूरी ताकत के साथ लगी हुई है। इस लिए नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यकाल के पूर्व सहयोगी प्रफुल कोदा पटेल को इस काम के लिए केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली का प्रशासक नियुक्त किया गया।
भाजपा नेता प्रफुल कोदा पटेल का विवादास्पद ट्रैक रिकॉर्ड रहा है, जब से उन्हें केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव का प्रशासक नियुक्त किया है। 2016 में उनके खिलाफ दादरा और नगर हवेली के कलेक्टर कन्नन गोपीनाथन चुनाव के दौरान अन्य चुनाव अधिकारियों को प्रभावित करने का आरोप लगा चुके है। प्रफुल कोदा पटेल का नाम लोकसभा सांसद मोहन डेलकर को आत्महत्या के लिए उकसाने में आया है। कुछ समय पहले सांसद ने एक चिट्ठी में प्रफुल का नाम लिखकर आत्महत्या कर ली थी, इस मामलें में इस महीने महाराष्ट्र सरकार ने जांच के लिए SIT का गठन करके मामलें को आगे बढ़ाया है। पटेल पर आरोप है कि पेशे से वकील और सांसद मोहन आदिवासियों के हितों की लड़ाई लड़ रहे थें। जिनके हिस्सेदारी वाली समुंद्र तट पर जबरन अधिग्रहण और आदिवासी अधिकारों का गला घोंटा जा रहा था , ये मछली पकड़ने वाले समुदाय की लड़ाई थी। वो नये कानूनों के आड़ में लोगों के शोषण के खिलाफ थे।
पिछले साल दिसंबर में केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासक के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद उनके कार्यों को केवल इस केंद्र शासित प्रदेश की मुस्लिम आबादी पर बड़े पैमाने पर कंट्रोल करने के रूप में देखा जा सकता है। पटेल ने मांस की खपत पर प्रतिबंध लगा दिया, स्थानीय डेयरी उत्पादों को गैरकानूनी बना दिया, 38 आंगनवाड़ियों को बंद कर दिया, लक्षद्वीप में 99% खपत मांस की है। स्कूल की मेनू से मांस को हटा दिया गया है।विरोध होने पर आवाज़ दबाने के लिए मनमाने तरीके से कानून लाया गया और लागू किया गया कोरोना जैसी आपदा के लहर के बीच। ये कानून LDAR के रूप में पास किया गया।
क्या है ऐसा इस कानून में और विरोध क्यों-
विवादास्पद नए कानूनों में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 (LDAR) इस कानून में शक्तियां दी गई है प्रशासक प्राधिकरण को किसी भी विकासात्मक गतिविधि के लिए निवासियों को उनकी संपत्ति से जबरन हटाने या स्थानांतरित करने की अनुमति देता है; असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम (पासा), जनवरी 2021 में पेश किया गया, जो अधिकारियों को एक साल तक बिना कारण बताये बिना किसी को भी हिरासत में रखने की अनुमति देता है।
नया मसौदा पंचायत नियम (संशोधन) अधिनियम उन लोगों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकता है जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। सरकारी कार्यालयों द्वारा नियोजित सैकड़ों अनुबंध और आकस्मिक श्रमिकों को भी बर्खास्त कर दिया है, मीड डे मील बनाने वाले कर्मियों, शारीरिक शिक्षा शिक्षकों, समुद्री वन्यजीव संरक्षण चौकीदारों आदि को भी समाप्त कर दिया है। 300 लोग बेरोजगार हुये है इस नीति के कारण। संख्या ज्यादा भी हो सकती है।
कोविड की गति के हिसाब कोस्टल और दीप ज्यादा संवेदनशील है पर यहाँ कोविड प्रोटोकॉल लागू नहीं हैं। जिसके कारण स्थानीय लोगों के अनुसार कोविड के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। इलाज के अस्पताल में एडमिशन तभी मिलेगा जब RT-PCR रिपोर्ट नेगिटिव हो नतीजतन, लक्षद्वीप, जिसमें 2020 में शून्य कोविड मामले थे, ने दूसरी लहर के दौरान कोविड केस बढ़ा दिए है, जिसमें कुल 22 मौतें हुई हैं, जबकि रोज़ 300 केस आ रहे है।
लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन के मसौदे में मवेशियों के वध और गोमांस की खपत पर प्रतिबंध हैं। नया कानून अधिकारियों को बीफ या बीफ उत्पादों को जब्त करने की अनुमति देता है, उल्लंघन करने वालों को 10 साल तक की जेल की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यहां तक कि अन्य जानवरों के वध के लिए भी पूर्व अनुमति की आवश्यकता होगी।
स्थानीय डेयरी फार्मों को बंद करने और पशुओं की नीलामी के निर्देश देने के बाद प्रशासन ने गुजरात स्थित अमूल को द्वीप में अपने आउटलेट खोलने की अनुमति दी है. अमूल, दुनिया की सबसे बड़ी डेयरी सहकारी समितियों में से एक है, जिसे गुजरात में आरएसएस-भाजपा गठबंधन द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यहाँ के वो लोग, जिनके लिए मछली पकड़ने के बाद पशुधन आय का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, अब सड़क पर आ जाएंगे।
लखद्वीप द्वीप समूह के विभिन्न रिसॉर्ट्स में शराब परोसने के नियमों में बदलाव किया गया है। नए नियमों के तहत, अब सभी द्वीपों के रिसॉर्ट्स को शराब बेचने की इजाजत होगी, जबकि पहले, यह केवल निर्जन बंगाराम द्वीप में रिसॉर्ट्स को ऐसा करने की अनुमति थी। ऐसा यहाँ अपराध को रोकने की दृष्टि से किया गया था पूर्व में।
तटरक्षक अधिनियम लागू किया गया है, ताकि मछुआरों द्वारा अपने उपकरण को किनारे पर रखने के लिए बनाए गए अस्थायी शेड को तोड़ने के आर्डर निकाले गए है क्योंकि मार्च में दिल्ली की एक कंपनी RDS कंस्ट्रक्शन के प्रोपोजल को गृहमंत्री अमित शाह ने अन्य ग्रुप के साथ अनुमति दी है। सुविधाओं को “राष्ट्रीय राजमार्ग मानकों” के अनुरूप “सड़क चौड़ीकरण” के लिए ध्वस्त किया जाना है, जहां वाहनों की कम संख्या है ऐसे में सड़क बनाना भी संदिग्ध है।
प्रशासन ने अपनी नीतियों के विरोध को दबाने के लिए गुंडा अधिनियम का इस्तेमाल किया है, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने पहले केंद्र के सीएए / एनआरसी कानूनों का विरोध करने वाले बैनर लगाए थे। लोगों का मानना है कि असली उद्देश्य प्रशासन और केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों को निशाना बनाना है।
प्रफुल कोदा ने राज्य के साथ मलयालम भाषी द्वीप आबादी के पारंपरिक संबंधों को तोड़ते हुए, केरल में बेपोर बंदरगाह के माध्यम से लखद्वीप से सभी माल ढुलाई का आदेश दिया है।
इस मामलें पर हंगामा बढ़ने के साथ राजनैतिक दल और नामचीन हस्तियों के मैदान में उतर जाने से मामला लोगों के संज्ञान में आया।
राहुल गांधी ने कहा इसे बचाना जरूरी है, और मैं स्थानीय लोगों के साथ खड़ा हूँ
Lakshadweep is India’s jewel in the ocean.
The ignorant bigots in power are destroying it.
I stand with the people of Lakshadweep.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 26, 2021
केरल के सांसद एलमाराम करीम के अनुसार, योजना केरल से द्वीप के ऐतिहासिक संबंध को तोड़ने की है और इसके बजाय सभी द्वीप-संबंधी यातायात मैंगलोर तक ले जाने की है, जो भाजपा शासित कर्नाटक में आरएसएस का गढ़ है।
After Kashmir Lakshadweep is the new target of Modi Govt. People there are being tortured under the new Administrator's rule. Everything to destroy their culture & traditions. Wrote to @rashtrapatibhvn to immediately call back the authoritarian Administrator.#SaveLakshadweep pic.twitter.com/rzH43wFil1
— Elamaram Kareem (@ElamaramKareem_) May 24, 2021
वाम दलों के साथ-साथ केरल में कांग्रेस के कई सदस्यों ने, जो द्वीपों के साथ ऐतिहासिक संबंध साझा करते हैं, ने विरोध किया है, जिसे उन्होंने नए प्रशासन के “तानाशाह” का नाम दिया है। लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल पीपी, एलाराम करीम और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि प्रशासक के कार्यों से लक्षद्वीप के लोगों की संस्कृति और जीवन को खतरा है। “इस तरह के कृत्यों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। केरल के लक्षद्वीप के साथ लंबे समय से संबंध हैं। इसे नष्ट करने की कवायद चल रही है। संबंधित व्यक्तियों को इस तरह के संकीर्ण दृष्टिकोण से दूर रहना चाहिए।
Praful Khoda Patel is implementing all the anti-people rules and regulations. The Prime Minister and the Home Minister should listen to the outcry of local people and send in a new administrator. This is the demand of local people of Lakshadweep: Lakshadweep MP Mohammed Faizal pic.twitter.com/w8AjGaEIto
— ANI (@ANI) May 26, 2021
राज्यसभा सांसद वेणुगोपाल ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर “लक्षद्वीप में प्रशासक के सत्तावादी शासन” के बारे में शिकायत की।
The unilateral & anti-people policies of the administrator of UT Lakshadweep have created huge unrest and protest among the local population there. I write to Hon'ble Rashtrapathi ji to urgently intervene in this matter.#SaveLakshadweep pic.twitter.com/Z3OITwIeDu
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) May 24, 2021
स्थानीय सांसद मोहम्मद फैजाली ने आरोप लगाया है कि पटेल अपने पूंजीवाद के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।
विकास प्राधिकरण का गठन ही संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान कि लोगों की सहमति के बिना द्वीप प्रशासन द्वारा भूमि का अधिग्रहण किया जा सकता है और उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा सकता है, लोगों के लिए अच्छा नहीं है।
#Lakshadweep pic.twitter.com/DTSlsKfjiv
— Prithviraj Sukumaran (@PrithviOfficial) May 24, 2021