प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक 19 वर्षीय छात्रा से 6 दिनों तक गैंगरेप के मामले ने देश को झकझोर रख दिया है। “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” के नारे को आगे बढ़ाने वाली सरकार में छात्रा से हुई बलात्कार की घटना से कानून व्यवस्था को लेकर केंद्र और राज्य सरकार की किरकिरी हो रही है। गौरतलब है कि हाल के वर्षों में बनारस शहर के विभिन्न हिस्सों में स्पा सेंटर, हुक्का बार और अन्य अवैध नशे के अड्डे कुकुरमुत्ते की तरह उग आये हैं। जब कोई घटना घटती है, तब पुलिस की नींद खुलती है। धर्म की नगरी वाराणसी में घटित गैंगरेप केस ने एक बार फिर महिला सुरक्षा, पुलिस की कार्यप्रणाली और न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जून 2022 में सारनाथ क्षेत्र के एक स्पा सेंटर में युवती की मौत का मामला हो या वर्तमान समय में छात्रा से 23 आरोपियों द्वारा बलात्कार। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ सूबे सीएम दावा करते हैं कि राज्य में महिला, युवतियों और छात्राओं से छेड़छाड़ या गलत निगाह डालने वालों की खैर नहीं। दूसरी ओर, छात्रा से लगातार छह दिनों तक बनारस जैसे वीआईपी शहर के कई इलाकों में अलग-अलग आरोपियों द्वारा ड्रग्स की ओवरडोज नशा देकर सामूहिक बलात्कार किया गया और पुलिस को खबर तक नहीं लगी। सवाल तो उठना लाजमी है। इस गैंगरेप घटना के विरोध में कई सामाजिक संगठन भी सड़कों पर भी उतरे।
वाराणसी दौरे पर आये प्रधानमंत्री ने लालबहादुर शास्त्री एयरपोर्ट बाबतपुर में गत शुक्रवार को पुलिस आयुक्त से बीते दिनों बनारस में एक युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले की जानकारी ली थी और कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे।गैंगरेप मामले में अब तक 23 में से 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में नशे का कारोबार का बढ़ाना भी चिंताजनक हो गया है। आखिर किसकी लापरवाही से शहर के विभिन्न इलाकों में गांजा, भांग, ड्रग्स और अन्य मादक पदार्थ उपलब्ध हो जा रहे हैं। ताजा मामले में दावा किया जा रहा है, कि लड़की को ड्रग्स जैसा नशीला पदार्थ देकर कई रातों तक 23 लोगों ने बलात्कार किया। आखिर नशा का इतना दर्दनाक अंजाम हो सकता है। और इस तरह के नशीले पदार्थ शहर में बिक रहे हैं, इनपर लगाम नहीं है। लिहाजा, पुलिस की कार्यशैली पर नागरिक सवाल खड़े कर रहे हैं।
बहुत डर लगता है…
गैंगरेप सामूहिक बलात्कार पीड़ित लड़की के पिता के अनुसार “पुलिस-प्रशासन ने पहले तो कार्रवाई करने में टाल-मटोल की। प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने में देर किया गया। पीड़ित परिवार अकेले लड़ता रहा, रोता रहा और चिल्लाता रहा। बावजूद इसके सुनवाई नहीं हुई। मामला जब मीडिया में आया तो 7 अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज की गई और फिर आरोपियों की गिरफ्तारियां शुरू हुई। गैंगरेप का मामला पांडेयपुर थाना क्षेत्र का है।
पीड़िता के पिता कहते हैं, “हम गरीब हैं, पर हमारी बेटी के सपने बड़े थे। वो बैडमिंटन खिलाड़ी बनना चाहती थी। उसके पास स्पोर्ट जूते भी नहीं थे, लेकिन बेटी के अंदर जज्बा व जुनून था। अब वो घटना के बाद गुमसुम है और चुपचाप रहती है। उस सुबह जब बेटी कमरे से बाहर आई, उसकी आंखें लाल थीं और चेहरा उतरा हुआ। जैसे किसी ने उसके भीतर की पूरी रौशनी छीन ली हो। मैंने धीरे से पूछा- “कैसी तबीयत है बेटा?” वह कुछ बोल नहीं सकी, बस कांपते होंठों से बस इतना कहा- “पापा, मैं अब किसी लड़के को नहीं देख सकती, डर लगता है, बहुत डर लगता है…।”
23 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज
रविवार 6 अप्रैल को देर रात छात्रा की मां की तहरीर पर लालपुर पांडेयपुर थाने में 23 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इसमें से 12 नामजद और 11 अज्ञात हैं। मामले में राज विश्वकर्मा, समीर, आयुष, सोहेल, दानिश ,अनमोल, साजिद, जाहिर, इमरान, जैब, अमन और राज खान को आरोपी बनाया गया है। सभी आरोपी हुकूलगंज और आसपास के रहने वाले हैं।
पहुंचा है गहरा आघात
बहरहाल, स्पोर्ट कॉलेज में एडमिशन के लिए तैयारी करने वाली छात्रा का सपना और उसकी रूह को नशे में दरिंदों ने तार-तार कर दिया है। पीड़िता के पिता बड़ी मुश्किल से आजीविका कमाकर परिवार का भरण-पोषण कर पाते थे। ऐसे में अब बेटी के साथ हुई दरिंदगी ने उन्हें गहरा आघात पहुंचाया है।
छह दिनों तक होती रही दरिंदगी
तहरीर के मुताबिक लड़की 29 मार्च को गायब हुई थी और वह 4 अप्रैल को बेसुध हालत में बरामद की गई। इन छह दिनों में उसके साथ 23 लोगों ने रेप किया। इस दौरान छात्रा को ड्रग्स देकर नशे में रखा गया। पुलिस की जांच में उन होटलों और कैफे की लोकेशन मिली है, जहां लड़की के साथ रेप की घटना की घटना को अंजाम दिया गया।
छात्रा को ड्रग्स के नशे में रखा गया
रिपोर्ट के मुताबिक लड़की 29 मार्च को गायब हुई थी और वह 4 अप्रैल को बेसुध हालत में बरामद की गई। इन छह दिनों में उसके साथ 23 लोगों ने रेप किया। इस दौरान छात्रा को ड्रग्स देकर नशे में रखा गया। पुलिस की जांच में उन होटलों और कैफे की लोकेशन मिली है, जहां लड़की के साथ रेप की घटना की घटना को अंजाम दिया गया।
आरोपियों के नाम
लड़की को शहर के व्यस्ततम इलाकों में 6 दिनों तक रखकर हैवानियत की जाती रही। रविवार 6 अप्रैल को देर रात छात्र की मां की तहरीर पर लालपुर पांडेयपुर थाने में 23 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इसमें से 12 नामजद और 11 अज्ञात हैं। मामले में राज विश्वकर्मा, समीर, आयुष, सोहेल, दानिश ,अनमोल, साजिद, जाहिर, इमरान, जैब, अमन और राज खान को आरोपी बनाया गया है। सभी हुकूलगंज और आसपास के रहने वाले हैं।
वाराणसी पुलिस के अनुसार अब तक मामले में 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस की पूछताछ के बाद खुलासा हुआ है कि अनमोल गुप्ता सेक्स रैकेट का मास्टरमाइंड है। अपने कैफे कॉन्टिनेंटल के जरिए उसने 15 लड़कों को एजेंट बना रखा था। ये एजेंट उसके लिए लड़कियों को दोस्त बनाते थे। रेप करने के बाद लड़कियों का वे ब्लैकमेल करते थे। ट्रैप में छात्रा भी फंस गई। उसे गैंगरेप का शिकार होना पड़ा।
कैफे से शुरू हुआ काला धंधा
कॉन्टिनेंटल कैफे से अनमोल के काले धंधे की शुरुआत हुई। यहां लड़कियां वेटर में रखी गईं। अफीम, हेरोइन, हुक्का से लेकर शराब तक कैफे में परोसी जाने लगी। अनमोल का धंधा चकाचक चल रहा था। इसी दौरान कैफे में लड़कियां भी आने लगीं। वे नशे का डिमांड करती थीं। इससे अनमोल को सेक्स रैकेट का धंधा शुरू करने का आइडिया मिला। उसने कैफे में आने वाले 5 लड़कों को दोस्त बनाया। उन्हें वहां आने वाली लड़कियों से पैसा कमाने का ऑफर दिया।
महिलाएं और संगठन उतरा सडकों पर
वाराणसी में छात्रा से गैंगरेप मामले को लेकर आक्रोशित महिलाओं ने प्रधानमंत्री के संसदीय जनसंपर्क कार्यालय तक मार्च करने की कोशिश की। यह महिलाएं ऐपवा (एडवाइज़र ग्रुप ऑफ वुमन ऐक्टिविस्ट) की सदस्य थीं, जो हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर न्याय की मांग करते हुए कार्यालय की ओर बढ़ीं। हालांकि, पुलिस प्रशासन ने उन्हें आधे रास्ते में ही रोक लिया।
मौके पर मौजूद एसीपी कोतवाली प्रज्ञा पाठक ने प्रदर्शनकारी महिलाओं से ज्ञापन लिया और उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। महिलाओं ने प्रशासन की इस कार्रवाई पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा, “हम अपने ही शहर के सांसद से न्याय की गुहार नहीं लगा सकते? हमें ज्ञापन सौंपने से रोका जा रहा है। क्या यह लोकतंत्र है?”
भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों : एपवा
एपवा ने मांग की कि पीड़िता का उचित इलाज कराया जाए, बचे हुए आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी हो और भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं। एपवा की कुसुम वर्मा कहती हैं, “इस घटना में पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट तक अब तक सबमिट नहीं की गई है। वहीं, शर्मनाक बात यह है कि लड़की को सेक्स वर्कर बताकर पूरे मामले को “कैरेक्टर शेमिंग” की दिशा में मोड़ने की कोशिश की जा रही है। यह वह सबसे क्रूर तरीका है जिससे समाज और तंत्र किसी भी महिला की आवाज को दबा देता है -उसकी अस्मिता पर सवाल उठाकर।”
‘प्रधानमंत्री के अपने संसदीय क्षेत्र में बेटियां असुरक्षित’
वर्मा आगे कहती हैं “सवाल ये है कि जब प्रधानमंत्री के अपने संसदीय क्षेत्र में बेटियां असुरक्षित हैं, तो उनका ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा क्या महज़ एक स्लोगन बनकर रह गया है? क्या ये वही राज्य है जहाँ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दावा करते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में भारी गिरावट आई है? लेकिन एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़े कुछ और ही कहते हैं।
“इमेज मैनेजमेंट” इंसाफ से ऊपर है ?
वे बताती हैं कि “उत्तर प्रदेश आज भी महिलाओं के खिलाफ अपराध में देश के शीर्ष राज्यों में गिना जाता है। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब सत्ता के शीर्ष चेहरे दौरे पर होते हैं, तब “इमेज मैनेजमेंट” को इंसाफ और इंसानियत से ऊपर रखा जाता है।”
कैंट क्षेत्र के सहायक पुलिस आयुक्त विदुष सक्सेना ने बताया कि “सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने कुल 23 आरोपियों में से 12 को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने सभी 11 नामजद और एक अन्य संदिग्ध आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।”