केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों का तमिल में अनुवाद करने को लेकर तमिलनाडु की द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी में ऐसे उपायों को लागू करने का साहस नहीं है।
संसद में भाषा को लेकर उठे विवाद पर बोलते हुए गृह मंत्री ने कहा, “आप (डीएमके) में मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों का तमिल भाषा में अनुवाद करने की हिम्मत नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि एक बार उनकी पार्टी सत्ता में आ जाए तो वे इन पाठ्यक्रमों का तमिल में अनुवाद सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा, “जब हम सरकार बनाएंगे तो हम मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों का तमिल भाषा में अनुवाद करेंगे।”
उन्होंने डीएमके पर जनता का ध्यान भटकाने का भी आरोप लगाया और आरोप लगाया कि इस मामले पर कार्रवाई करने में डीएमके की अनिच्छा भ्रष्टाचार को छिपाने की उसकी मंशा से उपजी है। उन्होंने कहा, “आप ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आप अपना भ्रष्टाचार छिपाना चाहते हैं।”
भाषा पर व्यापक बहस को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि हिंदी किसी भी भाषा के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, “हिंदी किसी भी राष्ट्रीय भाषा के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करती है”, उन्होंने दोहराया कि हिंदी भाषाई सद्भाव को बढ़ावा देती है। उन्होंने आगे कहा, “हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की साथी है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदी प्रमुख भूमिका के बजाय सहायक भूमिका निभाती है।
भाषाई एकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “हिंदी सभी भारतीय भाषाओं को मजबूत करती है और सभी भारतीय भाषाएं हिंदी को मजबूत करती हैं।” उन्होंने भारत की भाषाई विविधता को मजबूत करने में हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के बीच पारस्परिक संबंध को रेखांकित किया।
उन्होंने यह भी घोषणा की, “मैं कुछ कहना चाहता हूँ ताकि भाषा के नाम पर देश को बांटने वालों को अपना एजेंडा पूरा न करने दिया जाए। राजभाषा विभाग के अंतर्गत नरेंद्र मोदी सरकार ने एक भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना की है जो सभी भारतीय भाषाओं- तमिल, तेलुगु, मराठी, गुजराती, पंजाबी, असमिया, बंगाली, सभी भाषाओं के प्रयोग को बढ़ाने के लिए काम करेगा।”
उन्होंने आगे बताया कि दिसंबर से वे क्षेत्रीय भाषाओं में सरकारी पत्राचार शुरू करेंगे। उन्होंने कहा, “दिसंबर के बाद मैं नागरिकों, मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और सांसदों से उनकी अपनी भाषा में लिखित पत्राचार करूंगा। यह उन लोगों को करारा जवाब है जो भाषा के नाम पर अपनी दुकान चलाकर अपना भ्रष्टाचार छुपाते हैं।”
भाजपा पर दक्षिण भारतीय भाषाओं के विरोध के आरोपों को खारिज करते हुए शाह ने आलोचकों पर पलटवार किया। उन्होंने पूछा, “वे क्या कह रहे हैं? कि हम दक्षिण की भाषाओं का विरोध करते हैं? यह कैसे संभव हो सकता है? मैं गुजरात से आता हूं, निर्मला सीतारमण तमिलनाडु से हैं। हम इसका विरोध कैसे कर सकते हैं?”
विरोधियों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं जो भाषा के नाम पर जहर फैलाते हैं कि आपको हजारों किलोमीटर दूर की भाषाएं पसंद हैं लेकिन आपको भारत की भाषा पसंद नहीं है।’’
इस बीच, राज्यसभा सांसद वाइको ने भाषा विवाद को और तूल देते हुए हिंदी और भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “हिंदी का कोई व्याकरण नहीं है, कोई साहित्य नहीं है, यह एक कठोर भाषा है।”
वाइको ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए उन पर अहंकारी बयान देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “अमित शाह अहंकार में बोल रहे हैं, क्योंकि उनके पास बहुमत है।” उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार में सत्तारूढ़ पार्टी का दबदबा भाषा के मुद्दे पर उसके रुख को बढ़ावा दे रहा है।
तमिलनाडु में भाजपा के लिए एक अंधकारमय राजनीतिक भविष्य की भविष्यवाणी करते हुए वाइको ने कहा, “भाजपा तमिलनाडु में कभी सरकार नहीं बनाएगी, इसे दफना दिया जाएगा।” उनकी टिप्पणियों ने चल रही बहस में आग डालने का काम किया, जिससे राज्य में भाषा नीतियों पर राजनीतिक टकराव और तेज हो गया।