सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया को कथित उत्पाद शुल्क नीति घोटाले के संबंध में दायर ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में जमानत दे दी। यह देखते हुए कि सिसोदिया 17 महीने तक जेल में थे, जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि AAP नेता ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा स्पीडी ट्रायल के अधिकार से वंचित रहे हैं।
अदालत ने कहा, “हमने पाया है कि लगभग 17 महीने की लंबी कैद और सुनवाई शुरू नहीं होने के कारण अपीलकर्ता (सिसोदिया) को त्वरित सुनवाई के अधिकार से वंचित कर दिया गया है।”
सिसौदिया को फरवरी 2023 को सीबीआई ने और एक महीने बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।
कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को तुरंत पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश दिया। सिसोदिया की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत का आधार ये बताया:
-कोर्ट ने कहा कि सजा के तौर पर जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता।
-निचली अदालतों को एहसास हो गया है कि जमानत नियम है और जेल अपवाद।
-जजों ने माना केस की समय पर सुनवाई पूरी होने की कोई संभावना नहीं है।
-कोर्ट ने कहा सिसोदिया को लंबे दस्तावेजों की जांच करने का अधिकार है।
इन शर्तों के साथ सिसोदिया को मिली जमानत:
कोर्ट ने शर्तों के साथ सिसोदिया को जमानत देते हुए कहा है कि-
-अपीलकर्ता को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा।
-उन्हें हर सोमवार और गुरुवार को थाने में जाकर हाजिरी लगानी होगी।
-वह गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया 17 महीने से हिरासत में हैं और अभी तक केस की सुनवाई शुरू नहीं हुई है, इस प्रकार वह जल्द सुनवाई के अधिकार से वंचित हुए हैं। ईडी और सीबीआई की ओर से दलील दी गई थी कि सिसोदिया को जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि अगर उन्हें जमानत के लिए फिर से ट्रायल कोर्ट और फिर हाईकोर्ट भेजा जाता है, तो यह उनके लिए ‘सांप-सीढ़ी’ का खेल खेलने जैसा होगा। पीठ ने कहा कि किसी नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि 400 से अधिक गवाहों और हजारों दस्तावेजों को देखते हुए निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की कोई संभावना नहीं है। ऐसे में सिसोदिया को हिरासत में रखना व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का गंभीर उल्लंघन होगा।
कोर्ट ने सिसोदिया के सामाजिक जीवन का जिक्र करते हुए कहा है कि उनके भागने का कोई जोखिम नहीं है। साथ ही मामले में ज्यादातर एविडेंस जांच एजेंसी पहले से ही जुटा चुकी है, ऐसे में छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है। कोर्ट के फैसले के बाद, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट से अपील किया कि अरविंद केजरीवाल मामले में लगाई गई शर्तों के समान ही कुछ शर्तें लगाई जाएं, जैसे सिसोदिया को मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जाना चाहिए। कोर्ट ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
सिसोदिया के वकील ऋषिकेश कुमार ने कहा, “इस बात को ध्यान में रखते हुए कि 17 महीने की जेल मनीष सिसोदिया काट चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जैसा ED ने कहा था कि ये ट्रायल 6-8 महीने में खत्म हो जाएगा, वो होता नहीं दिख रहा। ED का आरोप खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने ट्रायल में देरी नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को ज़मानत दी है। ये ऐतिहासिक फैसला है।”
इससे पहले ईडी ने सिसोदिया की ओर से दायर जमानत याचिका का विरोध किया था। जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप हर सीबीआई और ईडी के मामले में यही कहते हैं कि जमानत देने से सबूतों के साथ छेड़छाड़ को सकता है। कोर्ट ने एजेंसी से कहा था कि इस मामले में 493 गवाह है। उनकी गवाही कबतक पूरी होगी और ट्रायल कब तक शुरू होगा।
सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि इस मामले में जांच एजेंसी ट्रायल में देरी कर रही है। सिसोदिया 17 महीने से जेल में है। सिंघवी ने कहा था कि मामले को लंबा खींचने की कोशिश हो रही है। मामले में अभी तक निचली अदालत में ट्रायल शुरू भी नही हो पाया है।
सिंघवी ने यह भी कहा था कि मेरे 90 प्रतिशत आवेदन स्वीकार कर लिए गए। क्या दस्तावेज मांगकर मैं सुनवाई में देरी कर रहा हूं? दरअसल देरी इसलिए हुई क्योंकि मुझे शुरू में दस्तावेज नही दिए गए। सिंघवी ने कहा था कि ईडी द्वारा हाल ही में दाखिल जवाबी हलफनामे में कोर्ट को बताया गया था कि ईडी अपराध की आय और विभिन्न व्यक्तियों की भूमिका का पता लगाने के लिए आगे की जांच अभी भी जारी है।
सिंघवी ने कहा था कि उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में 162 गवाहों के हवाला दिया है और 25 हजार पन्नों के दस्तावेज दाखिल किए और इस साल जुलाई में 40 लोगों को आरोपी बनाया गया। वही सीबीआई ने 294 गवाहों का हवाला दिया और 31 हजार पन्नों के दस्तावेज दाखिल किए। सिंघवी ने कहा था कि एजेंसी ने दस्तावेजों को अप्रमाणिक दस्तावेजों में डालकर छुपाया भी है।
सिंघवी ने कोर्ट से आग्रह किया था कि जब तक उनकी जमानत पर कोर्ट फैसला नही आ जाता तब तक के लिए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी जाए। क्योंकि मनीष सिसोदिया की पत्नी अस्वस्थ्य है।
वहीं एजेंसी की ओर से पेश ASG एसवी राजू ने कहा था कि सिसोदिया की ईडी के मामले में दायर याचिका सुनवाई योग्य नही है। इन्हें ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए। राजू ने कहा था कि इन लोगों का मकसद लोग एक्साइज टैक्स के जरिये पैसे कमाना था। राजू ने कोर्ट को यह भी बताया था कि गोवा चुनाव के लिए 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी गई थी। हमने 45 करोड़ रुपये का पता लगा लिया है।
ईडी ने कहा था कि हमारे पास डिजिटल सबूत मौजूद है। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस केवी विश्वनाथन ने एजेंसी के वकील से पूछा था कि इस मामले में नियुनतम सजा कितनी है। ईडी की ओर से पेश ASG ने कहा था कि तीन साल है लेकिन कुछ प्रावधानों में पांच साल की सजा का प्रावधान है।
मालूम हो कि सीबीआई ने सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था। ईडी ने उन्हें 9 मार्च 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था। सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने क्या कहा?
AAP नेता संजय सिंह ने कहा, “ये AAP और दिल्ली के लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत है। अरविंद केजरीवाल और सत्येंद्र जैन के लिए न्याय का रास्ता जल्द ही खुलेगा। जो 17 महीने मनीष सिसोदिया के बर्बाद हुए उसका हिसाब क्या देश के प्रधानमंत्री देंगे? जो 17 महीने दिल्ली के बच्चों के बर्बाद हुए, एक योग्य शिक्षा मंत्री के रूप में मनीष सिसोदिया जो दिल्ली के बच्चों को दे सकते थे उसका हिसाब कौन देगा? भाजपा का मकसद केवल एक है, विपक्ष के नोताओं को पकड़ कर जेल में डालो। मनीष सियोदिया के घर से एक रुपया बरामद नहीं हुआ, कोई प्रोपर्टी और गहना नहीं मिला फिर भी आपने 17 महीने जेल में रखा। ED हमेशा समय मांगती रही और मामले को टरकाती रही। आज उन सब पर विराम लगा है ये हमारे लिए बहुत बड़ी खबर है।”
दिल्ली सरकार के मंत्री और AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, “कोर्ट इस बात को मान रहा है कि ED ने बिना ट्रायल के मनीष सिसोदिया को 17 महीने जेल में रखा। बिना ट्रायल के किसी को 17 महीने जेल में कैसे रख सकते हैं? वे अपना ऑफिस भी आकर फिर से ले सकते हैं।”
दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, “एक झूठे केस में फंसाकर जेल में रखा गया। आज का दिन भारत के इतिहास में, भारत की शिक्षा क्रांति के इतिहास में दर्ज़ होगा। आज मनीष सिसोदिया को ज़मानत मिली है। आज सच्चाई की जीत हुई, शिक्षा की जीत हुई। मनीष सिसोदिया के द्वारा जिस स्कूल का शिलान्यास हुआ था, आज उसी स्कूल का उद्घाटन हो रहा है।
दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा, “पूरी दिल्ली और देश के लोगों को लिए आज खुशी का दिन है। जिस तरह से पूरे देश में शिक्षा क्रांति का एक रोल मॉडल मनीष सिसोदिया ने स्थापित किया लेकिन बिना किसी सबूत के 17 महीनों तक सरकार ने उन्हें जेल में रखा है। आज सत्य की जीत हुई है। हम सब लोग सुप्रीम कोर्ट का धन्यावाद कर रहे हैं।”
राय ने कहा, “जिस तरह से 17 महीने मनीष सिसोदिया को जेल में रखा गया वो इस बात का सबूत है कि भाजपा सरकार इस देश के शिक्षा बदलाव की उम्मीद की राह को कुचलना चाहते हैं। दुनिया में देर हो सकती है लेकिन अंधेर नहीं है। हम सब सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करते हैं। इसका मलाल सभी को है कि आज तक एक सबूत नहीं मिला। 17 महीने CBI और ED ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री को जेल में रखा। धिक्कार है ऐसी एजेंसी पर जिसे आज तक एक सबूत नहीं मिला।”
राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि मनीष सिसोदिया जी को बेल मिली है, मैं आशा करती हूं कि दिल्ली सरकार का वो नेतृत्व करेंगे और अच्छे से काम करेंगे।”
सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा, “हमें उम्मीद है कि AAP के नेताओं को न्याय मिलेगा।”
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “अच्छी बात है, लेकिन ज़मानत इससे भी पहले मिलनी चाहिए थी।”
बीजेपी नेताओं ने क्या कहा?
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “जमानत का मतलब ये नहीं है कि आरोपी दोषी नहीं है। मनीष सिसोदिया बेल पर रिहा जरूर हुए हैं लेकिन जांच अभी चल रही है। भाजपा हमेशा से कोर्ट के निर्णय का सम्मान करती है। जो लोग आज सत्यमेव जयते लिख रहे हैं। पिछले हफ्ते इनका गला सूख गया था। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय जो दिल्ली नगर निगम पर आया था उस समय जिस प्रकार की बौखलाहट इन्होंने दिखाई थी वो दिखाता था कि इनका कोर्ट के प्रति कितना सम्मान है। जांच अभी चल रही है। शराब नीति घोटाले में सब दोषी करार दिए जाएंगे।”
भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा, “आज सुप्रीम कोर्ट के सामने उनके वकीलों ने मेरिट पर कोई दलील नहीं दी, उनकी अपील केवल देरी पर आधारित थी। मनीष सिसोदिया जेल में 17-18 महीने से हैं। इसके आधार पर उनको आज बेल मिली है। इसका अर्थ ये नहीं है कि मनीष सिसोदिया अपराध मुक्त हैं वो अभी भी अभियुक्त हैं और उनकी जवाबदेही कोर्ट में बनेगी। मनीष सिसोदिया दिल्ली के ऐसे शिक्षा मंत्री हैं जो दिल्ली के बच्चों को पाठशाला से मधुशाला तक ले जाने का पाप कर चुके हैं।”