लोकसभा की आचार समिति ने तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ आरोपों पर अपनी रिपोर्ट अडॉप्ट की। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की गई है। पैनल प्रमुख विनोद सोनकर ने कहा कि एथिक्स पैनल के छह सदस्यों ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोप पर रिपोर्ट का समर्थन किया, जबकि चार सदस्यों ने इसका विरोध किया। रिपोर्ट को अपनाने का समर्थन करने वाले पैनल के सदस्य – अपराजिता सारंगी, राजदीप रॉय, सुमेधानंद सरस्वती, परनीत कौर, विनोद सोनकर, हेमंत गोडसे थे। वहीं रिपोर्ट का विरोध करने वालों में दानिश अली, वी वैथिलिंगम, पीआर नटराजन, गिरिधारी यादव शामिल रहे।
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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी और कांग्रेस सांसद परिणीत कौर ने भी रिपोर्ट के समर्थन में वोट किया। अब इस पर अंतिम फैसला लोकसंभा अध्य्क्ष को करना है। एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने कहा, “महुआ मोइत्रा पर आरोप को लेकर कमेटी ने रिपोर्ट तैयार की है। बैठक में रिपोर्ट पर चर्चा हुई और इसे अपनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद अब एक विस्तृत रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को दी जायेगी।
इधर मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश करने वाली लोकसभा आचार समिति की मसौदा रिपोर्ट को चार विपक्षी सदस्यों ने पूर्वाग्रह से ग्रसित और गलत बताया। दरअसल, कमेटी में 15 सदस्य हैं। इसमें बीजेपी के सात, कांग्रेस के तीन और बसपा, शिवसेना, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और जनता दल (यूनाइटेड) के एक-एक सदस्य शामिल हैं। समिति के सदस्य और बीएसपी सांसद दानिश अली ने आरोप लगया कि उन्होंने अभी तक रिपोर्ट नहीं देखी है। इस देश में दो कानून नहीं हो सकते। एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष लगातार नियम 275 का उल्लंघन कर रहे है।
इससे पहले भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने महुआ मोइत्रा, उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई को सुना था।
सूत्रों ने बताया है कि मसौदा रिपोर्ट में कथित रिश्वत के बदले पूछताछ मामले में चल रही जांच के मद्देनजर लोकसभा से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की गई थी।
आचार समिति की कार्रवाई के बारे में बात करते हुए, भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा, “कोई भी अनैतिक आचरण का समर्थन नहीं करेगा, सब कुछ काले और सफेद में है। अब अध्यक्ष कार्रवाई का अगला तरीका तय करेंगे।”
इस बीच, कांग्रेस सांसद वी वैथीलिंगम ने आरोप लगाया कि प्रस्ताव “समिति द्वारा बिना किसी चर्चा के” पारित किया गया था। वैथिलिंगम ने कहा, “सभी फैसले एकतरफा हैं। एक मसौदा प्रस्ताव पर चर्चा की जानी चाहिए। कोई चर्चा नहीं हुई।”
गौरतलब है कि इससे पहले एथिक्स कमेटी की 2 नवंबर को हुई मीटिंग के बीच से मोइत्रा समेत अन्य विपक्षी सांसद बाहर आ गए थे। इन्होंने आरोप लगाया था कि बैठक में निजी सवाल किए गए। दरअसल बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने पैसे और महंगे गिफ्ट कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से लिए हैं। इसके लिए उन्होंने अडानी ग्रुप से जुड़े सवाल लोकसभा में किए। इसके बाद दर्शन हीरानंदानी ने स्वीकार किया कि उन्होंने मोइत्रा को पैसे दिए थे। मोइत्रा पर आरोप है कि उन्होंने अडानी ग्रुप और पीएम मोदी की छवि खराब करने के लिए ऐसे प्रश्न पूछे थे। वहीं महुआ ने इन आरोपों को निराधार बताया है।