राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सभापति जगदीप धनखड़ के बीच मणिपुर पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री को सदन में आने का निर्देश देने से इनकार करने पर तीखी नोकझोंक हुई। खरगे ने राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ से सवाल किया कि वह प्रधानमंत्री का बचाव क्यों कर रहे हैं? इसके जवाब में धनखड़ ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री को इसकी जरूरत नहीं है कि मैं उनका बचाव करूं। मैं किसी का बचाव नहीं कर रहा हूं। मैं बस संविधान का बचाव कर रहा हूं, आपके अधिकारों का बचाव कर रहा हूं। नेता विपक्ष का ऐसा विश्लेषण हितकारी नहीं है।’
"The PM is not required to be defended by me. I am not required to defend anyone. I am required to defend the Constitution…your rights. Such an observation from LoP is not very wholesome," says Rajya Sabha Chairman Jagdeep Dhankhar after LoP Mallikarjun Kharge questioned why the…
— ANI (@ANI) August 3, 2023
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें किसी की नहीं, बल्कि संविधान की रक्षा करने की जरूरत है। धनखड़ का बयान विपक्ष के नेता और कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद आया कि सभापति मणिपुर बहस पर विपक्ष की मांग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बचाव कर रहे हैं।
धनखड़ ने कहा, ”हमारे प्रधानमंत्री का बचाव मुझे नहीं करना है। उन्हें वैश्विक मंचों – अमेरिका में सीनेट और कांग्रेस – पर पहचाना जाने लगा है… हर भारतीय को उन पर गर्व होना चाहिए… आप कड़वी सच्चाई से क्यों भाग रहे हैं? भारत पहले की तरह बढ़ रहा है? वृद्धि अजेय है… सभी ने इसमें योगदान दिया है। मुझे किसी का बचाव करने की आवश्यकता नहीं है।”
धनखड़ ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री के नेतृत्व में तीन दशकों की गठबंधन सरकार के बाद, मुझे किसी का बचाव करने की आवश्यकता नहीं है। मुझे संविधान की रक्षा करना आवश्यक है। मुझे आपके अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि एलओपी की ओर से आने वाली ऐसी टिप्पणी “बहुत अच्छी नहीं” थी। “हम कहाँ जा रहे हैं? आप राजनीतिक रुख के हकदार हैं। मैं राजनीति में हितधारक नहीं हूं। मुझे पार्टियों की राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। मुझे शासन की चिंता है। मैं देश के विकास को लेकर चिंतित हूं।”
इससे पहले, दोनों नेताओं के बीच सदन में दोस्ताना नोकझोंक हुई। खड़गे ने कहा कि नियम 267 के तहत चर्चा के लिए विपक्ष के अनुरोध को शायद सभापति ने स्वीकार नहीं किया क्योंकि वह “नाराज” थे।
मणिपुर की चर्चा नियम 267 के तहत क्यों हो इसकी पूरी जानकारी मैंने नोटिस में दी है।
लेकिन सरकार ने इसे प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है।
: कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री @kharge pic.twitter.com/z3K3uBu5Jh
— Congress (@INCIndia) August 3, 2023
खड़गे ने कहा, “…नियम 267 और 176 के तहत दोनों नोटिस एक ही दिन दिए गए थे। यदि 267 प्रस्तुत किया गया है, तो सभी कामकाज को निलंबित कर दिया जाना चाहिए और 267 को महत्व दिया जाना चाहिए। हमने कल आपसे अनुरोध किया था, लेकिन शायद आप नाराज थे…”
धनखड़ ने इसे मजाक में लिया और हंसते हुए जवाब दिया, ”सर, मैं 45 साल से ज्यादा समय से शादीशुदा आदमी हूं। मैं कभी गुस्सा नहीं दिखाता। एक वरिष्ठ वकील के रूप में श्री चिदम्बरम को पता होगा कि हमें कम से कम किसी प्राधिकारी को अपना गुस्सा दिखाने का कोई अधिकार नहीं है। आप एक अधिकारी हैं सर…कृपया इसे संशोधित करें।”
खड़गे ने चुटकी लेते हुए कहा, “आप गुस्सा नहीं दिखाते लेकिन आप अंदर से गुस्सा महसूस करते हैं।”
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने आज शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से सभी सांसदों को वेदों की एक प्रति उपलब्ध कराने के लिए भी कहा। सुझाव को प्रधान ने तुरंत स्वीकार कर लिया और कहा कि यदि संभव हो सकेगा तो विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद के विकल्प के साथ प्रतियां सदस्यों को उपलब्ध कराई जाएंगी।
इससे पहले बुधवार को धनखड़ ने विपक्ष से कहा था कि वह पीएम नरेंद्र मोदी को सदन में उपस्थित रहने का निर्देश नहीं दे सकते हैं और न ही देंगे क्योंकि किसी भी अन्य सांसद की तरह सदन में आना पीएम का विशेषाधिकार है।